- रेत माफिया से रुपए लेकर गिनते एसडीओपी के 17 वीडियाे बनाए गए थे, एक रेत माफिया ने हाल ही में 5 वीडियो वायरल कर दिए
- इसके बाद भास्कर ने जबलपुर संभाग में धड़ल्ले से हो रहे अवैध रेत खनन पर स्टिंग ऑपरेशन किया
- एसपी बोले- हाईकोर्ट में क्या-क्या चलता है, यह सब जानते हैं; वीडियो में रुपए गिनने वाला एसडीओपी खुलकर बोला- कोर्ट में 10 लाख खर्च कर स्टे लाया
- पाटन टोल नाका और भेड़ाघाट बाइपास पर बिना नंबर प्लेट वाले डंपर और हाइवा दिनभर खुलेआम खड़े रहते हैं
Dainik Bhaskar
Sep 14, 2019, 08:05 AM IST
जबलपुर से लौटकर प्रमोद कुमार त्रिवेदी. मध्यप्रदेश के जबलपुर को संस्कारधानी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इन दिनों जबलपुर को पुलिस, प्रशासन और नेताओं की करतूत ने अवैध रेत कारोबार की राजधानी बना दिया है। संस्कारधानी में अवैध रेत कारोबारियों से लाखों रुपए का लेन-देन करने का एसडीओपी का वीडियो हाल ही में सामने आया तो हमने मामले की पड़ताल की। खुलासा बहुत शर्मनाक था। जबलपुर संभाग में सालाना हजार करोड़ का अवैध रेत कारोबार हो रहा है। वह भी खुलेआम। एसपी, कलेक्टर, नेता-मंत्री-विधायक सब मानते हैं कि ये कारोबार चल रहा है। सबने खुलकर स्वीकारा- ‘जी हां! ये रेत की चोरी है, अवैध कारोबार चल रहा है।’ ये भी कहा कि यह आज से नहीं, बरसों से चल रहा है। एसपी ने यहां तक कहा कि जब तक पाठक जैसों को न्यायिक संरक्षण मिलता रहेगा, हम कुछ नहीं कर सकते। विवादित एसडीओपी एसएन पाठक तो खुलकर बोलता था कि कोर्ट में 10 लाख खर्च करके स्टे लाया हूं। आप लिख सकते हैं तो लिखिए कि कोर्ट में क्या-क्या चल रहा है? (ऑडियो भास्कर के पास) आप नहीं जानते क्या?
हम अवैध रेत कारोबार के लिए कुख्यात हो चुके पाटन, शहपुरा, बेलखेड़ा, बरगी, भेड़ाघाट, चरगवां, सीहोरा के आसपास के गांव और नदी के घाट पर पहुंचे तो देखा कि अवैध कारोबारी बेखौफ हैं। बिना नंबर प्लेट वाले डंपर दिन में खुलेआम टोल बैरियर पर खड़े थे। रात को रेत भरकर जबलपुर की सड़कों पर गुजर रहे थे। पुलिस-प्रशासन की नाकामी का सच देखिए कि माफियाओं ने खुलेआम सरकारी स्कूल, अनाज मंडी, एमपीईबी के ऑफिस, सोसायटी प्रांगण, सरकारी सड़क को अपनी जागीर समझते हुए इन जगहों पर हजारों डंपर अवैध रेत का अंबार लगा दिया और बंदूकधारियों का पहरा बैठा दिया। नदी में उत्खनन पर बैन है। सभी ठेके निरस्त हैं, लेकिन नर्मदा, हिरन, गौर, दतला, बेलकुंड में मशीनों से रेत की खुदाई हो रही है।
पाटन की अनाज मंडी में सैकड़ों डंपर रेत कहां से आई?
