Dainik Bhaskar
May 09, 2019, 07:01 PM IST
टीवी डेस्क. रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। रमजान का पहला रोजा 7 मई को था और अगले 30 दिन यानी 6 जून तक चलेगा। राेजा के बाद ईद-उल-फित्र का त्यौहार मनाया जाएगा। टेलीविजन इंडस्ट्री में भी कई स्टार्स रोजा रखते आए हैं। रोजे के साथ-साथ काम और उनकी दिनचर्या में किस तरह का बदलाव आता है, इस पर स्टार्स ने अपने रूटीन और कुछ पुराने किस्से भी साझा किए।
टीवी स्टार्स की रोजे से जुड़ी बातें
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रोजे में डाइटिंग भी हो जाती है- जेन खान
मैं 7 साल की उम्र से पूरे 30 दिन का रोजा रखता आ रहा हूं। 7 मई से रोजे शुरू हुए और इसी दिन से ‘हमारी बहू सिल्क’ शो की शूटिंग शुरू हुई। पहले दिन मुंबई स्थित मड आईलैंड में 18 घंटे शूट किया, वह भी कड़ी धूप में। पहला दिन था, सो बड़ी कठिनाई आई, क्योंकि राेजे में 15 घंटे कुछ भी नहीं खा सकते। लेकिन बचपन से आदत है, इसलिए रखा। मैं फूडी हूं, तो लगता है कि कम खाऊंगा। एक्टर हूं, इसलिए मेरी डाइटिंग भी हो जाती है और बॉडी भी बन जाती है। साल भर बाद रमजान आता है, तो शुरू के तीन-चार दिन सामंजस्य बनाने में वक्त लगता है। उसके बाद तो आसान हो जाता है। ऊपरवाले के लिए रोजा रखते हैं, तब उससे दुआएं भी खूब करते हैं कि हमारा काम, घरवाले, मिलने वालों को खूब अच्छा और सेहतमंद रखे।
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रोजा नहीं तो ईद का मजा नहीं- जुबेर के खान
मैं स्कूल टाइम से रोजा रखा है। शूटिंग के दौरान मेरी कोशिश होती है कि पूरा रोजे रखूं। 2014 में मुझे डेंगू हो गया था, इसलिए 10-15 दिन ही रोजा रख पाया था। इस बार मनमोहिनी सीरियल शूट कर रहा हूं। इसकी शूटिंग बहुत कठिन है, क्योंकि ज्यादातर धूप में शूटिंग होती है। मैं ऐसा हूं कि चेंज पसंद नहीं करता। रोजे के दौरान शूट करता हूं, तब बाकी चीजों को छोड़ देता हूं। इफ्तार के बाद लेट नाइट वर्कआउट करता हूं। मैं रोजा इसलिए भी रखता हूं, क्योंकि बड़े शौक से घर पर ईद मनाता हूं। रोजा रखता हूं, तब मुझे अच्छे काम मिलते हैं और ऐसा मेरे साथ होता भी है। अगर रोजा नहीं रखूंगा, तब ईद का मजा नहीं आएगा। मुंबई में भाई के पास रहता हूं। पिछले साल पेरेंट्स को भोपाल से मुंबई बुला लिया था। लेकिन मेरी कोशिश होती है कि ईद भोपाल में मनाऊं। इस बार शायद ईद पर घर नहीं जा पाऊंगा।
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ईद पर मां से मिलने जाऊंगा- सेहबान अजीम
जोश-जोश में बचपन में जल्दी रोजे रखना शुरू कर दिया मेरे बड़े भाई की रोजाकुशाई हो रही थी, तब उनकी देखा-देखी शुरू कर दिया। उस वक्त 12 साल का था। पहले पूरा रोजे रखता था, लेकिन सेहत की वजह से अब कई बार छूट जाता है। पानी कम पीता हूं, तो त्वचा पर असर पड़ता है। इस बार मेरी कोशिश है कि शूट के साथ पूरे रोजे रखूं। शूट के दौरान नींद आती है, तब ग्रीन टी या कॉफी पीने की आदत है। कई बार नॉनस्टॉप शूट चल रहा होता है, तब बोलना बहुत पड़ता है, इसकी वजह से प्यास ज्यादा लगती है। पिछले साल भी आधे रोजे ही रख पाया था। शूटिंग करते वक्त रोजा रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। हर बार मां से मिलने दिल्ली जाता हूं इस बार भी प्रोडक्शन हेड से छुट्टी के लिए बोला है। शूटिंग शेड्यूल ठीक रहा, तब मां से मिलने दिल्ली जाऊंगा।
