- भारत, दक्षिण कोरिया और यूके के वैज्ञानिकों ने खुदाई में मिलीं खोपड़ियों से चेहरे तैयार किए
- 15 वैज्ञानिकों और 6 शिक्षाविदों की टीम ने कंप्यूटेड टोमोग्राफी डेटा के जरिए क्रेनियोफेशियल रीकंस्ट्रक्शन तकनीक का इस्तेमाल की
- वैज्ञानिकों ने 4,500 साल पुराने हरियाणा के राखीगढ़ी में मिले 37 में से 2 लोगों की खोपड़ी से चेहरे बनाए।
- प्रो. वसंत शिंदे ने कहा- राखीगढ़ी के लोगों ने ही किया था नगरीय सभ्यता का विकास
Dainik Bhaskar
Oct 11, 2019, 08:10 AM IST
नई दिल्ली/हिसार. भारत समेत तीन देशों के वैज्ञानिकों ने पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता के निवासियों के चेहरे की हूबहू आकृति बनाने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने 4,500 साल पुराने हरियाणा के राखीगढ़ी में मिले 37 में से 2 लोगों की खोपड़ी से चेहरे बनाए। 15 वैज्ञानिकों और 6 शिक्षाविदों की टीम ने खोपड़ियों का असली चेहरा बनाने के लिए उनके कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) डेटा के जरिए क्रेनियोफेशियल रीकंस्ट्रक्शन (सीएफआर) तकनीक का इस्तेमाल किया।
वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि के बाद सिंधु घाटी के निवासी कैसे दिखते थे, इसका अनुमान लगाना आसान हो गया है। केस स्टडी में भारत, दक्षिण कोरिया और यूके के वैज्ञानिक शामिल हुए। यह केस स्टडी प्रोफेसर वसंत शिंदे और दक्षिण कोरिया के प्रोफेसर वाॅन जू ली के नेतृत्व में की गई, जो एनाटॉमिकल साइंस इंटरनेशनल में प्रकाशित हुई है। नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी ने इस प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक सहायता दी थी। राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले का गांव है, जो सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल माना जाता है।
प्रिस्ट किंग की मूर्ति अलावा कोई अनुमान नहीं था
विशेषज्ञाें का कहना है कि अब तक हमें इसका कोई अंदाजा नहीं था कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कैसे दिखते थे, लेकिन अब उनके चेहरे की आकृतियों का कुछ-कुछ अनुमान लग गया है।’ सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की शारीरिक आकृति का ढांचा तैयार कर पाना अब तक कठिन था, क्योंकि इस सभ्यता की अब तक पर्याप्त खोज नहीं हुई थी और अब तक मिले इसके आंकड़े इस सभ्यता के निवासियों की शारीरिक आकृति के पुनर्निर्माण के लिहाज से पर्याप्त नहीं थे। मोहनजोदड़ो से मिली प्रिस्ट किंग की प्रसिद्ध मूर्ति के अलावा यहां एक भी कलाकृति नहीं मिली, जिससे तब के लोगों की शारीरिक ढांचे को तैयार किया जा सके।
हरियाणा भारतीय सभ्यता का पालक
आज का राखीगढ़ी, उस दौर में देश का पहला सुनियोजित नगर (प्लांड सिटी) हुआ करता था। यह खोज प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतृत्व में 2015 में की गई थी। इसमें कई कंकाल और सभ्यता के अवशेष मिले थे। अब तक पाकिस्तान के सिंध में सिंधु घाटी के आसपास बसी 4500 साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता को देश की सबसे पुरानी सभ्यता माना जाता था। हड़प्पा सभ्यता बाहरी नहीं, हमारे लोगों ने ही बसाई थी, इसलिए हरियाणा को भारतीय सभ्यता का पालक माना जाता है।