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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

लुधियाना ने पटियाला को 10-6 से हराकर जीती चैंपियनशिप ट्राॅफी

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पंजाब बेसबॉल एसोसिएशन की ओर से 14वीं सीनियर स्टेट बेसबॉल चैंपियनशिप फाॅर वुमन गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल गांव गिल में करवाई गई। जिसमें लुधियाना ने पटियाला को हरा कर ट्राफी अपने नाम की। एसोसिएशन के प्रधान हरबीर सिंह गिल ने बताया कि उक्त प्रतियोगिता में 12 टीमों ने भाग लिया और दमखम दिखाया। सेमीफाइनल मुकाबले में पटियाला ने रोपड़ को 2-0 से हराया, जिसमें भारती और अंजली ने 1-1 रन बनाए। दूसरे सेमीफाइनल में लुधियाना ने अमृतसर को 1-0 से हराया जिसमें अर्शप्रीत ने 1 रन बनाया। फाइनल मुकाबला लुधियाना और पटियाला के बीच खेला गया। जिसमें लुधियाना 10-6 के अंतर से विजेता रहा, प्रभजोत कौर और कुलजीत कौर ने 2-2 रन, संदीप और जस्सी कौर ने 1-1 रन, अंजली और लक्ष्मी ने 2-2 रन बनाया। तीसरे स्थान के लिए रोपड़ और अमृतसर के बीच हुए मुकाबले में रोपड़ 1-0 से विजेता रहा, जिसमें साधना ने 1 रन बनाया। गांव के सरपंच हरप्रीत सिहं गिल ने विजेता टीम को ट्राफी व मैडल देकर सम्मानित किया। इस दौरान हरबीर सिंह गिल, सुखदेव सिंह औलख, नीरू, जतिंदर कुमार, रंजीत सिंह, रवि दत्त, गुरदीप सिंह, दीपक मौजूद रहे।

लु‌धियाना रेलवे स्टेशन पर तैनात चीफ टिकट इंस्पेक्टर की आॅस्ट्रेलिया के खिलाड़ी फ्लोयड से हुआ मुकाबला

कुलदीप सिंह ने प्रो- बाॅक्सिंग फाइट में पाया दूसरा स्थान

स्पोर्ट्स रिपोर्टर| लुधियाना

लुधियाना रेलवे में चीफ टिकट इंस्पेक्टर तैनात कुलदीप सिंह ने आॅस्ट्रेलिया में 4 अक्टूबर को हुई प्रो-बाॅक्सिंग फाइट में आॅस्ट्रेलिया के खिलाड़ी फ्लोयड मिशन से भिड़ंत की। इसमें वे दूसरे स्थान पर रहे। ये मुकाबला पाॅइंट के आधार पर था जिसमें कुलदीप को 37.40 पाॅइंट और फ्लोयड मिशन को 40 पाॅइंट मिले। बाॅक्सिंग में बड़े- बड़े दिग्गजों को हरा चुके कुलदीप सिंह ने बताया कि ये ओलंपिक्स क्वाली फायर मुकाबले हैं। उन्होंने प्रोफेशनल बाॅक्सिंग आर्गेनाइजेशन आॅफ इंडिया की ओर से इस प्रो-बाॅक्सिंग में भाग लिया। अगले महीने भी फाइट होगी जिसके लिए वे जाएंगे परंतु अभी वेन्यू डिसाइड नहीं हुआ है। 2009 से रेलवे में अपनी सेवाएं निभा रहे कुलदीप सिंह ने बताया कि वह 10 साल लगातार गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं और एक सिल्वर भी हासिल किया है। आॅल इंडिया बेस्ट बाॅक्सर और रेलवे की तरफ से खेलते हुए बेस्ट बाॅक्सर भी बने। इस दौरान कई फिल्म स्टार जैस अक्षय कुमार, सुनील शैट्टी आदि से मिलने का मौका भी मिला।