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कोशिश होती है कि पूरे रोजे रखूं- अदनान खान
जब मैं 8-9 साल का था, तब से रोजे रख रहा हूं। बचपन में कई बार रोजा तोड़ भी देता था। लेकिन पिछले पांच साल से पूरे महीने रोजे रखता हूं। पिछले साल एक या दो ही रख पाया, क्योंकि ‘इश्क सुब्हान अल्लाह’ के लिए आउटडोर सीन शूट होते थे। तब माइग्रेन से हालात बहुत खराब हो जाती थी। मेरा जब शुगर ब्लॉक होता है, तब बड़ी तकलीफ होती है। उम्मीद करता हूं कि इस साल कई रोजे रखूंगा।
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अब 5-6 दिन ही रोजा रख पाता हूं- आसिफ शेख
जब 6-7 साल का था, तब शौक से रोजा रखता था, तब घरवाले कहते थे कि एक दाढ़ का रोजा रख लो। यानी मुंह के एक तरफ से खाना खाओ। ऐसा कहकर समझाते और खुश भी हो जाता था। 14-15 साल की उम्र से प्रॉपर रोजा रखना शुरू किया। पहले 20-21 रोजे रखता था, लेकिन पिछले 3-4 सालों सिर्फ 5-6 रोजे ही रख पाता हूं। झूठ नहीं बोलूंगा, मैं कभी 30 दिनों का रोजा नहीं रख पाया। ‘भाबीजी घर पर हैं’ कर रहा हूं, तो इसके लिए हमारी रोजाना 4 घंटों की ट्रैवलिंग होती है। यह कॉमेडी शो है, तो पूरा दिन कॉमेडी करते-करते एनर्जी लो हो जाती है। जून में हफ्ते भर की छुटि्टयां मिलती हैं और दो-तीन साल से जून में रोजा पड़ रहा था, तब रख लेता था। इस बार मई से शुरू हुआ है, मेरी हिम्मत नहीं पड़ती। इस बार भी वीकली हॉलीडे मिलेगा, तब उसमें रोजा रखने की कोशिश करूंगा। बाकी जून में 5 से 10 जून तक छुट्टी मिलेगी लेकिन 5 को तो ईद ही हो जाएगी।
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मजदूर रोजा रख सकता है, मैं क्यों नहीं – सलीम जैदी
मुझे याद है, 5वीं क्लास से रोजा रखता रहा हूं, जो अब तक जारी है। अगर इवेंट, फंक्शन या सफर में होता हूं, तब मजबूरी में रोजा नहीं रख पाता हूं। बाकी नियमानुसार सारे रोजे रखता हूं। यह अपने वालिद सैय्यद अली जामिन जैदी से सीखा है, जो टीचर थे। उन मजदूर को आदर्श मानता हूं, जो मई-जून के महीने में तपती धूप में काम करते हुए रोजा रखते हैं, तब मैं क्यों न रखूं! आखिर खुदा ने तो मुझे सारी सहूलियतें दी हैं। रोजे में भूखा रहकर मैंने सीखा है कि भूख क्या होती है, इसलिए आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद करता हूं। मैं ईद के दिन खुद्दार और जरूरतमंदों के लिए अपनी सालाना कमाई का 20 फीसदी जकात निकालता हूं।
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पूरे रोजे नहीं लेकिन रखती जरूर हूं – अदा खान
मैं रोजा रखती हूं, लेकिन डेली शूटिंग की वजह से 30 दिनों में 2-3 दिन नहीं रख पाती हूं। मैं केयरफुली रहती हूं और केयरफुली खाती भी हूं।
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