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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

मैरीकाॅम के सिलेक्शन पर खेल मंत्रालय ने बॉक्सिंग फेडरेशन से जवाब मांगा

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  • वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए बॉक्सिंग फेडरेशन ने बिना ट्रायल के मैरीकॉम को टीम में जगह दे दी है, निखत को उतरने नहीं दिया गया
  • एमसी मैरीकॉम को पिंकी ने 2014 में कॉमनवेल्थ के ट्रायल में हराया था

Dainik Bhaskar

Aug 10, 2019, 09:17 AM IST

खेल डेस्क. वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए दो वेट कैटेगरी में बिना ट्रायल के खिलाड़ियों को चुनने के बाद खेल मंत्रालय ने इस मामले में बॉक्सिंग फेडरेशन से जवाब मांगा है। दिल्ली में पिछले दिनों हुए ट्रायल में बॉक्सिंग फेडरेशन ने 51 किग्रा और 69 किग्रा कैटेगरी का ट्रायल नहीं कराया। एमसी मैरीकॉम की वेट कैटेगरी 51 किग्रा है। इस कैटेगरी की एक अन्य खिलाड़ी निखत जरीन को फेडरेशन ने उतरने से ही मना कर दिया। उन्होंने इसका विराेध करते हुए फेडरेशन के अध्यक्ष के अलावा साई और खेल मंत्रालय को ई-मेल भी किया है।

अब इस विवाद में खेल मंत्रालय कूद पड़ा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खेल मंत्री किरण रिजिजू किसी भी फेडरेशन में बिना ट्रायल के सिलेक्शन के पक्ष में नहीं है। इस कारण उन्होंने नोटिस देकर इस पूरे मामले में जानकारी मांगी है। 2016 में भी सिलेक्शन ट्रायल को लेकर विवाद हुआ था। हरप्रीत सिंह को इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए नहीं चुना गया था। तब वे कोर्ट गए थे और फैसला उनके पक्ष में आया था। वर्ल्ड चैम्पियनशिप के मुकाबले 3 से 13 अक्टूबर तक रूस में होने हैं।

पिंकी ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था
2014 कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले फेडरेशन की ओर से ट्रायल आयोजित कराया गया था। ट्रायल में पिंकी जांगड़ा ने मेरीकॉम को हराकर क्वालिफाई किया। तब मैरीकॉम को दावेदार माना जा रहा था। मैरीकॉम ने 2012 अोलिंपिक में ब्रॉन्ज और 2010 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता था। पिंकी ने कॉमनवेल्थ में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

खेल मंत्रालय के स्पोर्ट्स कोड 2011 के अनुसार, संघों को ट्रायल कराना जरूरी है
खेल मंत्रालय के स्पोर्ट्स कोड 2011 के मुताबिक भारत सरकार से सहायता लेने वाले सभी खेल संघों को इंटरनेशनल इवेंट कराने से पहले ट्रायल कराना अनिवार्य है। लेकिन बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने नियम के उलट वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए 51 किग्रा और 69 किग्रा वेट कैटेगरी के ट्रायल नहीं कराए।

2013 में ट्रायल के बाद भी विवाद हुआ था, सिलेक्शन कमेटी पर आरोप लगे थे
2013 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप के सिलेक्शन ट्रायल के बाद दिनेश कुमार, दिलबाग सिंह और प्रवीण कुमार ने अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी नहीं चुने जाने का आरोप लगाया था। तीन खिलाड़ियों ने कहा था कि विरोधी खिलाड़ियों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के बाद भी उन्हें जानबूझकर सिलेक्शन कमेटी ने नहीं चुना।

रेसलिंग, आर्चरी और जिम्नास्टिक में ट्रायल जरूरी

  • रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा- रेेसलिंग में इंटरनेशनल इवेंट से पहले ट्रायल कराते हैं। ओलिंपिक मेडलिस्ट खिलाड़ी को भी इसमें शामिल होना पड़ता है। पर ओलिंपिक में उसे ही भेजा जाता है जिसने कोटा हासिल किया हो।
  • आर्चरी फेडरेशन के महासचिव संजीब सचदेवा ने कहा- आर्चरी में किसी भी टूर्नामेंट से पहले हर बार ट्रायल आयोजित किया जाता है। किसी खिलाड़ी ने भले ही उस टूर्नामेंट में पहले गोल्ड मेडल जीता हो, उसे भी ट्रायल देना ही पड़ता है।
  • जिम्नास्टिक फेडरेशन के महासचिव डॉ शांता कुमार ने कहा- जिम्नास्टिक में किसी भी इवेंट से पहले साई की ओर से कैंप आयोजित किया जाता है। कैंप के दौरान ओपन ट्रायल भी होता है। ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन करने वाले को टीम में जगह मिलती है।
  • वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के महासचिव सहदेव यादव- वेटलिफ्टिंग में एशियाड के लिए ट्रायल होता है। वहीं अगर लगता है कि कोई वेटलिफ्टर इंटरनेशनल इवेंट में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो उसको ट्रायल से राहत दी जाती है।
  • एथलेटिक्स फेडरेशन के अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला- एथलेटिक्स के वर्ल्ड चैम्पियनशिप या इंटरनेशनल इवेंट में वही उतर सकते हैं, जो उसका क्वालिफिकेशन मार्क हासिल करते हैं। लेकिन इसके बाद भी खिलाड़ियों का चयन सिलेक्शन कमेटी ही करती है। 2017 में केरल की पीयू चित्रा ने एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता था। लेकिन चित्रा ने क्वालिफाइंग टाइम हासिल नहीं कर सकी थीं। नहीं चुनी गईं। कोर्ट के आदेश पर जगह मिली।

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