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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

भारतीय मूल के दीपक राज गुप्ता ने ‘भगवद् गीता’ पर हाथ रखकर ऑस्ट्रेलिया में एमएलए पद की शपथ ली

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  • कैपिटल टेरेटरी असेंबली में एमएलए बनने वाले पहले भारतीय हैं
  • चंडीगढ़ में पढ़ाई कर 1989 में गए थे ऑस्ट्रेलिया 

Dainik Bhaskar

Jul 31, 2019, 08:57 AM IST

गौरव भाटिया, चंडीगढ़. चंडीगढ़ में पढ़ाई की और जिंदगी संवारने के लिए दीपक राज गुप्ता 1989 में ऑस्ट्रेलिया गए। 30 साल के बाद मंगलवार को दीपक ने ऑस्ट्रेलिया कैपिटल टेरेटरी असेंबली में एमएलए पद की शपथ ली। दीपक भारतीय मूल के पहले ऑस्ट्रेलियाई बने, जिन्होंने इस असेंबली में शपथ ली। खास बात यह है कि उन्होंने भगवद् गीता पर हाथ रखकर शपथ ली। 

दीपक के भाई और पंचकूला एमडीसी के रेजिडेंट कर्नल राज ने बताया कि हमारा परिवार 1973 में चंडीगढ़ आया था। गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकंडरी स्कूल सेक्टर 16 से स्कूलिंग करने के बाद डीएवी कॉलेज से बीए पूरी की। 1989 में कॉलेज पासआउट हुए और इसी वर्ष इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी में पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए।

शुरुआती दौर में ऑस्ट्रेलिया में कार धोने और रेस्टारेंट में भी काम करना पड़ा

एक मिडल क्लास परिवार के दीपक जब ऑस्ट्रेलिया गए तब उनके पास सिर्फ 150 डॉलर थे और देश में वह किसी को नहीं जानते थे। ऑस्ट्रेलिया में कई कठिनाइयां आईं, लेकिन चुनौतियों को पार करते चले गए। कार को धोने का काम किया, रेस्टोरेंट में भी काम किया। इन सब जगहों से दीपक ने पंक्चुएलिटी, स्किल्स और डिग्निटी ऑफ लेबर सीखी। दीपक को यह अहसास हुआ कि कोई काम छोटा नहीं होता। 6 साल तक काफी ज्यादा स्ट्रगल रही और पढ़ाई के साथ काम भी किया। रात को सिर्फ 3 घंटे सोते थे और पहले 6 महीने में ही इतने पैसे इकट्‌ठा कर लिए कि पेरेंट्स को फीस का पैसा बतौर गिफ्ट के लौटा दिया।

कैनबरा में भारतीय त्यौहार मनाए, संस्कृति के बारे में भी बताया

दीपक को वर्ष 1991 में पीआर मिली और उसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस में एग्जीक्यूटिव अफसर की गवर्नमेंट जॉब मिली। फिर उन्होंने इंडियन सोसाइटी को प्रमोट करने के लिए कार्यक्रम करवाने शुरू किए। इसमें एक वर्ल्ड करी फेस्टिवल भी है। कैनबरा में भारत के विभिन्न त्योहार मनाए जिसमें कि मंत्रियों को बुलाया गया ताकि भारत की संस्कृति के बारे में बता सकें। इसके अलावा मंदिर और गुरुद्वारा बनाए और दीपक को मल्टी कल्चर एडवोकेट और एक्सीलेंस कम्युनिटी सर्विस का अवॉर्ड मिला।

10 साल तक रहे बिजनेस काउंसिल के प्रेसिडेंट
दीपक 2006 से 2016 तक ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिजनेस काउंसिल के प्रेसिडेंट रहे। यह ऑस्ट्रेलिया की नेशनल ऑर्गेनाइजेशन है जिसका मकसद दोनों देशों में व्यापार को बढ़ाना रहा। वह कई बिजनेस डेलिगेशंस को भारत लेकर आए। इस दौरान दीपक की मुलाकात कई ब्यूरोक्रैट्स से हुई और रिलेशंस बनते चले गए।

एमएलए बने दीपक ने कहा- हिंदू हूं, गीता में शपथ लूंगा

ऑस्ट्रेलिया की असेंबली में या तो क्वीन शपथ दिलाती थी या फिर बाइबल के जरिए शपथ ली जाती थी। जब दीपक को चुना गया तो उन्होंने आवाज उठाई कि वह एक हिंदू हैं इसलिए गीता पर हाथ रख शपथ लेंगे। नियम चेक किए गए तो पता चला कि ऐसा कोई नियम नहीं कि किसी अन्य धर्म के ग्रंथ पर शपथ नहीं ले सकते। इसका फायदा दीपक को मिला और उन्हें भगवद् गीता पर शपथ की परमिशन मिली। दीपक ने शपथ लेने के बाद भगवद् गीता को असेंबली को बतौर सोविनियर के तौर पर गिफ्ट कर दिया।

 

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