गुरदासपुर.4 महीने पहले कुवैत से अपने बेटे को देखने आए व्यक्ति को उसके ही रिश्तेदारों ने किडनैप कर जान से मारने की कोशिश की। इसमें हत्या को दुर्घटना का रूप देने के लिए आरोपियों ने व्यक्ति को रेलवे की पटरी पर बांध दिया, ताकि ऊपर से ट्रेन गुजर जाए और यह एक हादसा लगे।
खुशकिस्मती रही कि व्यक्ति को समय पर होश आ गया और उसने कोशिश कर खुद को पटड़ी के बीचोंबीच कर लिया। इसके बाद ऊपर से दो ट्रेनें गुजर जाने के बावजूद भी उसकी जान बच गई।थाना धारीवाल प्रभारी अमनदीप रंधावा ने बताया कि पीड़ित के बयानों पर गुरपाल व गुरमेज दोनों पुत्र मुंशा निवासी कलेरकलां, माही बाजीगर निवासी संतनगर व 3 अज्ञात लोगों के खिलाफ 64, 307, 324, 325, 328, 120बी, 427, 148, 149 के तहत मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
पासपोर्ट को लेकर की गई किडनैपिंग : लखबीर सिंह निवासी बेदी कालोनी धारीवाल ने बताया कि वह 16 अगस्त को कुवैत से वापस आया था। उसके दो बेटे हैं, जिनमें एक 11 साल व एक सवा साल का है। मैंने अपने छोटे बेटे अक्षदीप सिंह को देखा नहीं था, उसे देखने ही पंजाब आया था। इसके बाद कुवैत में ही रहते मेरे रिश्तेदार गुरदेव सिंह ने मुझ पर आरोप लगाया कि मैं उसका पासपोर्ट अपने साथ ले आया हूं, जिसके चलते उन्होंने इस संबंधी मेरी शिकायत एसएसपी गुरदासपुर को भी की थी।
पीड़ित की जुबानी : पीड़ित के अनुसार 24 दिसंबर सोमवार की सुबह करीब साढ़े 5 बजे मैं रोजाना की तरह गुरुद्वारा साहिब गया था। जब मैं 8 बजे के करीब अपने मोटरसाइकिल पर वापस घर आ रहा था तो रास्ते में एक गाड़ी मेरे पास आकर रुकी, जिसमें 5 लोग थे, जिनमें गुरदेव सिंह का भाई गुरदयाल सिंह, मुंशा सिंह व जैमल व दो अज्ञात लोग थे। उक्त सभी ने मुझे जबरदस्ती गाड़ी में बिठा लिया और कह रहे थे कि गुरदेव सिंह का पासपोर्ट वापस करो।
इस दौरान उन्होंने मुझसे मारपीट करनी शुरू कर दी। विरोध करने पर उक्त लोगों ने मुझे बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया। जब मुझे होश आया तो मुझे एक मोटर पर बांधकर रखा हुआ था। इसी दौरान वहां से गुजर रहे कुछ लोगों से मैंने गांव का नाम पूछा तो उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि गांव लालोवाल है और वह भी वहां से भाग गए।
इसके बाद सभी लोग वहां पर पहुंचे और मुझे उठाकर गांव बिधिपुर की एक मोटर पर ले गए। वहां भी मुझसे मारपीट की और मेरी टांग तोड़ दी। सारी रात और मंगलवार का पूरा दिन मैं दर्द से तड़पता रहा। बुधवार सुबह करीब 4 बजे यह लोग वापस आए और मुझे गिरजाघर के पीछे स्थित रेलवे की पटरी पर बांधकर चले गए। किसी तरह मैं रस्सी को ढीला करते हुए पटरी के बीचों बीच लेट गया।
इस दौरान मुझ पर से दो ट्रेनें गुजर गईं, मैंने खुद को मरा हुआ ही समझ लिया। जब कुछ दिन निकला तो महिलाओं की आवाजें सुनाई दीं, इसके बाद मैंने चीखना शुरू किया। जब महिलाओं ने मुझे देखा तो वहां से भाग गईं और घर जाकर पुरुषों को वहां पर भेजा। उक्त लोगों ने मुझे वहां से उठाकर अस्पताल भर्ती करवाया व मेरे घर सूचित किया।
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