- श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई 2019 को तड़के 2:51 पर चंद्रयान-2 की उड़ान भरेगा
- यह 53 से 54 दिन के सफर के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा और 14 दिन तक डेटा जुटाएगा
- चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत चांद की सतह पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बनेगा
Dainik Bhaskar
Jul 12, 2019, 09:00 AM IST
नई दिल्ली. चंद्रयान-2 दुनिया का पहला ऐसा यान होगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इससे पहले चीन के चांग’ई-4 यान ने दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूरी पर लैंडिंग की थी। अब तक यह क्षेत्र वैज्ञानिकों के लिए अनजान बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक, चांद के बाकी हिस्से की तुलना में ज्यादा छाया में रहने वाले इस क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना ज्यादा है। अगर चंद्रयान-2 चांद के इस हिस्से में बर्फ की खोज कर पाता है, तो यहां इंसानों का रुक पाना आसान हो सकेगा। यहां बेस कैंप बनाए जा सकेंगे। साथ ही चांद पर शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष में नई खोजों का रास्ता खुलेगा।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बड़े क्रेटर्स, यहां नहीं पहुंचती सूर्य की किरणें
चांद का दक्षिणी ध्रुव इसके अन्य हिस्सों से बहुत अलग है। अगर कोई व्यक्ति यहां खड़ा होगा तो उसे सूर्य क्षितिज रेखा पर दिखाई देगा। वह चांद की सतह से लगता हुआ और चमकता हुआ दिखाई देगा। यानी सूर्य की किरणें दक्षिणी ध्रुव पर तिरछी पड़ती हैं, सीधी नहीं। इसके कारण यहां तापमान कम होता है।
चांद के इस हिस्से में बड़े-बड़े क्रेटर्स (गड्ढे) हैं। इनमें सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पातीं, इसके कारण ये हमेशा अंधेरे में रहते हैं। इसके कारण कहीं-कहीं तापमान -248 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इसी वजह से यहां कुछ क्रेटर्स में पानी के बर्फ के रूप में होने की संभावना है। क्रेटर्स में प्रारंभिक सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म के रिकॉर्ड और प्राकृतिक संसाधन भी मौजूद हो सकते हैं।
चंद्रयान-2 कामयाबी से अंतरिक्ष विज्ञान के लिए नए रास्ते खुलेंगे
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 मैग्नीशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिजों को खोजने का प्रयास करेगा। वह चांद के वातावरण और इसके इतिहास पर भी डेटा जुटाएगा। लेकिन इसका सबसे खास मिशन वहां पानी या उसके संकेतों की खोज होगी। अगर चंद्रयान-2 यहां पानी के सबूत खोज पाता है तो यह अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक बड़ा कदम होगा। इसके बाद अंतरिक्ष में नई खोजों का रास्ता बनेगा।
- चांद पर पानी न होने के चलते ही वहां अंतरिक्षयात्री ज्यादा दिन नहीं रुक पाते। चंद्रयान-2 अगर यहां बर्फ खोज पाता है, यह समस्या खत्म हो जाएगी। बर्फ से पीने के पानी और ऑक्सीजन की व्यवस्था हो सकेगी। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लम्बे समय तक चांद पर रुकना संभव हो सकेगा।
- पानी और ऑक्सीजन की व्यवस्था होगी तो चांद पर बेस कैंप बनाए जा सकेंगे, जहां चांद से जुड़े शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष से जुड़े अन्य मिशन की तैयारियां भी की जा सकेंगी।
- अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए चांद को लॉन्चपैड की तरह इस्तेमाल कर पाएंगी। यहां के बर्फ से फ्यूल बनाकर पृथ्वी से अंतरिक्ष में ले जाने वाले मटेरियल को कम किया जा सकता है। इससे अंतरिक्ष मिशन का खर्च कम होगा। चांद से मंगल ग्रह पर पहुंचने में समय भी कम लगेगा। इसी तरह बाकी ग्रहों पर पहुंचने में भी आसानी होगी।
- दक्षिणी ध्रुव के क्रेटर्स में सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती इसके कारण इनमें जमा हुआ पानी अरबों सालों से एक जैसा हो सकता है। जिसका अध्ययन कर शुरुआती सोलर सिस्टम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं। यानी चांद का इतिहास और वातावरण के बारे में तो जानकारी मिलेगी ही, साथ ही पृथ्वी की उत्पत्ति और हजारों साल पहले यहां के वातावरण में हुए बदलावों से जुड़े सवालों के भी जवाब यहां से मिल सकते हैं।
- दक्षिणी ध्रुव में ही कुछ हिस्सा ऐसा भी है, जो न तो ज्यादा ठंडा है और न ही अंधेरे में रहता है। यहां के शेकलटन क्रेटर्स के पास वाले हिस्सों में सूर्य लगातार 200 दिनों तक चमकता है। यहां पर अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को शोधकार्य में बड़ी मदद मिल सकती है। यहां वैज्ञानिक सूर्य की किरणों का उपयोग कर ऊर्जा की आपूर्ति कर सकते हैं, जो मशीनों और अन्य शोधकार्य के लिए जरूरी होगी।
अमेरिका 2024 में दक्षिणी ध्रुव पर भेजेगा मानव मिशन
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी दक्षिणी ध्रुव पर जाने की तैयारी कर रही है। 2024 में नासा चांद के इस हिस्से पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारेगा। अप्रैल 2019 में आई नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार, चांद के इसे अनदेखे हिस्से पर पानी होने की संभावनाओं के कारण ही नासा यहां अंतरिक्ष यात्री भेजेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चांद पर लंबे समय तक के लिए शोधकार्य करने के लिए पानी बहुत जरूरी संसाधन है।
पीने का पानी, मशीनों को ठंडा रखने और रॉकेट ईंधन बनाने के लिए वहां पानी की जरूरत है। रिपोर्ट में नासा के अधिकारी ने बताया था कि आर्बिटरों से परीक्षणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां अन्य प्राकृतिक संसाधन भी बहुत हो सकते हैं। फिर भी इस हिस्से के बारे में अभी बहुत सी जानकारियां जुटाना है।