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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

बर्लिन में सिंगल बैडरूम का किराया 81 हजार रुपए; पांच साल तक किराया बढ़ाने पर रोक लगाने के लिए प्रस्ताव

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बर्लिन.अधिक किराए की समस्या भले ही दुनिया के ज्यादातर महानगरों में मौजूद हो, जर्मनी की राजधानी बर्लिन हाल के वर्षों तक इससे अछूती थी। लेकिन, पिछले एक दशक में यहां भी मकान किराया आसमान छूने लगा है। 2008 में यहां प्रति वर्ग मीटर औसत किराया 5.6 यूरो (करीब 454 रुपए) था।

यह 2018 में बढ़कर 11.40 यूरो (करीब 924 रुपए) हो गया है। स्टूडेंट और युवा प्रोफेशनल की संख्या में बढ़ोतरी के कारण मकान किराए में इस तरह वृद्धि हुई है। एक बेडरूम वाले फ्लैट के लिए 1000 यूरो (करीब 81 हजार रुपए) तक किराया देना पड़ता है। स्थानीय नेताओं ने इस समस्या के हल के लिए ऐसा प्रस्ताव तैयार किया है जो अब तक दुनिया के किसी बड़े शहर में लागू नहीं हुआ है।

इनका प्रस्ताव पांच साल तक बर्लिन में किराया बढ़ाने पर रोक लगाने का है। जर्मनी में हाउसिंग पॉलिसी राष्ट्रीय स्तर पर तय की जाती है। लेकिन बर्लिन के नेताओं की मांग है कि शहर को अपने नियम खुद तय करने दिए जाएं, क्योंकि यह समस्या फिलहाल जर्मनी के किसी और शहर में मौजूद नहीं है।

बर्लिन सोशल डेमोक्रेट के उप प्रमुख जुलियन जाडो कहते हैं कि छह-सात साल पहले जर्मनी में किराया कम था। म्यूनिख और फ्रैंकफर्ट जैसे अन्य जर्मन शहरों की तुलना में यहां आधा किराया था। इससे कई युवा बर्लिन की ओर आकर्षित हुए और काफी अधिक हो गया। यह सब काफी तेजी से हुआ।

जाडो ने बताया कि बर्लिन की 85% आबादी किराए के मकान में रहती है। मकानों की संख्या सीमित है और लोग बढ़ रहे हैं। इसलिए किराया भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। शहर में कई हाउसिंग प्रोजेक्ट चल रहे हैं, लेकिन इनके तैयार होने में कई साल लगेंगे। इसलिए पांच साल तक किराया नहीं बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जैसी ही बड़ी संख्या में प्रोपर्टी तैयार हो जाए यह नियम हटा लिया जाए। अभी बर्लिन की आबादी 37 लाख है। 2008 में यह 34 लाख थी। यहां 10 साल में तीन लाख आबादी बढ़ना का इजाफा बड़ी बात है।

किराया फ्रीज होने से घरों के निर्माण में आ सकती है कमी
बर्लिन में ही कुछ लोग पांच साल के लिए किराया फ्रीज करने की योजना का विरोध भी कर रहे हैं। जर्मन हाउसिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रमुख एलेक्स गेडास्चको कहते हैं कि इससे नए घरों के निर्माण में कमी आ सकती है। अगर डेवलपर्स को लगेगा कि पर्याप्त किराया नहीं मिलेगा तो वे कुछ साल के लिए निर्माण धीमा कर देंगे। नियम लागू हुआ तो 50 हजार अपार्टमेंट कम बनेंगे। किराया न बढ़ने से मेंटेनेंस भी प्रभावित होगा।

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