काबुल. अफगानिस्तान की लैला हैदरी (39) अपने बोल्ड बर्ताव के लिए मशहूर हैं। वे बिना हिजाब पहने कार चलाती हैं। कोई सड़क पर ट्रैफिक जाम करे तो उसे फटकार भी देती हैं। लैला एक क्लीनिक चलाती हैं, जिसमें लोगों की नशे की लत छुड़ाई जाती है। साथ ही काबुल में उनका एक कैफे ताज बेगम भी है, जिसमें शादीशुदा लोग तो जा ही सकते हैं, साथ ही गैर-शादीशुदा लड़कियां भी मौजमस्ती कर सकते हैं। लैला को रेस्त्रां में जाने वाली लड़कियों को भी हिजाब लगाने की जरूरत नहीं है।
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लैला को लोग नाना या मॉम के नाम से भी जानते हैं। उनके समर्थक उन्हें हजारों बच्चों को बचाने वाली करार देते हैं। अब तक वे कई बच्चों को नशे से लत से बाहर ला चुकी हैं। वे तालिबान से शांति वार्ता करने की भी योजना बना रही हैं।
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ताज बेगम में बातचीत के दौरान लैला ने बताया कि तालिबान दोबारा लौट रहा है। इसे रोकना जरूरी है। अगर वे फिर से आ गए तो आपको मेरे जैसे दोस्त और ताज बेगम जैसा रेस्त्रां नहीं मिलेंगे।
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लैला एक रूढ़िवादी परिवार से आती हैं। 12 साल की उम्र में उनकी शादी उनसे 20 साल बड़े मुल्ला से कर दी गई। वे कहती हैं कि 12 साल की उम्र से ऐसा महसूस कर रही हूं जैसे बॉक्सिंग रिंग में जिंदगी जी रही हूं। मुझे तो उस वक्त बाल विवाह के बारे में पता भी नहीं था। एक भरे-पूरे आदमी ने रोज मेरे साथ दुष्कर्म जैसा किया। यह गलत था।
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कई साल पहले लैला का परिवार ईरान चला गया था। लैला के साथ उनके तीन बच्चे भी थे। उनके पति ने धार्मिक कक्षाओं में जाने की अनुमति दी थी लेकिन लैला ने गुपचुप तरीके से एक यूनिवर्सिटी में बाकी विषयों की भी पढ़ाई की और फिल्ममेकिंग की डिग्री ली।
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लैला ने बाद में इस्लामिक तरीके से अपने पति को तलाक दे दिया। बच्चे भी पति के पास ही रहे। वह अफगानिस्तान लौट आईं। उन्होंने काबुल में अपने भाई हकीम को खोजा जो तब तक नशे का आदी हो चुका था। लैला ने खुद से वादा किया कि अगर भाई को नशे की लत से निजात दिला पाईं तो बाकियों को भी इस लत से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रीटमेंट सेंटर खोलेंगी।
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लैला के ट्रीटमेंट सेंटर का नाम मदर्स ट्रस्ट है। लत छुड़ाने के लिए यहां 20 लोग हैं। लोगों के आने के बाद उनकी बाकायदा तलाशी ली जाती है कि कहीं वे कोई नशीला पदार्थ तो नहीं लाए। सेंटर आने वालों को बाकायदा एक यूनिफॉर्म दी जाती है।
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लैला बताती हैं- सेंटर में सिगरेट पीने की अनुमति नहीं है। रोज कसरत करना जरूरी है। पुरुषों को ही खाना बनाने और सफाई का काम करना होता है। अगर वे नियम तोड़ते हैं तो मैं उन्हें पीट भी सकती हूं। यहां रहने वालों को गंजा कर दिया जाता है। अगर लत छोड़ने के बाद वे दोबारा यहां आए तो मैं उनकी भौहें भी काट दूंगी।
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लैला के मुताबिक- मैंने 8 साल पहले सेंटर खोला था, तब से अब तक पांच हजार से ज्यादा लोग यहां इलाज कराने आ चुके हैं। अब नशे की आदी महिलाओं के लिए भी नशा मुक्ति केंद्र खोला जा रहा है। लैला ने रेस्त्रां की सफाई करने वालों को जूते के छोटे कारखाने भी खुलवाए हैं।