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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

84 साल में सिर्फ 3 बार राष्ट्रपति की पार्टी दोनों सदनों में जीती

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वॉशिंगटन. अमेरिका में 6 नवंबर को मध्यावधि चुनाव होने हैं। इसमें सीनेट यानी अमेरिकी संसद के उच्च सदन की 100 में से 35 सीटों और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स यानी निचले सदन की सभी 435 सीटों पर सांसद चुने जाएंगे। 35 राज्यों के गवर्नर भी चुने जाने हैं। मध्यावधि चुनावों को राष्ट्रपति के आधे कार्यकाल के प्रदर्शन का नतीजा माना जाता है। अगर रिपब्लिकन पार्टी दोनों सदनों में जीत जाती है तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने कार्यकाल के बचे हुए दो साल बिना विपक्षी अवरोध के कामकाज कर पाएंगे। हालांकि, पिछले 84 साल में 1934, 1998 और 2002 में ही ऐसा मौका आया जब तत्कालीन राष्ट्रपति की पार्टी को मध्यावधि चुनावों में दोनों सदनों में जीत मिली।

84 साल में वो तीन मौके जब दोनों सदनों में जीती राष्ट्रपति की पार्टी

  • 1934 में डेमोक्रेट पार्टी के फ्रेंकलीन रूजवेल्ट प्रेसिडेंट थे। मध्यावधि चुनाव में उनकी पार्टी को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट में 9-9 सीटें ज्यादा मिलीं।
  • 1998 मेंडेमोक्रेट बिल क्लिंटन राष्ट्रपति थे। उनकी पार्टी ने हाउस में 5 सीटें ज्यादा जीतीं और सीनेट में सभी सीटें बचा लीं।
  • 2002 में रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति थे। उनकी पार्टी ने हाउस में 8 अौर सीनेट में 2 सीटें ज्यादा जीतीं।
  • अगर हाउस और सीनेट के चुनावों को अलग-अलग देखें तो भी ज्यादातर मौकों पर राष्ट्रपति की पार्टी को हार का ही सामना करना पड़ा।
  • हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के निर्वाचन के 21 में से 18 मौकों पर सत्तारूढ़ पार्टी हार गई। वहीं, सीनेट के 21 निर्वाचनों में 15 मौकों पर राष्ट्रपति की पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

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क्या होते हैं मध्यावधि चुनाव?

  • अमेरिका में हर चार साल में राष्ट्रपति चुनाव होते हैं। जिस साल राष्ट्रपति चुने जाते हैं, उसके दो साल बाद मध्यावधि चुनाव होते हैं। यानी 2016 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे। इसलिए 2018 का साल मध्यावधि चुनाव का है।
  • कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद में दो सदन हैं। एक उच्च सदन- सीनेट और दूसरा निचला सदन- हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव्स। सीनेट सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है। हर 2 साल में सीनेट की करीब एक-तिहाई सीटें खाली हो जाती हैं। इस बार 35 सीटों पर चुनाव हैं।
  • हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के 435 सदस्यों का कार्यकाल सिर्फ 2 साल का होता है। यानी हर दो साल में नई हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स चुनी जाती है। पिछली बार 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के साथ हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के चुनाव होते थे। दो साल पूरे होने पर अब 6 नवंबर को नया सदन चुना जाएगा।

ट्रम्प पर कैसे असर डाल सकते हैं चुनाव नतीजे?

  • अगर रिपब्लिकन सीनेट की 35 और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटिटव्स की 435 में से बड़ा हिस्सा गंवा देते हैं तो उन्हें ट्रम्प के कार्यकाल के अगले दो साल में अहम कानून बनाने और फैसले लेने में दिक्कत का सामना कर पड़ सकता है।
  • अमेरिकी संविधान में दोनों सदनों को कुछ ताकतें दी गई हैं। इनमें कानून बनाने से लेकर राष्ट्रपति को हटाने तक की शक्ति शामिल है। ऐसे में अगर ट्रम्प की पार्टी मध्यावधि चुनाव में हारती है तो यह ट्रम्प के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
  • अगर विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी को चुनावों में रिपब्लिकंस से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो वह इसे ट्रम्प पर जनता का कम होता विश्वास बताकर निचले सदन में राष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव ला सकती है। इस तरह वह ट्रम्प पर दबाव बना सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति को हटाने की ताकत सिर्फ सीनेट के पास है।

अभी क्या हैं दोनों सदनों के आंकड़े?