हम पाटन की अनाज मंडी पहुंचे। मंडी चुनाव न होने से अनाज मंडी की पूरी जिम्मेदारी सचिव और एसडीएम की है, लेकिन हाईवे स्थित पाटन की अनाज मंडी में सैकड़ों डंपर रेत रखी है। बाउंड्री और गेट होने के बाद भी रेत माफियाओं का हौसला देखिए कि उन्होंने खुलेआम मंडी में रेत डंप कर दी। बताया गया कि एक प्रभावशाली नेता का अवैध कारोबार मंडी प्रांगण से चलता है, लेकिन पुलिस-प्रशासन को रेत नहीं दिखती। जब मंडी के गार्ड से पूछा कि ये रेत कहां से आई और किसकी है तो वो बिना कुछ बोले एक तरफ चला गया। कलेक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि आपने जो स्पाॅट देखे, वो बताएं तो हम कार्रवाई करेंगे।
गाड़ाघाट में स्कूल मैदान और कटरा में एमपीईबी ऑफिस में अवैध रेत का अंबार
जिस एसडीओपी एसएन पाठक का वीडियो वायरल हुआ, उसका कार्यक्षेत्र पाटन और शहपुरा था। हम पाटन पहुंचे तो पता चला कि बाहरी गाड़ी को देखते ही खनन माफिया हमला कर देते हैं। हमें जिला पंचायत सदस्य ठाकुर उदयप्रताप सिंह ने बताया कि आप अपनी गाड़ी यहीं छोड़ दीजिए। बाहरी गाड़ी से आपको खतरा है। हमने अपनी गाड़ी पाटन में छोड़ी और जनपद अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह की गाड़ी से गाड़ाघाट की ओर रवाना हुए। हमने देखा कि जहां-जहां रेत का अंबार था, वहां-वहां बंदूकधारी पहरा दे रहे थे। हम गाड़ाघाट गांव के स्कूल और मार्केटिंग सोसायटी पहुंचे तो देखा कि इन सरकारी भवनों के सामने मैदान में सैकड़ों डंपर रेत का अंबार लगा था। हमने ग्रामीणों से पूछना चाहा तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता। स्कूल के बच्चों के चेहरे पर भी खौफ साफ झलक रहा था। बच्चे अपना नाम भी नहीं बता रहे थे। गाड़ाघाट के बाद हम कटरा पहुंचे तो वहां एमपीईबी के ऑफिस प्रांगण में ही अवैध रेत का अंबार था।
सालीवाड़ा में खेत में रेत का अंबार, कई गांवों में सड़क किनारे से ही अवैध कारोबार
हम साड़ीवाड़ा गांव पहुंचे तो सड़क किनारे के खेत में रेत के टापू बने हुए थे। बूढ़ी गोनी, कोनीगांव, कुंवरपुर, इटवा, इमलिया, सुरैया, छिमरिया, पड़रिया, कांटीधाम, मटवारा जैसे गांवों में सड़क किनारे रेत का अंबार था। कई स्थानों पर रेत उठ गई थी, कई जगहों पर डंपर से रेत लाई जा रही थी।
रात 12 बजे से जबलपुर की सड़कों पर डंपर दौड़ते हैं
हमें पता चला कि रात 12 बजे से लेकर तड़के 4 बजे तक शहर में अवैध रेत के डंपर आते हैं। हम मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो देखा कि एक होटल में दो सिपाही खड़े हैं। कुछ देर में डंपरों के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन पुलिस को इन डंपरों से कोई वास्ता नहीं था। हम भेड़ाघाट चौराहे पर पहुंचे तो अंधेरे में लगभग एक दर्जन डंपर खड़े थे। मेडिकल से एक रास्ता गढ़ा थाने के लिए जाता है, दूसरा संजीवनी नगर थाने के सामने से। ज्यादातर डंपर संजीवनी नगर थाने के रास्ते से कच्छपुरा ब्रिज होते हुए शहर में आ रहे थे। रात के दो बजते-बजते तो शहर की तमाम सड़कों पर रेत के डंपर और ट्रेक्टर-ट्राली नजर आने लगे। कहीं इक्का-दुक्का पुलिस वाले दिखे भी तो उन्हें केवल उन ट्रकों से मतलब था, जो राज्य के बाहर से थे।
