कोलंबो. श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने गुरुवार को दावा किया कि स्पीकर के पास ध्वनिमत से उन्हें पद से हटाने का अधिकार नहीं है। यह बात राजपक्षे ने अपने खिलाफ मंगलवार को पास हुए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कही। इसके बाद श्रीलंका की संसद में सांसद भिड़ गए और उनमें जमकर लात-घूंसे भी चले।
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श्रीलंका की संसद गुरुवार को दोबारा बुलाई गई थी। इस दौरान स्पीकर कारू जयसूर्या ने कहा कि देश में कोई सरकार नहीं है। यहां इस वक्त कोई प्रधानमंत्री भी नहीं है, चाहे वे राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त किए गए राजपक्षे हों या उनके प्रतिद्वंद्वी विक्रमसिंघे।
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राजपक्षे ने स्पीकर की बात को नकारते हुए कहा कि किसी खास मुद्दे का फैसला ध्वनिमत से नहीं किया जा सकता। इसके अलावा स्पीकर के पास प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्रियों को नियुक्त करने या हटाने का अधिकार नहीं है।
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राजपक्षे ने आरोप लगाया कि स्पीकर पक्षपात कर रहे हैं। वे अपनी यूनाइटेड नेशनल पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिसका नेतृत्व बेदखल किए गए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे कर रहे हैं।राजपक्षे ने कहा कि देश के इस राजनीतिक संकट को दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका दोबारा चुनाव कराना ही है।
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विरोधियों ने राजपक्षे के बयान पर वोट कराने की मांग की तो कुछ सांसद सदन के बीच में आकर नारेबाजी करने लगे। इसके बाद 35-36 सांसद आपस में भिड़ गए। मारपीट के दौरान कुछ सांसद जमीन पर भी गिर गए। राजपक्षे का समर्थन करने वाले सांसद स्पीकर की ओर पानी बोतलें, किताबें और खाली कैन फेंकने लगे। करीब आधे घंटे चले इस ड्रामे के बाद जयसूर्या ने संसद बर्खास्त कर दी।
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श्रीलंका में राजनीतिक संकट की शुरुआत 26 अक्टूबर को हुई थी। उस दौरान राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे की सरकार को बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। इसके बाद सिरिसेना ने संसद भंग कर दी और राजपक्षे को बहुमत साबित करने के लिए वक्त दे दिया।
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विक्रमसिंघे ने अपनी बर्खास्तगी को गलत बताते हुए प्रधानमंत्री आवास खाली करने से इनकार किया। ऐसे में राष्ट्रपति ने 5 जनवरी को आकस्मिक चुनाव कराने का फैसला सुनाया।यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
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अदालत ने राष्ट्रपति सिरिसेना का फैसला पलटते हुए आकस्मिक चुनाव पर रोक लगा दी। ऐसे में राजपक्षे ने सिरिसेना की पार्टी से 50 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया और पिछले साल बनी श्रीलंका पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गए।