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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

प्रियंका ने कहा- भाजपा का राष्ट्रवाद अहंकार तक सीमित, लोगों की आवाज दबाना कहां का राष्ट्रवाद

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  • प्रियंका ने कहा- एक अहंकारी नेता सत्ता बनाए रखने के लिए धर्म, राष्ट्रवाद और शहीदों का इस्तेमाल कर रहा
  • ‘राहुल निडर हैं, वे देश और धर्म को समझते हैं, स्कूबा डाइविंग के प्रशिक्षक हैं और बगैर ऑक्सीजन 75 मीटर गहराई तक गोता लगा सकते हैं’

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक डेढ़ महीने पहले प्रियंका गांधी वाड्रा बतौर कांग्रेस महासचिव सक्रिय राजनीति में आईं। पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश और उसके बाद 7 राज्यों में पार्टी के लिए रैलियां और रोड शो कर रहीं प्रियंका मोदी सरकार की नीतियों और उनके राष्ट्रवाद के मुद्दे पर काफी मुखर हैं। सातवें और अंतिम चरण के प्रचार में व्यस्त प्रियंका से भास्कर के राजनीतिक संपादक हेमन्त अत्री ने बात की। 

सवाल: मौजूदा चुनाव में क्या मुद्दे होने चाहिए और क्यों? और क्या उन जरूरी मुद्दों पर बात हो रही है? 
जवाब: 
सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। क्योंकि, बेरोजगारी 45 साल में सबसे अधिक है। दूसरा बड़ा मुद्दा है किसान और खेती पर संकट। किसान त्रस्त है। 5 साल में मोदी सरकार ने किसानों का शोषण किया है। किसान कर्ज में डूबा है। 13 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्हें उपज का दाम नहीं मिलता, तो 50% मुनाफा कब मिलेगा? ये मुख्य मुद्दे हैं, जो मोदी सरकार नहीं उठाएगी, क्योंकि उनके पास इनका कोई जवाब नहीं है।

सवाल: भाजपा राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाकर चुनाव में है। कांग्रेस खुलकर लोहा क्यों नहीं ले रही है?

जवाब: हम पूरी तरह लोहा ले रहे हैं। मैं हर भाषण में खुलकर कहती हूं कि इनका राष्ट्रवाद समझ से परे है। क्योंकि, इनका राष्ट्रवाद इनके अहंकार तक सीमित है। वो इस शब्द को सिर्फ एक नजरिये से देखते हैं। असली राष्ट्रवाद है देश से प्रेम। देश से प्रेम का मतलब है कि जनता से प्रेम और इसका मतलब है जनता का आदर करना। दलितों की पिटाई होती है और आप (मोदी) मौन रहते हैं। आपका साथी महिलाओं के लिए अपशब्द बोलता है, आप तब भी मौन रहते हैं। आप वचन देते हैं कि 2 करोड़ रोजगार हर साल देंगे। अब युवाओं से कह रहे हैं कि पकौड़े तलिए। यह राष्ट्रवाद नहीं हो सकता।

सवाल: चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। प. बंगाल में प्रचार की समय सीमा कम करने के आयोग के फैसले को कैसे देखती हैं?

जवाब: आयोग संवैधानिक संस्था है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बार आयोग के कई फैसले निष्पक्ष नहीं हैं। आयोग से उम्मीद की जाती है कि वह ऐसा काम करे, जिससे लोगों का भरोसा कायम रहे। आयोग के लिए संवैधानिक दायित्व महत्वपूर्ण होने चाहिए, न कि किसी पार्टी या नेता के प्रति वफादारी। मौजूदा स्थिति त्रासद है।

सवाल: आप रैलियों से ज्यादा रोड शो और नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं। इंदिराजी का तरीका भी कुछ ऐसा होता था। यह महज इत्तेफाक है या रणनीति?  

जवाब: न इत्तेफाक है, न रणनीति। बड़ी-बड़ी रैलियों में जो बैरीकेड लगते हैं, उनसे लोग मुझसे 40 फीट दूर हो जाते हैं। यह मुझे बिलकुल पसंद नहीं। मैं जनता से बात करने जाती हूं। उन्हें सुनना चाहती हूं। क्योंकि एकतरफा भाषण देकर निकलने का कोई फायदा नहीं है।

सवाल: आपके पिता और दादी को आतंकवाद ने लील लिया। आपके लिए आतंकवाद के क्या मायने हैं? और इसका समाधान क्या है?
जवाब: आतंकवाद हिंसा है और जिसने हिंसा झेली है, वह इसे समझता है। मैं पिताजी से ज्यादा प्यार किसी से नहीं करती। 19 साल की थी, तो उनका शरीर टुकड़ों में घर लाई। इस तरह की हिंसा से गुजरने पर हिंसा की समझ बदल जाती है। इंसान को अपने अनुभव से यह सीख मिल जाती है कि हिंसा का प्रत्युत्तर सिर्फ अहिंसा है।

सवाल: चुनाव से 3 महीने पहले आप आधिकारिक तौर पर राजनीति में आईं। भाजपा का सामना करने के लिए कहीं देर तो नहीं कर दी? 