  • 2016 में हुए हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव्स के चुनाव में रिपब्लिकन्स ने 435 में से 235 सीटें जीत कर बहुमत हासिल किया था।
  • फिलहाल 100 सदस्यीय सीनेट में रिपब्लिकंस के पास 51 सीटें हैं। लेकिन इस बार सीनेट की जिन 35 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें से उसकी सिर्फ 9 सीटें ही दांव पर हैं। बाकी 26 सीटें डेमोक्रेट पार्टी को बचानी हैं। ऐसे में रिपब्लिकंस के खिलाफ डेमोक्रेट्स का एकतरफा प्रदर्शन ही उसे सीनेट में बहुमत दिला सकता है।

37 सांसदों ने लिया रिटायरमेंट, 24 साल में सबसे ज्यादा संख्या

  • कांग्रेस से सांसदों के रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है। लेकिन इस बार रिपब्लिकन के ज्यादातर सांसद रिटायरमेंट के करीब उम्र ना होने के बाद भी मध्यावधि चुनावों में हिस्सा लेने से इनकार कर रहे हैं। अब तक करीब 37 रिपब्लिकन सांसद रिटायरमेंट का ऐलान कर चुके हैं, जबकि 17 डेमोक्रेट भी इस्तीफा देंगे। यानी कुल 54 सांसद इस साल चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे।
  • कुछ सांसदों ने यौन दुराचारों के आरोप के बाद इस्तीफा दिया है, जबकि कुछ सांसद दूसरे क्षेत्रों में किस्मत आजमाएंगे। 1994 के बाद सांसदों के चुनाव से पहले पीछे हटने का यह दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। 1994 में चुनाव से पहले कुल 56 सांसद रिटायर हुए थे। तब 34 डेमोक्रेट और 22 रिपब्लिकन्स ने फिर चुनाव न लड़ने का एेलान किया था।

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ट्रम्प के विरोध में रिटायरमेंट
दरअसल, कई सांसद ट्रम्प की नीतियों से नाखुश बताए जाते हैं। सीएनएन को दिए इंटरव्यू में एक सांसद ने ट्रम्प के पक्षपातपूर्ण रवैये का हवाला दिया था। एक और सांसद ने कहा था कि इस्तीफे की वजह यह है कि लोग अब उनसे सिर्फ ट्रम्प के अजीबोगरीब कदमों के बारे में ही पूछते हैं, ना कि देश की नीतियों के बारे में। यह बात डेमोक्रेट्स के लिए काफी अच्छी हो सकती हैं क्योंकि आमतौर पर बड़े नाम कांग्रेस में अपनी सीट बचाने में कामयाब हो जाते हैं। साथ ही वे पार्टी के चेहरे के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।

ट्रम्प की अप्रूवल रेटिंग में गिरावट
राष्ट्रपति का शासन जनता को कितना पसंद आया, यह उनकी अप्रूवल रेटिंग से पता चलता है। 2010 के मध्यावधि चुनावों से पहले ओबामा की अप्रूवल रेटिंग करीब 45% के पास पहुंच गई थी। तब डेमोक्रेट पार्टी को मध्यावधि चुनावों में रिकॉर्ड सीटों पर हार मिली थी। इस साल ट्रम्प की अप्रूवल रेटिंग ऐतिहासिक निचले स्तर 40% पर है। रिपब्लिकन्स के लिए आधिकारिक सर्वे भी बेचैन करने वाले हैं। इसमें करीब 10% लोगों ने अपना समर्थन बदल कर डेमोक्रेट्स के साथ जाने की बात कही है।

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