माफिया पहले नदी से उत्खनन करके सड़क किनारे डंप करते हैं, सुरक्षा के लिए पहरेदारी
रेत माफिया रात 8 बजे से नदी में उत्खनन शुरू कर देते हैं। सुबह के 5 बजे तक उत्खनन चलता है। रेत माफियाओं ने बारिश में नदी के घाट तक पहुंचने के लिए जो रास्ते बनाए हैं, वो ऐसे हैं जिन पर केवल डंपर या ट्रैक्टर ट्राली जा सकें। रातभर रेत का उत्खनन करके गांव के सरकारी स्कूल, सड़क किनारे के खेत, गांव की सड़क के दोनों तरफ रेत को डंपर से इकट्ठा किया जाता है। इस रेत की रखवाली के लिए पहरेदार बिठाए जाते हैं। कई जगह पर तो बंदूकधारी इस रेत की पहरेदारी कर रहे थे। अगर कोई इस रेत के पास पहुंचता है तो तत्काल रेत-माफिया के लोग इकट्ठा हो जाते हैं और हमला भी कर देते हैं।
टोल का सीसीटीवी देखकर खुल जाएगी अवैध परिवहन की पोल
सरकार चाहे तो जबलपुर में अवैध परिवहन के सबूत जुटाना और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना बहुत आसान है। जबलपुर से 38 किलोमीटर पहले पाटन पर टोल बैरियर है। इसी टोल बेरियर पर बिना नंबर के डंपर, हाइवा खड़े रहते हैं। जबलपुर जाने के लिए इसी टोल से निकलना होगा। हिरन नदी से निकली अवैध रेत का परिवहन भी इसी टोल बेरियर से होता है। एसपी भी मानते हैं कि अगर इस टोल के सीसीटीवी फुटेज देखें या इस टोल पर निगरानी करें तो एक डंपर भी नहीं निकल सकता। इसी तरह भेड़ाघाट बायपास से तमाम अवैध डंपर गुजरते हैं।
दो बड़े किरदार जो बोलने से बचना चाह रहे हैं
1) सब सच बताने की बात कहकर रेत कारोबारी ने मोबाइल बंद कर लिया
आपको नंबर कहां से मिला? हम मिलकर बताएंगे सब सच। हम आपसे आधे घंटे बाद मिलते हैं। – अमित अग्रवाल, रेत कारोबारी (अमित ने दो-तीन बार आधे-आधे घंटे बाद मिलने का कहा, फिर मोबाइल बंद कर लिया) (एसपी के अनुसार, अमित अग्रवाल ही एसडीओपी का लेनदेन करता था और उसी ने वीडियो बनवाया)
2) एसडीओपी को लगता है कि उनका करियर खराब हो गया
मैं क्या बोलूं। मैं बीमार हूं इसलिए नहीं मिल सकता। मेरा तो कॅरियर ही खराब हो गया। मैं कैसे कह सकता हूं कि किस पुलिस वाले ने फंसाया। मेरे खिलाफ षड्यंत्र हुआ है, क्योंकि हाईकोर्ट से स्टे लेकर नौकरी कर रहा था।- एसएन पाठक, वायरल वीडियाे में रुपए गिनते दिखने वाला एसडीओपी
पुलिस अधीक्षक बोले- मैंने हर मीटिंग में एसडीओपी को डांटा
रेत माफियाओं के सामने पुलिस किस तरह से लाचार है ये एसपी अमित सिंह के शब्दों में साफ झलक रहा था। माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न कर पाने का दर्द आईपीएस अमित सिंह ने खुलकर जाहिर किया। उन्होंने आक्रोशित होकर कहा कि मैंने तो हर मीटिंग में एसडीओपी को डांटा। लिखित में भी निंदा की, लेकिन कोर्ट के आदेश के कारण उसे हटा नहीं सकते थे। हमने पाटन के एसडीओपी के क्षेत्र में जाकर सीधे भी कार्रवाई की। जो पहले राक्षस था, वो कोर्ट के आदेश के बाद डकैत बन गया। रेत माफिया अमित अग्रवाल ने पाटन के एसडीओपी एसएन पाठक को डैडी बनाकर लेन-देन किया, फिर वीडियो बनाया। एसडीओपी देवी सिंह ने वीडियाे वायरल किया। हाईकोर्ट के आदेश हमें मजबूर कर देते हैं। हम क्या कर सकते हैं? हाईकोर्ट ने तो एसएन पाठक को पाटन एसडीओपी बनाने के नियुक्ति पत्र की तरह आदेश दे दिए।