जवाब: देरी हुई या नहीं, यह तो समय बताएगा। न आप इसका अनुमान कर सकते हैं, न मैं। मेरे हिसाब से जो भी होता है, सही समय पर होता है।

सवाल: राॅबर्ट वाड्रा पर सरकार के रुख को कैसे देखती हैं?

जवाब: देखिए, मेरे पति राॅबर्ट वाड्रा पर भाजपा सरकार ने राजनीतिक हमला किया है। आप देखें कि यह हमला कब बढ़ा? जब मैं राजनीति में आई। यही भाजपा का चरित्र है।

सवाल: नरेंद्र मोदी जब राजीव गांधी या नेहरू पर बाेलते हैं,  तो आपका क्या रिएक्शन होता है?  

जवाब: नरेंद्र मोदीजी की बातों से मेरे भीतर कोई भावना उभरती ही नहीं है, क्योंकि मुझे कोई रुचि ही नहीं है इस बात को लेकर कि मोदी मेरे पिता के बारे में क्या सोचते हैं। मेरे पिताजी की सच्चाई मैं जानती हूं। यह देश जानता है।

सवाल: राहुल और प्रियंका की शख्सियत में फर्क और समानताएं क्या हैं? लोग कहते हैं कि प्रियंका सख्त और राहुल नरम स्वभाव के हैं… 

जवाब: राहुलजी बहुत आगे की सोचते हैं। मैं कभी-कभी क्षणिक मनोभाव में फंस जाती हूं। उनमें बहुत साहस है। उन्हें गुस्सा कम आता है। वो नफरत का जवाब प्रेम से देते हैं। मैं कभी-कभी क्रोध का जवाब क्रोध से भी दे देती हूं।
राहुल मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट, गोताखोर, पर्वतारोही, पायलट हैं |

सवाल: प्रियंका को गुस्सा कब आता है और उस पर काबू कैसे पाती हैं? विपश्यना का आपके व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ा है?
जवाब: विपश्यना व्यक्तित्व के अहं को मिटाने का साधन है। मैं अभी तक उस अहं को साधना से मिटाने के लिए प्रयासरत हूं।

सवाल: आप बतौर प्रधानमंत्री मोदी को कैसे याद करेंगी? मोदी की सबसे अच्छी और खराब बातें क्या लगती हैं?
जवाब: अच्छे और खराब की बात नहीं है। जब एक नेता का अहंकार इतना बढ़ जाता है कि वह सिर्फ सत्ता बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाता है, चाहे वो संपत्ति का इस्तेमाल करे, झूठा प्रचार करे, धर्म का इस्तेमाल करे, राष्ट्रवाद या शहीदों की शहादत का इस्तेमाल करे, तो इसकी कोई सीमा नहीं रह जाती। जनता और देश के प्रति नेता की कुछ जिम्मेदारियां होती हैं। मेरे विचार में सत्य सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। सत्य के मार्ग से जब कोई नेता भटक जाता है तो देश का नुकसान होता है।

सवाल: क्या यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में आप कांग्रेस की सीएम दावेदार होंगी? 
जवाब: 2022 तक मैं संगठन को मजबूत करके बाकी पार्टियों को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार करूंगी। फिर आगे जो होगा देखा जाएगा।

