चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। पंजाब को कृषि और ग्रामीण विकास के लिए इस वर्ष नाबार्ड पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा राज्य सरकार सहित विभिन्न हितधारकों को 11000 करोड़ सेअधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी यह जानकारी आज प्रेस को संबोधित करते हुए जे. पी. एस. बिंद्रा मुख्य महाप्रबन्धक नाबार्ड पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ पत्रकारों को दी। ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास पंजाब राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता है, नाबार्ड ने राज्य में इन्फ्रास्ट्रक्चर सम्बन्धी विभिन्न परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। पंजाब में आरआईडीएफके तहत संचयी संवितरण 31 मार्च 2019 तक 6601करोड़ रुपए हो गया है। इसके अतिरिक्त नाबार्ड ने लुधियाना में मेगा फूड पार्क के विकास के लिए पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड को27.13 करोड़ का टर्म लोन भी स्वीकृत किया है नाबार्ड भंडारण गोदामों, साइलो आदि के निर्माण के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। वेयरहाउस इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत नाबार्ड ने पंजाब को 5 लाख एमटी के साइलो के निर्माण के लिए पनग्रेनको 210 करोड़ रुपये औरपीएसडब्ल्यूसीकोनए गोदामों के निर्माण और वर्तमान गोदामों के कायाकल्प और आधुनिकीकरण के लिए 255 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। नए कार्यकलापों में राज्य मे कैंसर के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए नाबार्ड ने आरआईडीएफ के अंतर्गत अमृतसर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में न्यू स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट,न्यूक्लियर मेडिसिन ब्लॉक और रेडियोथेरेपी ब्लॉकऔर फाजिल्का में टिर्शरी कैंसर केयर अस्पताल की स्थापना के लिए53.50 करोड़ रुपए के एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है । राज्य में चार प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ और सिंचाई की गहनता बढ़ाने के लिए पंजाब के 13 जिलों में सिंचाई के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स से ट्रीटेड वाटर के उपयोग के लिए, आरआईडीएफके तहत राज्य सरकार को 88.95 करोड़ रुपएकी वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।कृषि में पूंजी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए, नाबार्ड ने वर्ष 2018-19 के दौरान विभिन्न बैंकों को 3749.41 करोड़ रुपये का पुनर्वित्त प्रदान किया। इसे वर्ष 2019 -20 के दौरान बढ़ाकर 4000 करोड़ रुपये किया जाएगा। नाबार्ड द्वाराकिसानों को रियायती ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को अल्पावधि पुनर्वित्त के तहत वित्तीय सहायता भी इस वर्ष बढ़ाने का प्रस्ताव है । राज्य सरकार को बुनियादी ढाँचा केनिर्माण के लिए वित्तीय सहायता और जनसंख्या को शिक्षित / प्रशिक्षित करने के लिए राज्य में विभिन्न विकासात्मकपहलें भी की हैं। बिंद्रा ने कहा कि पंजाब में पैडी स्ट्रॉ जलाना एक बड़ा मुद्दा है, इससे न केवल मीथेन, कार्बनडाईऑक्साइड और नाईट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता हैबल्कि मानव और पशुधन को प्रभावित करने के अतिरिक्त यह कृषि उत्पादकता को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है. राज्य के सभी 22 जिलों में फसल अवशेष प्रबंधन पर जागरूकता अभियान चलाकर4,000 क्लस्टरों में 11,000 धान उगाने वाले गांवों को शामिल किया गया था।इसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं क्षेत्र में समग्र रूप से 10 कीगिरावट आई है.इस वर्ष भी पैडी स्ट्रा को ना जलाने और इस सम्बन्ध में उपलब्ध विकल्पों के बारे में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए हमारे हितधारकों की मदद से एक अभियान शुरू किया गया है।