इंटरनेशनल स्तर पर जीते कई मेडल

कुलदीप सिंह ने बताया कि 2008 में हुई इंटर नेशनल बाॅक्सिंग में ब्रांज मैडल, 2009 -चाइना में हुई ओपन वर्ल्ड रैंकिंग बाक्सिंग में ब्राॅन्ज मेडल, 2009- चंडीगढ़ में हुई एशिया चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल, 2011- में कूबा बाक्सिंग चैंपियनशिप में तीसरा स्थान, 2012- लंदन में हुई ओलंपिक्स में इंडिया टीम में पार्टिसिपेंट रहे। 2014- साउथ कोरिया में हुई एशियन गेम्स में सिर्फ क्वार्टर फाइनल में ही पहुंच पाए। 2015 में ओलंपिक्स क्वालीफाई के लिए हुई एशियन चैंपियनशिप में ब्राॅन्ज मेडल, 2016 नोएडा में हुई प्रो- बाक्सिंग फाइट में गोल्ड मेडल, 2017- चाइना में हुई प्रो-बाक्सिंग फाइट में गोल्ड मेडल हासिल किया।

माता साहिब कौर हाॅकी अकादमी

जरखड़ अकादमी के 9 खिलाड़ी पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ टीम में शामिल

स्पोर्ट्स रिपोर्टर | लुधियाना

माता साहिब कौर हाकी अकादमी जरखड़ के खिलाड़ियों ने अंडर-14 में पंजाब स्कूल हॉकी चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल हासिल किया है। मैडल जीतने के बाद जरखड़ हॉकी अकादमी के 9 खिलाड़ियों का पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की टीम के लिए चुनाव हुआ है। जरखड़ हॉकी अकादमी के 12 खिलाड़ियों की बदौलत पंजाब यूनिवर्सिटी का इंटर कालेज हाकी मुकाबला जीता, जोकि लगातार टीम की सातवीं जीत थी। इंटर काॅलेज मुकाबले में गुरुसर सुधार काॅलेज ने पीएयू कैंपस चंडीगढ़ को 12-0, नारंगवाल काॅलेज को 17-1, खालसा काॅलेज चंडीगढ़ को 2-1 से हराया। पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की जो टीम चुनी गई हैं, उसमें जरखड़ अकादमी के 9 खिलाड़ी चुने गए हैं। जिसमें कप्तान अजयपाल सिंह, लवजीत सिंह, रघुवीर सिंह, दलजीत सिंह, मुकेश कुमार, अजय कुमार, गुरविंदर सिंह, रविदीप सिंह को चुना गया है। यूनिवर्सिटी की टीम नई दिल्ली में होने वाली उत्तरी जोन इंटर यूनिवर्सिटी हॉकी चैंपियनशिप में हिस्सा लेगी। जरखड़ हाकी अकादमी के खिलाड़ियों की इस उपलब्धी पर जरखड़ खेलों के चेयरमैन नरिंदरपाल सिंह सिधू, प्रधान हरकमल सिंह, अकादमी के डायरेक्टर नरायण सिंह ग्रेवाल, गुरुसर काॅलेज सुधार में फिजिकल इंचार्ज कोच तजिंदर सिंह, मुख्य प्रबंधक जगरूप सिंह, जगदीप सिंह काहलो, जिला खेल आॅफिसर रविंदर सिंह आदि ने बधाई दी और इसी तरह खेलते हुए मैडल लाने के लिए प्रेरित किया।

ढाई साल की कुश्ती: कुलदीप बताते हैं कि उनके पिता बलकार सिंह खेतीबाड़ी का काम करते हैं। बुजुर्ग पहले गांव में कुश्ती किया करते थे। स्कूल समय में ढाई साल कुश्ती की। पटियाला में उनकी स्कूल टीम कबड्डी खेलने के लिए गई थी। जहां वे हार गए। पास ही में बाॅक्सिंग के मुकाबले चल रहे थे। जब वह मुकाबला देख रहे थे तो बाॅक्सिंग कोच कुलविंदर सिंह की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने बाॅक्सिंग जाॅइन करने के लिए आॅफर किया। गरीब परिवार से होने के कारण उसके पास पैसे नहीं थे तो कोच ने ही उनकी मदद की और इस मौकाम तक पहुंचाया।

