मुझे बेहद खुशी है कि दैनिक भास्कर जीवन में सकारात्मकता के महत्व को प्रमुखता से उठा रहा है। वास्तव में यही नजरिया हम सबके जीवन का दर्शन होना चाहिए। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में मीडिया सत्य और तथ्यों के आधार पर लोगों को सूचना देने में अहम भूमिका निभा रहा है। आज जब सब लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते जा रहे हैं, ऐसे में प्राचीन भारत की अहिंसा और करुणा का दर्शन अहम हो जाता है।
यह लोगों को खुशहाल समाज में रहने का रास्ता दिखाता है। अहिंसा जीने का मार्ग है और करुणा प्रेरणा है। हमें इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। हम मूल रूप से एक ही हैं और हमें छोटी सी दुनिया में साथ रहना है। जैसे सेहत के लिए शारीरिक स्वच्छता जरूरी है, वैसे ही नकारात्मक भाव जैसे गुस्सा, ईर्ष्या और डर से मुकाबले के लिए भावनात्मक स्वच्छता जरूरी है।
अगर आप दूसरों की चिंता करेंगे तो झूठ-फरेब के लिए कोई जगह नहीं होगी। यही खूबी हमें भरोसेमंद बनाएगी। हम सब आत्महित से प्रेरित होते हैं, पर हमें दूसरों का हित भी देखना चाहिए। मैं युवाओं से कहता हूं कि वे अपने आंतरिक मूल्यों पर ध्यान दें। शांति रखें। इसी से इंसानों में एकता बनी रह सकती है।
प्रार्थना और शुभकामनाओं के साथ… दलाई लामा
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