Dainik Bhaskar
Sep 19, 2019, 09:49 AM IST
उमेश कुमार उपाध्याय/ टीवी डेस्क. अमरावती महाराष्ट्र की बबिता सुभाष ताड़े ने अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (केबीसी 11) में एक करोड़ रुपए जीते। वे स्कूल में मिड डे मील बनाने का काम करती हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष, परिवार, केबीसी की तैयारी और वहां तक पहुंचने तक की पूरी कहानी बताई।
क्या कहा बबिता ने, डालते हैं एक नजर:
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2002 से बना रही मिड मील
मैं अमरावती में स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील में खिचड़ी पकाती हूं। मैंने 2002 में इसकी शुरुआत की थी। तब मात्र स्कूल में मात्र 30 बच्चे थे। अब 450 हैं। शुरुआत में मुझे महज 100 रुपए ही मिल रहे थे। 2011-12 से 1000 रुपए मिलने लगे। इस साल अप्रैल में 1500 रुपए मिलने शुरू हुए। चूंकि मेरे पति 25 साल से इसी स्कूल में प्यून हैं। उन्हें 25-26 हजार रुपए मिलते हैं, जिससे हमारा घर चल जाता है।
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शादी के बाद पूरी की पोस्ट ग्रैजुएशन
बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई अच्छे से करती आई हूं। पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष किया है, इसलिए इसका महत्व समझती हूं। जब एम.ए. सेकंड ईयर में थी, तब मेरी शादी हो गई। इसके बाद पोस्ट ग्रैजुएशन पूरी की। मेरे पति 12वीं तक पढ़े हैं, क्योंकि आगे पढ़ाई करने के लिए सपोर्ट नहीं मिला। मुझे एक बेटा और एक बेटी है। बेटी ग्रैजुएशन कर रही है और बेटा 10वीं कक्षा में है।
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केबीसी के कई सीजन देखे हैं
मैंने ‘केबीसी’ के सारे सीजन देखे हैं। इसकी तैयारी के लिए मराठी न्यूज पेपर और समाचार चैनल देखती आई हूं। जहां से जानकारी मिलती थी, वह पढ़ती थी। लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रही थी, क्योंकि मेरे पास फोन नहीं था। 2008 के बाद मेरे घर टीवी आई। पिछले साल मैंने फोन लिया, तब रजिस्ट्रेशन करा पाई। पर सिलेक्शन नहीं हो पाया था।
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अधिकारी बनने का सपना देखती थी
मेरे पिताजी राजकीय निवास में खानशामा थे। बड़े-बड़े अधिकारियों के लिए भोजन बनाते और रूम की देखभाल करते थे। मैं वहां उनको हेल्प करती थी और समय मिलने पर रात में पढ़ाई करती थी। वहां शूट-बूट पहनकर बड़े-बड़े अधिकारी आते थे। उनका एटीट्यूड देखकर अच्छा लगता था। उन्हें देखकर सोचती थी कि मैं भी पढ़-लिखकर इनके जैसी अधिकारी बनूंगी।
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पति को जीत का श्रेय
‘केबीसी’ में जीत का श्रेय पति को दूंगी। उन्होंने मुझे कभी पढ़ाई करने से नहीं रोका। वो जानते हैं कि मैं चीजों को हैंडिल कर लूंगी। इसलिए सपोर्ट करते रहे। उनके सपोर्ट के बगैर यह सब होता भी नहीं। वे मेरे काम का सम्मान करते हैं और मैं भी करती हूं।
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लोगों को कंफर्टलेबल महसूस कराते हैं अमिताभ
अमिताभ बच्चन बहुत महान हैं। मैं तो सोच भी नहीं सकती थी कि उनसे मिल पाऊंगी। बहुत अच्छे हैं वे। वे लोगों के लेवल पर जाकर बात करते हुए उन्हें कंफर्टलेबल महसूस कराते हैं। यह उनकी बहुत अच्छी आदत है।
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मिड डे मील का काम नहीं छोड़ूंगी
मेरे ससुराल में एक शिवालय है, वह खराब हो चुका है। जीत की रकम में से कुछ पैसा खर्च कर उसे बनवाऊंगी। छोटा है, पर कितना खर्च लगेगा, यह पता नहीं। बच्चों को अच्छी पढ़ाई करवाऊंगी। उनकी लाइफ सिक्योर करना चाहूंगी। इसके बाद मेरे पति जो कहेंगे, वह करूंगी। क्योंकि वे मुझसे अच्छा मैनेजमेंट करते हैं। उन्होंने पुरानी बाइक ली है। उनके लिए नई बाइक लूंगी। हां, मिड-डे मिल का काम कभी नहीं छोड़ूंगी।
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