सिविल लाइंस, श्री राम पार्क स्थित श्री राम शरणम् आश्रम में साप्ताहिक प्रार्थना सभा का अायोजन किया गया। अमृतवाणी सत्संग धर्मार्थ ट्रस्ट के मुख्य सेवक रमणीक बेदी ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि परम पूज्य गुरुदेव स्वामी सत्यानंद जी महाराज की वाणी है कि प्रत्येक साधक को अपने हृदय को राम नाम से भरना चाहिए। हृदय कई प्रकार के मनोविकारों का स्थान माना गया है। हृदय में प्रेम और हर्ष को भी स्थान मिलता है। हृदय में क्रोध, वैर-विरोध इत्यादि को भी स्थान मिलता है, जो साधक हृदय में गम, फिक्र, चिंता, शोक, वैर-विरोध और क्रोध को स्थान देता है, वह अपना नाश आप करता है। उसका मानसिक और शारीरिक बल कमजोर हो जाता है। यह मनोविकार हृदय पर कब्जा ना कर लेंं, इसलिए अमृतवाणी ग्रन्थ में उपदेश है कि हृदय में राम नाम रुपी दौलत का संग्रह करें। हृदय में राम नाम को ऐसे स्थापित करें जैसे मंदिर में मूर्ति स्थापित की जाती है। जैसे रोगी अपने पास जीवन दायक औषधि को बहुत संभाल कर रखता है। बाहरी संसार से हट कर हृदय में प्रवेश करके ध्यान पूर्वक राम नाम का जाप करें। ऐसा करने से आन्तरिक शांति प्राप्त होती है, घबराहट दूर भागती है। चित्त में शुभ विचार उत्पन्न होने लगते हैं। श्री राम नाम के जाप से जीवन में शुभ गुण बढ़ते हैं। अगर जीवन में गुण होंं तो सभी आदर करते हैं। जो थैली सोने-चांदी से भरी होती है, तो सब उसे बढि़या ढंग से संभाल कर सुरक्षित रखते हैंं। गुणवान मनुष्य का ही जगत में आदर मान होता है।
प्रार्थना सभा में भक्तों ने लगाई हाजिरी।
राम नाम जपने से होती है गुणों में वृद्धि
राम नाम जपने से मनुष्य में शुभ गुणों की वृद्धि होती है। इसलिए बड़े प्रेेम और लग्न से राम नाम का जाप करें, ताकि जीवन सदगुणों से भर जावें। इस अवसर पर साधक-साधिकाओं ने प्रार्थना सभा में उपस्थित हो श्री राम कृपा प्राप्त की।
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