चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीडि़त मरीजों के लिए न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी वरदान की है। यह कहना हैन्यूरोसर्जन और न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. डॉ. आलोक शर्मा का। सेल थेरेपी का उपयोग कर क्षतिग्रस्त मस्तिष्क के ऊतकों की मरम्मत संभव है। वयस्क स्टेम सेल थेरेपी इस तरह के मरीजों के लिए एक नई आशा प्रदान करता है। आज पत्रकारो से रूबरू होकर डॉ. आलोक शर्मा ने कहा, ‘‘आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, मस्कयुलर डिट्रॉफी, रीढकी हड्डी में चोट, लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, सेरेब्रेलर एटाक्सिया (अनुमस्तिष्क गतिभंग) और अन्य न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क संबंधी) विकार जैसी स्थितियों में न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी उपचार के नए विकल्प के तौर पर उभर रही है। इस उपचार में आण्विक संरचनात्मक और कार्यात्मक स्तर पर क्षतिग्रस्त तंत्रिका ऊतकों की मरम्मत करने की क्षमता है।डॉ. आलोक शर्मा ने आगे कहा, ‘‘न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट में की जानेवाली न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी (एनआरआरटी) एक बहुत ही सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में एक सुई की मदद से मरीज के स्वयं के बोन मैरो (अस्थि मज्जा) से स्टेम सेल ली जाती हैं और प्रसंस्करण के बाद उसके स्पाइनल फ्लुइड (रीढ़ की हड्डी में तरल पदार्थ) में वापस इंजेक्ट की जाती हैं। चूंकि इन कोशिकाओं को मरीज के शरीर से ही लिया जाता है ऐसे में रिजेक्शन (अस्वीकृति), और साइड इफेक्ट (दुष्प्रभाव) का खतरा नहीं रहता है, जो एनआरआरटी को पूरी तरह एक सुरक्षित प्रक्रिया बनाता है। डॉ. आलोक शर्मा ने आगे कहा, ‘‘सेरेब्रल पाल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) पैदा हुए प्रति एक हजार बच्चों मंब से हर तीन में से एक को प्रभावित करती है। हालांकि कम वजन के साथ और समय से पहले जन्मे शिशुओं में इसका प्रभाव ज्यादा देखा गया है। सेरेब्रल पाल्सी के अधिकांश कारणों का विशिष्ट, उपचारात्मक इलाज नहीं है। हालांकि सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों में कई ऐसी चिकित्सा समस्याएं मौजूद होती हैं जिनका इलाज किया जा सकता है प्रभावित बच्चे के उपचार में टीम के हर सदस्य की महत्वपूर्ण भूमिका और स्वतंत्र योगदान होता है। हालांकि ये उपचार विकल्प इन मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने मे सहायक होते हैं, जड़ से खत्म करने में कारगर नहीं होते हैं। मॉडर्न मेडिकल साइंस और अनुसंधानों से सेरेब्रल पाल्सी में स्टेम सेल के जरिए विनाशकारी प्रभावों को नियंत्रित करने की क्षमता है। नयूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट की उप निदेशक व मेडिकल सेवाओं की प्रमुख डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने कहा, ‘‘भूप्रद को एक स्वतंत्र बच्चे के रूप में विकसित होते देखकर हमें खुशी है। स्टेम सेल थेरेपी मरीजों में जीवन को बदल कर रख देनेवाले सुधार लाती है। स्टेम सेल थेरेपी अभिभावकों के संघर्षों में सकारात्मकता और प्रेरकता लाकर निश्चित तौर पर उनके जीवन में भी बदलाव लाती है।’’मानसिक मंदता, ऑॅटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मस्क्युलर डिस्ट्राफी, लकवा आदि कुछ ऐसे ही विकार हैं। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के विकास पर एक नजर डालने से पता चलता है. आलोक शर्मा ने कहा, ‘‘उन लाखों को मरीजों को जिन्हें हमने पहले कहा कि स्टेम सेल थेरेपी व न्यूरोरिहैबिलेशन की युग्मित चिकित्सा की उपलब्धता के साथ ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’। नवी मुंबई के नेरुल में स्थित न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट भारत का पहला और एकमात्र संस्थान है, जो न केवल स्टेम सेल थेरेपी प्रदान करता है बल्कि उसके साथ पुनर्वास भी प्रदान करता है। न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट हरियाणा और पंजाब में रहनेवाले न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के सभी मरीजों के लिए 31 अगस्त, 2019 को चंडीगढ़ में एक नि:शुल्क कार्यशाला सह ओपीडी परामर्श शिविर का आयोजन कर रहा हैं। न्यूरोजेन को एहसास है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी इत्यादि विकारों से पीडि़त मरीजों को सिर्फ परामर्श के उद्देश्य से मुंबई तक की यात्रा करना काफी तकलीफदेह होता है, इसलिए मरीजों की सुविधा के लिए इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है। असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीडि़त मरीज इस नि:शुल्क शिविर में परामर्श हेतु समय लेने के लिए पुष्कला से 09821529653 / 09920200400 पर संपर्क कर सकते हैं।
Home
Citizen Awareness Group न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी-न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीढि़त मरीजों के लिए वरदान हेै:...
Chandigarh TodayDear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org
Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020