नई दिल्ली (संतोष कुमार). विपक्ष हो या सत्ता पक्ष संसद सदस्यों के नारों के साथ तख्तियां लहराकर लोकसभा की कार्यवाही ठप करने वाले सांसदों से स्पीकर सुमित्रा महाजन बेहद खफा हैं। इससे निजात पाने के लिए वे कवायद में जुटी हैं। अगर उनकी कोशिश कामयाब हुई तो 17वीं लोकसभा की तस्वीर बदल जाएगी। विपक्ष हंगामा तो कर सकता है, पर सदन की कार्यवाही ठप कराने की कोशिश बंद हो जाएगी।
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ऐसा करने वाले सांसद स्वत: सदन की कार्यवाही से एक निश्चित समय सीमा के लिए निष्कासित हो जाएंगे और कार्यवाही सुचारू रुप से चल पाएगी। इसके लिए शुक्रवार को स्पीकर की अगुवाई में लोकसभा की नियम समिति की बैठक हुई। इसमें नियमों में बदलाव का ड्राफ्ट बनाने के लिए स्पीकर को अधिकृत कर दिया गया है। हालांकि इस बैठक से कांग्रेस गैरहाजिर रही।
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बैठक में छत्तीसगढ़ विधानसभा के फॉर्मूले पर चर्चा हुई। छत्तीसगढ़ में नियम है कि यदि कोई विधायक हंगामा करते हुए वेल में पहुंचता है, तो वह स्वत: 5 दिन के लिए सदन की कार्यवाही से निष्कासित हो जाता है। पर लोकसभा में नियम समिति 5 दिन की सख्ती के बजाय 1 से 5 दिन तक निष्कासन पर विचार कर रही है।
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सूत्रों के मुताबिक, बैठक में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि इस तरह का बदलाव करने के लिए यही मुफीद समय है क्योंकि मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है और इससे यह आरोप भी नहीं लगेगा कि सत्ता पक्ष जान-बूझकर अपने फायदे के लिए ऐसा कर रहा है।16वीं लोकसभा के आखिरी पूर्णकालिक सत्र (शीतकालीन) में भी लगातार हंगामे से आहत स्पीकर ने 15 सदस्यीय नियम समिति की बैठक बुलाई थी। इसमें स्पीकर महाजन को ही नियमों में बदलाव का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए अधिकृत कर दिया।
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बीजू जनता दल के सदस्य माहताब ने कहा कि सदन में हंगामा कर ठप कराने से महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने का मौका नहीं मिलता। वे कई दिनों से साइक्लोन का मुद्दा उठाना चाह रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी बैठक में मौजूद नहीं थे, लेकिन वेल में हंगामा करने और तख्ती दिखाने से रोकने के नियम पर उनकी सहमति है।
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अभी लोकसभा में 374 ए नियम के तहत सदन की कार्यवाही को सुचारू रुप से चलाने के लिए हंगामा करने वाले सांसदों का आसंदी (स्पीकर चेयर) से नाम लेने पर ही निष्कासन का नियम है। इस कारण स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगने की आशंका रहती है।