एसडीओपी बचाव में बोला- मैं तो इनके साथ (रेत माफियाओं) ऑर्गेनिक गुड़ का कारोबार कर रहा था
रेत माफियाओं के साथ रुपए गिनने वाले एसडीओपी एसएन पाठक के खिलाफ एएसपी जांच कर रहे हैं। पाठक ने अपने बचाव में कहा कि मैं तो ऑर्गेनिक गुड़ का कारोबार करना चाहता था। वही रुपए मैंने लोगों को दिए थे और अब वापिस ले रहा था। मैं निर्दोष हूं।
अमित अग्रवाल और एसडीओपी के विवाद से वायरल हुआ वीडियो
अमित अग्रवाल पर भी अवैध रेत कारोबार के कई केस बने हैं। उसकी एक मशीन भी अवैध रेत खुदाई के कारण जब्त हुई है। अमित अग्रवाल और एसडीओपी एसएन पाठक में गहरे संबंध थे। एसडीओपी पाठक के लिए अमित रेत कारोबारियों से लेन-देन का काम करता था। तबादला होने से लेकर पाठक के हाईकोर्ट से स्टे लेने में तकरीबन दो माह का समय लगा। इन दो महीनों में रेत कारोबारियों ने पाठक को रुपया नहीं दिया। पाठक ने दो माह की भरपाई के लिए अमित पर दबाब बनाया और उसके एक अवैध रेत के डंप और मशीन पर कब्जा कर लिया। इसी के साथ इनके बीच एक जमीन खरीद को लेकर भी विवाद था। यही कारण था कि अमित अग्रवाल ने एसडीओपी पाठक का वीडियाे बनवाया।
अमित अग्रवाल भूमिगत, पत्नी बोलीं- कहां है, पता नहीं
एसडीओपी का वीडियो बनवाने वाले अमित अग्रवाल के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वह भूमिगत हो गया है। जब हम धनवंतरी नगर में अमित अग्रवाल के घर पहुंचे तो घर के बाहर बिना नंबर प्लेट की स्कोडा खड़ी थी। अमित अग्रवाल से मिलने का कहा तो उनकी पत्नी बोलीं कि कहां हैं पता नहीं है। वो घर पर नहीं आते। मोबाइल नंबर मांगा तो पहले बोलीं कि मोबाइल स्विच ऑफ है। फिर बोलीं कि मोबाइल गिर गया है।
पंचायत सदस्य बोले- प्रशासन ठान ले तो एक ढेला नहीं उठ सकता
जबलपुर के जिला पंचायत सदस्य ठाकुर उदयप्रताप सिंह कहते हैं कि कई शिकायतों और डंपर के नंबर देने के बाद भी पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से अवैध रेत का कारोबार चल रहा है। पुलिस तो जब्त मशीन को भी किराए पर चलाकर रुपए वसूलने में लग जाती है। टोल बैरियर से खुलेआम डंपर गुजरते हैं। अगर प्रशासन-पुलिस चाहे तो पलभर में रेत का कारोबार रुक जाए। प्रशासन सोच ले तो रेत का एक ढेला नहीं उठ सकता। हमने लिखित में दो दर्जन शिकायत की हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। संभाग में अवैध रेत का एक हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार है। रुपयों के लालच से यह बंद नहीं हो सकता।
रेत कारोबारी ने कहा- अब ईमानदारी से रेत का व्यापार संभव नहीं
