गैजेट डेस्क. इंटरनेट डेटा इतना सस्ता होने के बाद भी भारतीयों को मोबाइल पर बात करना ज्यादा पसंद है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) के आंकड़ों को देखें तो भारतीयों का फोन पर बात करने का समय पिछले दो साल में दोगुना तक बढ़ गया। सितंबर 2016 तक हर यूजर प्रति महीना 366 मिनट (6 घंटा 6 मिनट) मोबाइल पर बात करने में खर्च करता था, लेकिन सितंबर 2018 तक यही समय बढ़कर 627 मिनट (10 घंटा 27 मिनट) पर पहुंच गया। इसी दौरान टेलीकॉम कंपनियों को हर मिनट की कॉलिंग से मिलने वाला रेवेन्यू भी कम होता गया। सितंबर 2016 में कंपनियों को एक मिनट की कॉलिंग पर जहां हर यूजर से 48 पैसे का रेवेन्यू मिलता था, वहीं सितंबर 2018 में यही रेवेन्यू कम होकर सिर्फ 12 पैसे हो गया।
-
तिमाही प्रति यूजर प्रति महीना वॉइस कॉल पर समय प्रति मिनट कॉलिंग पर एवरेज रेवेन्यू सितंबर 2016 366 मिनट 48 पैसा दिसंबर 2016 360 मिनट 44 पैसा मार्च 2017 405 मिनट 31 पैसा जून 2017 428 मिनट 27 पैसा सितंबर 2017 437 मिनट 23 पैसा दिसंबर 2017 495 मिनट 19 पैसा मार्च 2018 584 मिनट 16 पैसा जून 2018 608 मिनट 14 पैसा सितंबर 2018 627 मिनट 12 पैसा -
दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने अप्रैल 2018 में बताया था कि देश में इंटरनेट डेटा की कीमत और वॉइस कॉलिंग का खर्च काफी हद तक कम हो गया है। जून 2016 से लेकर दिसंबर 2017 तक डेटा की कीमत 90% तक कम हुई। जून 2016 में एक जीबी डेटा की कीमत 205 रुपए थी। दिसंबर 2017 तक यही कीमत कम होकर 19 रुपए हो गई। जून 2016 में एक मिनट की कॉलिंग के लिए 49 पैसे देने होते थे जो दिसंबर 2017 में कम होकर 19 पैसे हो गए।
-
भारत स्मार्टफोन बिक्री के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़कर दूसरे नंबर का मार्केट बन गया है। रिसर्च फर्म कैनालिस के अनुसार, जुलाई-सितंबर 2018 तिमाही के दौरान भारत में 4.04 करोड़ स्मार्टफोन बिके थे, जबकि अमेरिका में इसी दौरान 4 करोड़ फोन बिके। कैनालिस के मुताबिक, इस तिमाही में दुनियाभर में 34.89 करोड़ स्मार्टफोन की बिक्री हुई थी।
-
टेक्नोलॉजी रिसर्च फर्म टेकआर्क की रिपोर्ट में 2019 में भारत में 30.20 करोड़ मोबाइल फोन बिकने का अनुमान लगाया गया है। इसके मुताबिक, 2019 में सबसे ज्यादा 14.9 करोड़ स्मार्टफोन, 9.8 करोड़ फीचर फोन और 5.5 करोड़ स्मार्ट फीचर फोन बिकने की उम्मीद है। जाहिर है कि इतने मोबाइल फोन बिकने से देश में डेटा कंज्म्पशन तो बढ़ेगा ही, लेकिन साथ-साथ वॉइस कॉलिंग पर खर्च होने वाला समय भी बढ़ सकता है।
-
टेलीकॉम एक्सपर्ट के मुताबिक, आज देश में जितने भी प्रीपेड प्लान हैं, उन सभी में अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा है। लेकिन एक-दो साल पहले तक आउटगोइंग कॉलिंग लिमिटेड मिलती थी।
-
4जी VoLTE टेक्नोलॉजी आने से भी वॉइस कॉलिंग का समय बढ़ा है। दरअसल, 4जी VoLTE की मदद से एकसाथ इंटरनेट और वॉइस कॉलिंग कर सकते हैं, जिससे लोग फोन पर काम करते-करते भी बातें करते हैं।
-
एक्सपर्ट का मानना है कि आज सभी कंपनियों ने अपने मोबाइल नेटवर्क का दायरा बढ़ाया है, जिससे नेटवर्क की क्वालिटी पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुई है। साथ ही, अभी तक जहां नेटवर्क नहीं था, वहां भी अब नेटवर्क पहुंच गया है। इससे ग्रामीण इलाकों में भी वॉइस कॉलिंग बढ़ी है।
-
आजकल सभी प्लान रोमिंग फ्री हो गए हैं। पहले लोग रोमिंग पर जाने पर वॉइस कॉलिंग का इस्तेमाल नहीं करते थे, लेकिन अब लोग देश में कहीं भी जाते हैं तो भी वॉइस कॉलिंग करते हैं।
-
मोबाइल यूजर्स की संख्या भी काफी बढ़ गई है। इससे ये हुआ है कि लोगों के पास मोबाइल पर बात करने के लिए दूसरे लोग ज्यादा हो गए हैं।