Dainik Bhaskar
Aug 10, 2019, 05:31 AM IST
चंडीगढ़. रिटेलर द्वारा कैरीबेग बेचकर मुनाफा कमाने की कोशिशों पर चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट लगातार प्रहार कर रही है। यूटी स्टेट कंज्यूमर रेड्रेसल कमीशन ने ऐसे ही एक मामले में फुटवियर कंपनी बाटा इंडिया लिमिटेड की याचिका खारिज करते हुए उन्हें उपभोक्ता को मुफ्त में कैरीबैग देने के आदेश दिए हैं।
चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम-1 ने बाटा को कैरीबैग के 3 रुपए लेने पर आड़े हाथों लिया था। फोरम ने इसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार दिया था। उपभोक्ता को 4 हजार का मुआवजा और बाटा इंडिया 5 हजार रुपए देनेे आदेश हुए थे। शिकायतकर्ता दिनेश प्रसाद के खिलाफ दलील रखते हुए बाटा इंडिया ने कहा कि उन्होंने स्वयं ही कैरीबैग खरीदा था, कंपनी ने जबरदस्ती नहीं की थी। पेपर कैरीबैग पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है, इसलिए उसके लिए पैसा लेने अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस के दायरे में नहीं आता।
यह गैरकानूनी है
बाटा की दलील ठुकराते हुए हुए कमीशन ने कहा कि ऐसी दलील इस मामले में पहले ही 18 मार्च को ठुकरा दी गई थी। बार-बार इस दलील का हवाला देने का कोई औचित्य नहीं बनता। इस मामले में साफ तौर पर कह दिया गया था कि उपभोक्ता को कैरीबैग देना रिटेलर की जिम्मेदारी है। क्योंकि वह सामान अपने हाथों में उठाकर नहीं ले जा सकता। कंपनियां अपना विज्ञापन कैरीबैग के जरिए करती हैं। इस नजरिए से इनका पैसा लेना गैरकानूनी है।
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