चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। सीनियर एडवोकेट और आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक एच एस फूलका उनके विधायक पद से इस्तीफा मंजूर होने के बाद पहली बार मीडिया से रूबरू हुए मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि रंजीत सिंह की रिपोर्ट में बेअदबी को लेकर जो जो खुलासे हुए थे, उन्हें ठंडे बस्ते में डालने की पूरी पूरी कोशिश की जा रही है। फुलका ने बैंस बंधुओ से भी अपील की कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए अपना इस्तीफा देकर सरकार से इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने का दबाब बनाये। एच एस फूलका ने बताया कि पिछले वर्ष अगस्त 2018 में जस्टिस रंजीत सिंह की रिपोर्ट जनतक हुई थी। और विधानसभा मे पूरा दिन इस पर बहस होती रही थी। एक स्थानीय न्यूज चैनल ने इस बहस का सीधा प्रसारण भी किया था। सरकार के मंत्रियों और अन्य नेताओ ने इस पर बहस करते हुए इस मामले में सख्त से सख्त एक्शन लिए जाने की बात पर जोर दिया था। मंत्रियों ने उस समय भाषण भी दिए थे। रंजीत सिंह की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व डी जी पी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ सबूत जनतक किये थे।विधानसभा में बहस के बाद सरकार ने प्रकाश सिंह बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ एक्शन के बारे में कोई भी ऐतराज नही किया। जबकि उसी समय एच एस फूलका ने सरकार के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये पर ऐतराज जताया और मीडिया के समक्ष कहा कि सरकार ने ये बेहतरीन मौका खो दिया है। और उसी दिन सरदार फूलका ने कहा था कि प्रकाश सिंह बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ किसी भी तरह का एक्शन लिए जाने की सरकार की कोई मंशा नजर नही आ रही है। इसीके बाद उन्होंने विधायक पद से अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी। उनके इस्तीफे की घोषणा के बाद कई विधयकों ने उनसे कहा था कि आपने इस्तीफा देने में जल्दबाजी की है। सरकार को वक्त दें ताकि मामले की गंभीरता को देखते हुए ही उसी तरह की कार्यवाही की जा सके। अब पूरा एक साल बीत चुका है, सरकार ने कार्रवाई तो क्या रंजीत सिंह की रिपोर्ट के उन सभी खुलासों को भुलाते हुए चुप्पी ही साध ली है। एच एस फूलका ने कहा कि आज हालात ये है कि अकाली दल इंसाफ का मसीहा बन कर सामने आ रहा है। इसके साथ ही सी बी आई की क्लोजर रिपोर्ट को भी चैलेंज करने की बात कर रहा है। इन सब से ये जाहिर होता है कि असली मुद्दों से जनता को भटकाने की कोशिश की जा रही है। अकाली दल सुप्रीम कोर्ट के जज से अब इस मामले की जांच की मांग कर रहा है और मीडिया को गुमराह कर रंजीत सिंह की रिपोर्ट को खत्म करना चाहता है।इसी कारण वो रंजीत सिंह की रिपोर्ट की जगह नई इन्क्वारी की मांग कर रहे है। ताकि इस जांच में कई साल लग जाएंगे और मुद्दा भटक जाएगा।एच एस फूलका जी ने आगे कहा कि इस वक्डत रंजीत सिंह की रिपोर्ट के खुलासों के ऊपर ध्यान केंद्रित करने के लिए उनको विधानसभा स्पीकर पर उनका इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए दबाब डालना पड़ा। जो विधायक कहते थे कि सदन के भीतर बैठकर ही मसला हाल होगा। वो तो अभी तक सदन में है, उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर क्या हुआहै आज हालात ये है की उन सब मे से कोई भी रंजीत सिंह की रिपोर्ट पर चर्चा तो क्या बात भी नहीं कर रहा। रंजीत सिंह रिपोर्ट के जनतक होने के बाद सदन में बोलते हुए नवजोत सिंह सिद्धू की आंखे नम हो गयी थी और उन्होंने अपनी झोली फैला कर जनता के हित मे इंसाफ की गुहार लगाई थी। आज एक साल बीत जाने के बाद भी सिद्धू चुप है। वो इस्तीफा क्यों नही देते। एच एस फूलका ने सुखपाल सिंह खैरा से भी कहा कि बार बार पार्टी बदलने की बजाए जनता के हितों को ध्यान में रख कर रंजीत सिंह रिपोर्ट पर दोषियों पर एक्शन लिए जाने को लेकर सरकार पर दबाब बनाने के लिए लड़ीबार इस्तीफा दे।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020