- नासा चंद्रमा की ऊपरी कक्षा में एक ‘गेटवे’ बनाकर अगले मून मिशन को अंजाम देना चाहता है
- अपोलो मिशन के दौरान एजेंसी ने स्पेसक्राफ्ट को चांद की निचली कक्षा में स्थापित किया था
- नई योजना के तहत ऊपरी कक्षा में स्थित गेटवे के जरिए स्पेसक्राफ्ट का ईंधन बचेगा और उसे आगे मंगल तक भेजा जा सकेगा
Dainik Bhaskar
Jul 23, 2019, 09:26 AM IST
वॉशिंगटन. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा अंतरिक्ष की रेस में सबसे आगे बने रहने के लिए एक बार फिर इंसान को चांद पर भेजने की योजना बना रही है। नासा ने सोमवार को प्रेस रिलीज जारी कर कहा एजेंसी 2024 तक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इंसानों को उतारना चाहती है, ताकि उसे चांद की कक्षा में चक्कर लगाने वाले स्पेस स्टेशन की जरूरत न पड़े। नासा ने निजी कंपनियों से भी सुझाव मांगे हैं।
निजी कंपनियों के तरीकों पर भी विचार
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, नासा का आंतरिक अध्ययन चंद्रमा पर दोबारा जाने के लिए तीन स्टेज वाले लैंडिंग सिस्टम का समर्थन करता हैं। हालांकि, एजेंसी निजी फर्म्स के जरिए चांद पर जाने के वैकल्पिक और शॉर्टकट तरीके भी देख रही है।
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नासा की तीन स्टेज की योजना के तहत पहली स्टेज में इंसान को एक गेटवे के जरिए चांद की ऊपरी कक्षा में छोड़ना, इसके बाद उन्हें सतह तक ले जाना और बाद में वापस चंद्रमा के गेटवे तक पहुंचाना शामिल है। इस गेटवे से ही एस्ट्रोनॉट्स ओरायन क्रू स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर वापस 2.5 लाख किमी का सफर तय कर पृथ्वी पर पहुंच सकेंगे।
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हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि चंद्रमा की ऊपरी कक्षा में गेटवे बनाने का काम काफी पेचीदा हो सकता है। खासकर इंसान को 2024 तक वापस चंद्रमा में भेजने के दौरान यह काफी मुश्किल होगा, फिर चाहे भविष्य में मंगल की यात्रा में यह ठीक रहे।
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विशेषज्ञों के मुताबिक- एक तरीका यह है कि पृथ्वी से स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा की निचली कक्षा में भेजा जाए। इसके बाद उन्हें लैंडर के जरिए सीधा सतह पर उतारा जाए। यह तकनीक अपोलो मिशन में अपनाई जा चुकी हैं।
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क्या होगा चांद पर गेटवे बनाने का फायदा?
नासा ने नए तरीके से इंसान को चांद पर भेजने के लिए कंपनियों से 2 अगस्त तक सुझाव मांगे हैं। इस पर विचार करने के बाद ही एजेंसी आगे कोई फैसला लेगी। दरअसल, चांद की ऊपरी कक्षा में स्पेसक्राफ्ट को स्थापित कर उसका ईंधन बचाया जा सकेगा। इससे स्पेसक्राफ्ट को मिशन में आगे मंगल तक भेजने में आसानी होगी।
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