साहनेवाल इलेवन ने ऑल फ्रेंड क्रिकेट क्लब को 5 विकेट से हराया

लुधियाना|रविवार को साहनेवाल में हुए 20-20 क्रिकेट मैच में साहनेवाल इलेवन ने आल फ्रेंड क्रिकेट क्लब को 5 विकेट से हरा कर शानदार जीत प्राप्त की। मैच के दौरान आल फ्रेंड क्रिकेट की टीम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए 107 रन बनाए। इसमें भीम यादव और दविंदर सिंह ने 65 रनों की साझेदारी शामिल थी। वही दूसरी और लक्ष्य का पीछा करने उतरी साहनेवाल इलेवन की टीम ने मात्र 14 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर लक्ष को प्राप्त कर जीत दर्ज की। साहनेवाल इलेवन की टीम के जोनी को शानदार बैटिंग के लिए मेन ऑफ द मैच चुना गया।

 

जनरेशन जेड और मिलेनियल नीरस किस्म की हर चीज रंगीन चाहते हैं!

कु छ वक्त पहले मैंने देखा कि मेरी बेटी बाथरूम में ब्रश करते हुए मुंह से अजीब आवाजें निकाल रही है। पहले तो मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया। यह दृश्य कुछ दिनों तक लगातार चला और मेरे कानों में उन गीतों की आवाजें पड़ती रहती थीं, जो कुछ ऐसे थे ‘द मोस्ट ब्यूटीफुल मोमेंट इन लाइफ : यंग फॉरएवर…’ या ऐसा कोई गीत ‘नॉट टुडे..’। यदि आप जनरेशन जेड और मिलेनियल नहीं हैं तो हो सकता है कि आपको ये गीत न मालूम हों। ये नई पीढ़ी में लोकप्रिय हैं, जिसे बीटीएस ने गाया है, जो बंगटन बॉयज के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण कोरिया का सात सदस्यीय बॉय बैंड है, जिसे 2013 में सिओल में बनाया गया था।

फिर जब मुझे एक दिन बेटी के बाथरूम में जाने का चान्स मिला, तो अहसास हुआ कि उस बाथरूम की श्वेत-श्याम टाइल्स को उसने रंगीन बना दिया था। जाहिर है टाइल्स बदलकर नहीं, बल्कि कई रंगीन यूटिलिटी आइटम के जरिए, जिनका वह इस्तेमाल कर सकती थी! टूथब्रश एक कवर में चला गया था, जो आईने पर लगाए गए किसी खिलौना कंगारू की तरह लग रहा था और वह भी बहुत ही आकर्षक और पेस्टल कलर यानी हल्के रंगों में। नहाने के टॉवेल किसी बेबी फ्रॉक की तरह लग रहे थे। उसकी स्लीपर पर एक्यूपंक्चर बीड्स थीं और मैंने देखा कि बाथरूम में आकर्षक रंगों की कई चीजें हैं जैसे सोप होल्डर, शैम्पू और टूथपेस्ट स्टैंड आदि। जब मैंने उसके इन चुनाव के बारे में बोलना शुरू किया, तो उसने मुझे अपने स्टडी टेबल में कुछ और चीजें दिखाई जैसे इरेजर जो डायनोसार जैसा दिखता था, पेन में छिपी कैचियां, गुलाबी रंग के टेबल पर रखे जाने वाले पंखे और फोल्ड हो सकने वाली बॉस्केट भी। उसके पास अपनी ड्रेस से मैच करते आधा दर्जन से ज्यादा अलग-अलग ईयरफोन थे। तभी मुझे उनकी कीमत का भी पता चला। उनकी कीमत तुलनात्मक रूप से ठीक थी और हर ईयरफोन 190 रुपए से ज्यादा का नहीं था। फिर उसने मुझे कुछ रंगीन किचन आइटम दिखाए, जो उसने अपनी मां के लिए खरीदे थे, मुझे ख्याल नहीं आता कि उन चीजों रंग कभी श्वेत-श्याम के अलावा मेरे ख्याल में आया होगा। तब जाकर मुझे अहसास हुआ कि मेरे घर पर कोरियाई प्रोडक्ट्स का आक्रमण हुआ है।

