- 7 जुलाई को पूरा हो रहा समय, वक्त नहीं बढ़ाया तो कमीशन पहले सौंप सकता है अंतरिम रिपोर्ट
- कमीशन ने लगभग सभी गवाही और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर ली
राजधानी हरियाणा (मनोज कुमार). लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना जाट आरक्षण आंदोलन में हुए उपद्रव की जांच के लिए जस्टिस एसएन झा (रिटायर्ड) की अध्यक्षता में गठित कमीशन विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। कमीशन ने लगभग सभी गवाही और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर ली है। केवल प्रो वीरेंद्र सिंह का एक मामला हाई कोर्ट में है, जिसमें भी कमीशन संबंधित दस्तावेज कोर्ट में पेश कर चुका है।
कमीशन की ओर से 97 गवाहों को बुलाया गया। जबकि 31 में से सात शिकायकर्ताओं ने भी 13 गवाह कमीशन के सामने पेश किए हैं। वैसे तो कमीशन का समय 7 जुलाई को पूरा हो रहा है लेकिन फिर भी सरकार से रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन महीने का और वक्त मांगा गया है। यदि यह समय मिल गया तो अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कमीशन पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। समय नहीं बढ़ा तो जुलाई में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी जा सकती है। क्योंकि प्रो वीरेंद्र सिंह के चल रहे मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख 31 जुलाई है।
सूत्रों का कहना है कि कमीशन ने जुटाए गए सबूत और तथ्यों पर रिपोर्ट बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में निर्धारित समय अनुसार यह रिपोर्ट चुनाव से ठीक पहले सरकार को मिल जाएगी। फरवरी, 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन में हुए उपद्रव की जांच के लिए सरकार ने पहले रिटायर्ड डीजीपी प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। इसके कुछ समय बाद ही रिटायर्ड जस्टिस एसएन झा की अध्यक्षता में कमीशन का गठन किया गया। कमीशन को 6 महीने में रिपोर्ट देनी थी लेकिन हर बार समय बढ़ता गया। तब से अब तक कमीशन जांच में जुटा हुआ है।
5 लोगों को माना संदिग्ध, वीरेंद्र का मामला हाईकोर्ट में
कमीशन की ओर से सभी गवाहों और सबूतों के आधार पर पांच लोगों को इस उपद्रव में संदिग्ध मानते हुए उन्हें नोटिस जारी किया। इनमें अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक, प्रो वीरेंद्र सिंह, सुदीप कलकल, मनोज दुहन और कप्तान मान सिंह शामिल हैं। इन सभी को कमीशन ऑफ इंक्वारी एक्ट-1952 की धारा 8-बी के तहत नोटिस देकर पक्ष रखने को कहा। सभी ने अपना पक्ष भी रखा, लेकिन प्रो वीरेंद्र सिंह ने कमीशन को ही हाई कोर्ट में चैलेंज किया। उन्होंने कोर्ट में यह भी कहा कि जब इसी मामले में उनके खिलाफ पुलिस में केस दर्ज है तो कमीशन में लाने की जरूरत ही नहीं है। उनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने कमीशन को उनसे संबंधित दस्तावेज भी मंगवाए जो हाल ही में 9 मई को पेश किए गए हैं।
इधर, जून में जसिया में होगी समिति की बैठक
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने जून में जसिया में मीटिंग तय कर दी है। जिसमें केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार के फैसलों को लेकर मंथन किया जाएगा। मलिक का कहना है कि अब केंद्र में नई सरकार बनेगी। इसलिए इसी को ध्यान में रखकर एजेंडा तय किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश सरकार से भी आरक्षण के साथ आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केस रद्द कराने की मांग इस मीटिंग में उठाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जस सुदीप कलकल से बातचीत को मेरे नाम को आधार बनाया है, वह कलकल इस मामले में छूट गया है।