Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

बेटे अरिदमन बोला- पिता की हत्या के 2 साल बाद तक घर से निकलने में भी लगता था डर

0
89

सिरसा. पत्रकाररामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने डेरामुखी गुरमीत राम रहीम समेत चार आरोपियों को दोषी ठहराया। चारों को 17 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। 2002 में रामचंद्र की हत्या के बाद इंसाफ के लिएपरिवार ने16 साल तक संघर्ष किया।

रामचंद्र छत्रपति के छोटे बेटे अरिदमन ने उन दिनों को याद करते हुए बताया किपिता की मौत के बादपरिवार 2 साल तक ऐसा सदमे में रहा कि रात को अंधेरे में घर से बाहर निकलते हुए डर लगता था। घर में मां, दो बेटे औरएक बेटी ऐसे रहते थे कि बस रात गुजर जाए। घर से बाहर निकलते ही लगता था जैसे झाड़ियों में कोई घात लगाए बैठा है, हमला न कर दे। रात को डर-डर कर सोते थे।

अरिदमन कहते हैं किवारदात के बाद कई दिन तक लाेगों का आना-जाना लगा रहा, तब महसूस नहीं हुआ, लेकिन अंतिम अरदास और श्रद्धांजलि सभाओं का दौर खत्म हुआतो असली परेशानियां घर करने लगीं। बड़ा भाई अंशुल मर्डर केस, पुलिस औरअन्य कार्यों में व्यस्त हाे गया।

‘कर्ज लेकर की शादी’

वह बताते हैं किघर में अधिकतर समय अरिदमन और बिटिया श्रेयसी ही मां के साथ रह जाते। पहले पीजीआई और अपोलो जैसे महंगे अस्पताल में पिता का इलाज और बाद में कोर्ट-कचहरी में परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसीबिगड़ी कि अब तक परिवार रिकवर नहीं कर पाया। कुछ समय बाद अंशुल की शादी औरउसके बाद बेटी और छोटे बेटे अरिदमन की शादी को लेकर दोबारा कर्जा लेना पड़ गया। उसने बताया कितत्कालीन सरकार ने भी 5 लाख की सहायता देने की घोषणा की, लेकिन चेक भेजा सिर्फ 50 हजार रुपए का। इसलिए चेक वापस लौटा दिया गया।

डेरामुखी की बहू ने दी बेटी के साथ परीक्षा

वर्ष 2008-09 के दाैरान श्रेयसी की बीए की परीक्षा के लिए केंद्र डेरा का शाह सतनाम जी गर्ल्स कॉलेज आ गया। परिवार ने वहां जाने से रोका भी, लेकिन वह परीक्षा देने गई। श्रेयसी बताती है कि वह क्लासरूम में सबसे आगे थी, जबकि डेरामुखी की बहू हसनमीत की सीट सबसे पीछे थी। सभी उनसेही पूछते कि किसी चीज कि दिक्कत तो नहीं।

लोअर से सुप्रीम कोर्ट तक फ्री में लड़े वकील

अंशुल ने बताया कि तभी उसके पिता के दोस्त एडवोकेट लेखराज ढोट ने आखिर तक फ्री में केस लड़ने का वादा किया। लाेअर कोर्ट में लेखराज ढोट ने लड़ा। हाईकोर्ट में आरएस चीमा ने फ्री में केस लड़ा। सीबीआई जांच लगे स्टे को हटवाने में एडवोकेट राजेंद्र सच्चर ने फ्री में पैरवी की। नवंबर 2004 में स्टे टूटा। डेरा प्रमुख की सीबीआई जांच शुरू हुई।

सांध्य दैनिक के तत्कालीन फीचर संपादक दिनेश गेरा ने बताया कि 21 नवंबर 2004 को उन्होंने छत्रपति के आर्टिकल पर आपत्ति जाहिर कर कहा कि यह नहीं छाप सकता। छत्रपति उठे और गुस्से में बोले- हम अपना अखबार निकालेंगे और सभी सीमाएं ताेड़ देंगे।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति का परिवार।