सवाल: राहुल कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं और बड़े भाई भी। उनकी कौन सी खूबियां लोगों को पता नहीं हैं?
जवाब: राहुलजी के खिलाफ इतना दुष्प्रचार हुआ कि उनका असली चरित्र देश के सामने कई सालों तक नहीं आ पाया। राहुलजी में बहुत विवेक है। वो गहराई से धर्म को समझते हैं, देश को समझते हैं। देश में कौन सी शक्तियां किस तरह से काम कर रही हैं, इसे बारीकी से समझते हैं। मैं राहुलजी के पास जब जाती हूं, तो मुझे मालूम है कि वो जो कहेंगे वो सच होगा। कई बार ये सच कड़वा लगता है। मैं नाराज भी हो जाती हूं। पर ऐसा कभी नहीं हुआ है कि बाद में मुझे अहसास न हुआ हो कि उनकी बात सही थी और वह मेरी भलाई के लिए कह रहे थे। वह मेरे मार्गदर्शक हैं। वह एकिडो मार्शल आर्ट में ब्लैकबेल्ट हैं। उन्होंने पर्वतारोहण के कोर्स किए हैं। वो प्रमाणित गोताखोर हैं। स्कूबा डाइविंग के प्रशिक्षक हैं और बगैर ऑक्सीजन 75 मीटर गहराई तक गोता लगा सकते हैं। वह पायलट भी हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी टीम से फुटबाॅल खेला है। बहन के नाते मैं कह सकती हूं कि वह निडर हैं। जब उनका जहाज गिर रहा था तो बाकी लोग घबरा गए थे, पर वो कॉकपिट के पास खड़े होकर पायलट की मदद कर रहे थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि राहुलजी ने गहराई से उपनिषदों, गीता, हिंदू धर्म, बौद्ध और जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, सूफी और पश्चिमी धर्मों को पढ़ने और समझने की कोशिश की है।

सवाल: नोटबंदी, बेरोजगारी और खेती संकट, इनसे निपटने के लिए क्या रोडमैप है?
कांग्रेस ने घोषणापत्र में किसानों, महिलाओं और नौजवानों के लिए इससे जुड़ी योजनाओं का ध्यान रखा है। नोटबंदी से एक साल में एक करोड़ रोजगार चले गए। नोटबंदी से महिलाओं की बचत पर चोट लगी। 5 सालों में भाजपा ने जनता की भलाई के बजाय चंद उद्योगपतियों का फायदा देखा। उत्तर प्रदेश के संदर्भ में देखें तो एक ओर किसान फसल की कीमत न मिलने से जूझ रहा है, तो दूसरी तरफ आवारा पशुओं की समस्या से। गरीबों और किसानों को अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका देने के लिए कांग्रेस ने कई योजनाएं घोषणापत्र में शामिल की हैं। मुख्य है- ‘न्याय’(न्यूनतम आय योजना)। कांग्रेस ने ‘न्याय’ से गरीब परिवारों की महिलाओं को सालाना 72 हजार रु. देने का वादा किया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था का इंजन फिर स्टार्ट होगा। क्रय शक्ति बढ़ेगी तो अर्थव्यवस्था में जान आएगी।

सवाल: जीएसटी ने कैसे प्रभावित किया और इस पर आपकी योजना क्या है?
जवाब: जहां भी जाती हूं छोटे दुकानदार और छोटे व्यापारी परेशान दिखे। कई लोगों ने बताया कि जीएसटी का कैलकुलेशन ही इतना जटिल है कि उनसे हो ही नहीं पा रहा। इसके लिए अकाउंटेंट रखना पड़ता है। कई बार अकाउंटेंट की फीस ही छोटे व्यापारियों के मुनाफे से ज्यादा है। ऐसे में वे क्या करेंगे? इसके अलावा ई-वे बिल का मामला है। भदोही के कालीन बुनकरों ने बताया कि ई-वे बिल के जरिये भी बहुत झंझट होता है, क्योंकि हर जगह जहां उनको बेचने जाना पड़ता है, उस एंड प्वाइंट तक पहुंचते-पहुंचते प्रक्रिया की जटिलता से परेशान हो जाते हैं। कई दुकानदारों ने बताया कि इस हाल में तो दुकान बंद करनी पड़ेगी।

सवाल: माया और अखिलेश से चुनाव पूर्व गठबंधन तो नहीं हुआ। तो क्या चुनाव के बाद गठबंधन की तैयारी है?
जवाब: यह बात तो हमारे राष्ट्रीय स्तर के नेता ही बता सकते हैं।

सवाल: क्या आपको लगता है क्या कांग्रेस या यूपीए की सरकार बन पाएगी?
जवाब:
जहां-जहां मैं जाती हूं, मुझे लोग परेशान दिखते हैं। वे मुझे कहते हैं कि भाजपा से ऊब चुके हैं। यह तो स्पष्ट है कि भाजपा जा रही है। रही बात सरकार की, तो जैसा राहुल जी कहते हैं, जनता हमारी मालिक है। हम उसका हर फैसला स्वीकार करेंगे।

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