रेत कारोबारी संजू सेन ने बताया कि लाखों रुपए की कमाई होती है, इसलिए न तो अवैध रेत का कारोबार बंद हुआ है और न होगा। अवैध माफियाओं ने प्रशासन के साथ मिलकर ऐसा हाल कर दिया है कि कोई भी एक नंबर में रेत का कारोबार नहीं कर सकता। सभी कागज पूरे होने पर एक गाड़ी के डेढ़ हजार रुपए तक देना पड़ते हैं। वन विभाग का बैरियर हो तो राॅयल्टी दिखाने के साथ रुपए देने पड़ते हैं। पुलिस, खनिज अधिकारी, खनिज इंस्पेक्टर से लेकर नेताओं तक को रुपया देना पड़ता है।
बड़ा आरोप- ‘हमने तो एक डंपर के लिए 50 हजार रुपए तक दिए हैं’
रेत-टोल ठेकेदार अमित खम्परिया बताते हैं कि एसएन पाठक तो अवैध रेत के महीने के केवल 20 हजार रुपए डंपर लेता था, लेकिन इसके पहले तो एसडीओपी 50 हजार रुपए डंपर लेता था। उसे एक डंपर के प्रति चक्कर डेढ़ हजार रुपए चाहिए थे, वह भी रॉयल्टी के साथ। मैंने तो पूर्व एसडीओपी उपाध्याय और टीआई पांडे का नाम लिखकर हाईकोर्ट में रिट लगाई है। अब तो शिवा कार्पोरेशन आ रही है। पहले भाजपा नेताओं के साथ तो अब जबलपुर के कांग्रेस नेताओं के साथ उसकी पार्टनरशिप रहेगी। नई रेत नीति तो शिवा कार्पोरेशन के लिए ही बनाई गई है।
कलेक्टर ने भी माना- रेत चोरी हो रही है
जबलपुर के कलेक्टर भरत यादव कहते हैं कि ये सही है कि रेत की चोरी हो रही है, लेकिन हम कार्रवाई कर रहे हैं। आपने जो शासकीय स्थानों पर डंप अवैध रेत देखी है, उसकी जानकारी देंगे तो हम उस पर भी कार्रवाई करेंगे।
पूर्व मंत्री ने कहा- शिवराज भी नहीं रोक पाए और ये भी नहीं रोक पा रहे हैं
पूर्व मंत्री और जबलपुर के पाटन से वर्तमान भाजपा विधायक अजय विश्नोई कहते हैं कि सब चोर-चोर मौसेरे भाई मिले हुए हैं। शिवराज जी भी रेत की चोरी नहीं रोक पाए और ये भी नहीं रोक पा रहे हैं। ये सही है कि गठजोड़ से अवैध रेत का कारोबार चल रहा है। रेत का कारोबार तो ऐसा है कि दुश्मनों की दोस्ती हो जाती है। बरगी से भाजपा की पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह और वर्तमान विधायक संजय यादव की बिना सीमेंट की मजबूत दोस्ती रेत ने करवा दी है। सबसे बड़े रेत के ठेकेदार मंत्री तरुण भनोत हैं। इनका हमारी पार्टी के मोती कश्यप के साथ नाम आया था। कमलनाथ ने तो रेत के क्षेत्र बांट दिए हैं। एक घाट अवस्थी को तो एक घाट यादव को। ये लोग पुलिस-प्रशासन को संभालने की जिम्मेदारी लेकर पार्टनरशिप कर लेते हैं। मैंने कलेक्टर को पत्र लिखकर तमाम क्षेत्रों के उत्खनन की जानकारी दी है, लेकिन सब मिले हैं तो कार्रवाई नहीं हुई। मेरा तो साफ कहना है कि रेत को इतनी सस्ती कर दो कि चोरी की जरूरत ही न हो।
मंत्री ने भी कहा- अवैध रेत का कारोबार चल रहा है
मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री लखन घनघोरिया कहते हैं कि ये सही बात है कि अवैध रेत का कारोबार चल रहा है, लेकिन 15 साल से चली आ रही अराजकता को हम एकदम ठीक नहीं कर सकते। हम नई रेत नीति ला रहे हैं, इससे बहुत अंकुश लगेगा। एसडीओपी पाटन जैसे मामले सामने आ रहे हैं तो हम सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। विश्नोई जी के आराेप के संबंध में तो वही बता सकते हैं कि किसका किसके साथ कितना गठजोड़ है।