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- Student of the year 2 makers Blackmail the single screen owners and distributors to stop de de pyar de
Dainik Bhaskar
May 18, 2019, 10:01 AM IST
बॉलीवुड डेस्क. अगर फिल्म के कंटेंट में दम न हो तो मेकर्स और कॉर्पोरेट्स उसे हिट कराने के लिए क्रूर तरीके अख्तियार करने से गुरेज नहीं करते। सिंगल और मल्टीप्लेक्स स्क्रीन वालों से सीधे तौर पर सौदेबाजी होती है और ब्लैकमेल किया जाता है कि मौजूदा फिल्म को ज्यादा स्क्रीन नहीं दिए तो आने वाली फिल्मों भी डिस्ट्रीब्यूट नहीं की जाएंगी। ताजा उदाहरण स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 का है। इसके डिस्ट्रीब्यूटर्स ने सिंगल स्क्रीन वालों को दे दे प्यार दे के प्रदर्शन से रोकने के लिए अजीबोगरीब दबाव बनाने की कोशिश की थी। उनसे कहा गया था कि अगर उन लोगों ने इस फिल्म को दो हफ्तेसिनेमाघरों में नहीं रखा तो आगे इंडियाज मोस्ट वांटेड और हॉलीवुड मूवी एक्स मेन: डार्क फीनिक्स उन्हें डिस्ट्रीब्यूट नहीं की जाएंगी। इस बात की पुष्टि खुद सिंगल स्क्रीन मालिकों ने की है।
सिंगल स्क्रीन मालिकों ने भास्कर को बताया स्याह पक्ष
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स्क्रीन मालिकों ने नहीं मानी उनकी बात
मुंबई में सिंगल स्क्रीन गेटी गैलेक्सी और मराठा मंदिर सिनेमा के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मनोज देसाई के मुताबिक, ‘हम लोगों से फॉक्स स्टार वालों ने ऐसी डील करने की कोशिश की थी। हम पर दबाव था कि हम स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 को दो हफ्तों तक सिनेमाघर में रखें, तभी आगे की फिल्में हमें मिल पाएंगी। मगर हमने ऐसा नहीं किया। मराठा मंदिर सिनेमा में हमने शुक्रवार से ही अजय देवगन की दे दे प्यार दे को रिलीज कर दिया है। गेटी गैलेक्सी में हमने स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 को छोटे थिएटर में डाल दिया। फिल्म चली तो है नहीं, पहले ही फ्लॉप हो चुकी है।’
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कलंक के लिए भी डाला था प्रेशर
करण जौहर की हालिया फिल्म कलंक की रिलीज के दौरान भी कमाई बढ़ाने के लिए सिंगल स्क्रीन मालिकों पर टिकट के रेट बढ़ाने को लेकर दबाव बनाया गया था। पर उनके इस प्रेशर के बाद भी फिल्म चल नहीं सकी।
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जब अजय और यशराज में ठनी थी
ट्रेड पंडित ने बताया कि सात साल पहले सन ऑफ सरदार और जब तक है जान के मामले में ऐसा हुआ था। जब तक है जान के लिए यशराज ने दबाव डाला कि एक था टाइगर तभी मिलेगी, जब दीवाली पर सिर्फ जब तक…को ही प्रदर्शित करेंगे।
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आर्म ट्विस्टिंग कहलाता है यह पैंतरा
ट्रेड की भाषा में इसे आर्म ट्विस्टिंग कहते हैं। इसमें बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स किसी एक फिल्म को ज्यादा स्क्रीन दिलाने और ज्यादा समय तक थिएटर्स में टिकाने के लिए अपनी डिस्ट्रीब्यूटरशिप की किसी नेक्स्ट फिल्म को चारे की तरह इस्तेमाल करते हैं।
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बॉलीवुड की कुछ चर्चित आर्म ट्विस्टिंग्स
टक्कर किसने की रईस vs काबिल रईस के लिए शाहरुख ने ऐ दिल है मुश्किल vs शिवाय ऐ दिल के लिए फॉक्स स्टार व करण जौहर ने दिलवाले vs बाजीराव मस्तानी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट ने दिलवाले के लिए की
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हम पर दो हफ्तों तक ‘स्टूडेंट…2’
कुमार आदर्श, यूवी टॉकीज के ओनर के मुताबिक, सिनेमाहॉल में रखने का दवाब था। रिलीज के पहले वीक में ही वह बड़ी कमजोर रही। हम एक दिन और उसे दे रहे हैं। रविवार से हम लोगों को वह फिल्म हटानी पड़ सकती है। अजय देवगन की दे दे प्यार दे के डिस्ट्रीब्यूटर्स भी वह फिल्म हमें मिनिमम गारंटी की शर्तपर दे रहे हैं। वह हर सिनेमाघर से 30 हजार रुपए फिल्म के बदले बतौर मिनिमम गारंटी ले रहे हैं। वह हमारे लिए भारी पड़ रहा है। यह रूल मल्टीप्लेक्सेज पर अप्लाई नहीं हो रहा। यह सिर्फ सिंगल स्क्रीन्स पर हैं।
मनोज देसाई, सिंगल स्क्रीन मालिक का कहना है- ‘कॉरपोरेट स्टूडियो वाले मनमानी शर्त हम पर लादने की कोशिश तो करते हैं। पर हम लोग थिएटर चलाते हैं। घास नहीं छीलते। हम सभी पर एक और शर्तटिकट रेट बढ़ाने को लेकर रहती है।’
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