इसके अतिरिक्त फसल विविधीकरण के लिए कृषि विभाग, पंजाब को भी फंड प्रदान किया गया है जिससे 05 जिलों मेंजहां धान उगाया जाता है, वहां परमक्का क्लस्टरों को विकसित किया गया है. इस वर्ष 07 जिलों में 20 नए मक्का क्लस्टरोंको बढ़ावा दिया जा रहा है.लुधियाना, बटिंडा और तरनतारन03 जिलों में 05 वर्ष की अवधि के दौरानजलवायु स्थिति-स्थापक पशुधन के लिए एनएएफसीसी के तहत 17.39 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय की एक अन्य परियोजना कोपीएससीएसटी के माध्यम से नाबार्ड द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है.इनपुट आपूर्ति, फसल उत्पादकता और विपणन के मुद्दे के समाधान के लिए नाबार्ड ने अब तक राज्य के 19 जिलों में 91 एफपीओ को बढ़ावा दिया है जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं. इन एफपीओ ने छोटे और सीमांत किसानों की खेती के सामूहिक रूप से संचालन करने में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है. नाबार्ड ने इन एफपीओ को भी डिजिटाइज किया है जो उन्हें क्रेडिट लिंकेज में मदद करेगा। नाबार्ड, नाबार्ड की सहायक कंपनी नैबकिसान फाइनेंस लिमिटेड के माध्यम से बैंकों से क्रेडिट प्राप्त करने के लिए पात्र एफपीओ की सहायता करेगा। इस कम्पनी का मुख्य उद्देश्य कृषि, कृषि संबद्ध और ग्रामीण गैर-कृषि गतिविधियों में लगे उद्यमों के प्रचार, विस्तार और व्यावसायीकरण के लिए क्रेडिट प्रदान करना हैनाबार्ड द्वारा एक एकीकृत जल प्रबंधन योजना (आईडब्ल्यूएमएस) तैयार की गई है जिसे फिरोजपुर और मोगा दो जिलों में लागू किया जाएगा, जिनकी पहचान भारत सरकार द्वारा आकांक्षी जिलों के रूप में की गई है. जहां लगभग 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले 5 गांवों का समूह ,प्रत्येक जिले में विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जल संरक्षण उपायों, अन्य योजनाओं और फंड्स के साथ कवर किया जाएगा।नाबार्ड गैर-कृषि गतिविधियों में लगे ग्रामीण कारीगरों, बुनकरों और उद्यमियों को भी बढ़ावा दे रहा है।आरएसईटीआई / रुडसेटी और एनजीओ आदि के माध्यम से विभिन्न कौशल विकास पहलें की जा रही हैं. अपने उत्पादों के विपणन का समर्थन करने के लिए कारीगरों / एसएचजी को राज्यों में और ग्रामीण मार्ट और ग्रामीण हाट के माध्यम से मेलों में भागीदारी के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है.गत वर्ष नाबार्ड द्वारा होशियारपुर कीलाम्ब्रा कांगड़ी सहकारी समिति को एक ग्रामीण हाट की मंजूरी दी गई और 05 ग्रामीण मार्ट के लिए वित्तीय सहायता भी दी गई.साथ ही संगरूर जिले में फुलकारी कला पर एक क्लस्टर को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान भवन में विशेष मेला ‘नैबक्राफ्ट’का आयोजन किया जिसमें 8 अलग-अलग राज्यों के कारीगरों ने भाग लिया। इस वर्ष भी हम इसी तरह के मेले का आयोजन कर रहे हैं।बिंद्रा ने बताया कि नाबार्ड वित्तीय साक्षरता और बैंकिंग सूचना प्रौद्योगिकी को मजबूत बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।ग्रामीण जनता के बीच डिजिटल साक्षरता सम्बन्धी जागरूकता को बेहतर करने के लिए, बैंकिंग तकनीकों जैसे एटीएम, माइक्रो एटीएम, पीओएसमशीन आदि के प्रदर्शन के लिए वित्तीय समावेशन निधि के तहत दी गई वित्तीय सहायता से वर्ष के दौरान 02 मोबाइल वैन लगाई गई.स्कूलों, कॉलेजों, दुग्ध समितियों आदि में माइक्रो-एटीएम लगाने के लिए और डिजिटल भुगतान की सुविधा के लिए टियर -3 से टियर- 06 केंद्रों में पीओएस / एम पीओएस मशीनों के लिए वाणिजिय बैंकों और आरआरबी को वित्तीय सहायता दी जाएगी । नाबार्ड नैबकास के माध्यम से कंसल्टेंसी प्रदान कर रहा है। राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा सेक्टर 39 (पश्चिम), चंडीगढ़ में दूसरी अनाज, फल और सब्जी मंडी को प्रमोट करने के लिए परियोजना को कार्यान्वित करने हेतु एवं डीपीआर तैयार करने और परियोजना प्रबंधन कंसल्टेंसी प्रदान करने के लिए नैबकांस, नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी की सेवाएं ली जा रही हैं।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020