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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हैदराबाद में रेप के आरोपियों के एनकाउंटर पर फिल्म बनाने के पक्षधर हैं बॉलीवुड डायरेक्टर्स

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  • Bollywood directors are in favor of making a film on the encounter of rape accused in Hyderabad

Dainik Bhaskar

Dec 10, 2019, 09:14 AM IST

बॉलीवुड डेस्क. हैदराबाद में रेप के चार आरोपियों के एनकाउंटर पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच सुनने में आया है कई मेकर्स इस मुद्दे पर फिल्म बनाने में जुट गए हैं और उन्होंने इस पर सामग्री जुटाना शुरू कर दी है। दिग्गज मेकर्स का मानना है कि यह एक ज्वलंत मुद्दा है, लिहाजा इस पर फिल्म बननी ही चाहिए। इनका मानना है कि अगर इस एनकाउंटर पर भी संजीदगी से फिल्म बनती है तो बुरी मानसिकता वाले लोगों के मन में खौफ का माहौल घर करेगा। दैनिक भास्कर को कुछ बड़े फिल्ममेकर्स ने अपनी राय से अवगत कराया।

इस मुद्दे पर कैसी फिल्म बननी चाहिए, बता रहे हैं तीन जाने-माने फिल्ममेकर्स

  1. टॉपिकल मसलों पर फिल्म बनती रही है : प्रीतीश नंदी 

    इस मुद्दे पर अगर हैदराबाद पुलिस और इनकाउंटर को बगैर ग्लोरीफाई किए हुए फिल्म बनती है तो इसमें कोई दिक्कत मुझे नजर नहीं आती है। टॉपिकल मसलों पर फिल्म बनती रही है। आगे भी बनती रहेगी। यह भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। हमें देश में ऐसा माहौल बनाना है जिसमें सरकार, न्यायालय, कानून, प्रशासन, समाज सब पर बलात्कारी को मौत देने का दबाव रहे। यह संदेश फिल्मों के द्वारा प्रभावी तरीके से पेश किया जा सकता है।’

  2. पूरे सिस्टम पर फिल्म बनानी चाहिए : रेंसिल डिसिल्वा 

    इस मामले में समस्या बहुत गंभीर है। हमने जब ‘रंग दे बसंती’ बनाई थी तो तब मिग विमान करप्शन का मसला था। करप्शन को दिखाना या उसका साॅल्युशन बताना बहुत आसान है। लेकिन यहां पर समस्या बड़ी है। सिर्फ रेप के आरोपियों को मार देना हल नहीं है। यह एक डीप रूटेड प्रॉब्लम है। यहां पर हमें ऐसे एनकाउंटर के अलावा- जो हमारी परवरिश और एजुकेशन पॉलिसी है उस पर भी फिल्म बनानी चाहिए। जाहिर है कि हम वैसी मानसिकताओं को कैसे बदलें इसको लेकर अगर फिल्म बनती है तो यकीनन सुधार आएगा।’

  3. मेकर्स में भी इस मसले पर काफी गुस्सा है : नीरज पाठक

    इस एनकाउंटर पर फिल्म बन सकती है। अगर इस मुद्दे पर बनने वाली फिल्म का मकसद एक बड़ा चेंज लाना है तो फिर यकीनन इस पर फिल्म बननी भी चाहिए। हां, अगर कोई इस मुद्दे को केंद्र में रखकर फिल्म बनाकर मौजूदा हालात को भुनाना चाहता है तो उसे मैं गलत कहूंगा। पूरे देश की तरह हम मेकर्स में भी इस मसले पर काफी गुस्सा है और उस गुस्से की अभिव्यक्ति फिल्म के जरिए झलकनी चाहिए। एनकाउंटर पर एक ईमानदार फिल्म बनती है तो यह जरूर समाज सिस्टम और परिवार को झकझोरने में कामयाब साबित होगी।’

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