मैनेजमेंट के व्यक्ति के रूप में मुझे तत्काल अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस से एक रिपोर्टर द्वारा पूछा गया सवाल याद आ गया। उसने पूछा, ‘जेफ, आपके हिसाब से अगले दस वर्षों में सबसे ज्यादा क्या बदलेगा?’ जेफ ने सवाल को उलटते हुए जवाब दिया, ‘सवाल तो अच्छा है पर बेहतर सवाल यह होता, अगले10-20 वर्षों में क्या नहीं बदलने वाला है?’ वे कहना चाहते थे कि अमेजन के नजरिए से कम कीमत में अधिक तेजी से डिलिवरी की लोगों की इच्छा नहीं बदलने वाली है। उनकी बात कितनी सच है। बेटी के हमउम्रों के बीच जल्दी से किए सर्वे से पता चला कि आकर्षक, तुलनात्मक रूप से कम कीमतों वाले और कार्यक्षमता में उम्दा प्रोडक्ट किस तरह घटिया और फेंके जा सकने वाले चीनी उत्पादों को हमारे घरों में आने से रोक रहे हैं। भारत में किचन और ऑफिस की चीजें उबाऊ श्वेत-श्याम रंगों में आती हैं, जबकि कोरियाई उन्हें सुंदर पैस्टल कलर में पेश करते हैं। उन्होंने उबाऊ चीजों को आकर्षक बनाने की कला में महारत हासिल कर ली है और इसलिए ये चीजें नावेल्टी हो गई हैं। यह वाकई हमारी युवा पीढ़ी के दिमागों पर हुआ ‘के-आक्रमण’ (कोरियन) है। कोई आश्चर्य नहीं है कि कोरियाई आंत्रप्रेन्योर न सिर्फ स्टोर खोल रहे हैं (हाल ही में मैं बेंगलुरू गया था, जहां छह है और मुंबई में पांच) बल्कि अन्य दुकानों को भी उनके प्रोडक्ट रखने पर मजबूर कर रहे हैं।

इन स्टोर पर जाइए तो आपको हमेशा के खिलौने, नेक पिलो, स्टिकी नोट्स, लंच बॉक्स, वॉटर बॉटल, स्लीपर और यहां तक कि रबर बैंड व हेयर क्लिप तक किसी फ्लैमिंगो, मगर, खरगोश, बिल्ली, व्हैल, बेरी, पाइनएपल आदि में छिपे में मिलेंगे, जिन्हें बड़े प्यार से ‘ककाओ’ फ्रेंड्स कहा जाता है (कोरियाइयों को ये इमोजी कैरेक्टर बहुत पसंद हैं)। युवा उन्हें इसलिए नहीं खरीदते, क्योंकि उन्हें इसकी जरूरत है बल्कि ये उन्हें स्टाइल स्टेटमेंट देने का मौका देते हैं।

फंडा यह है कि यदि आप फूलता-फलता बिजनेस चाहते हैं तो सबसे उबाऊ व नीरस दिखने वाले प्रोडक्ट्स को रंगीन, आकर्षक, सराहनीय और तुलनात्मक रूप से कम कीमत का बनाइए। जनरेशन जेड ने ऐसा कुछ खरीदना बंद कर दिया है, जो ब्लैक एंड व्हाइट होने के साथ महंगा हो। हां, के-वेव ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया है!

मैनेजमेंट फंडा एन. रघुरामन की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए 9190000071 पर मिस्ड कॉल करें

एन. रघुरामन

मैनेजमेंट गुरु

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