गैजेट डेस्क. आपके एंड्रॉयड फोन में जितने भी एप्लीकेशन्स हैं, उनमें से 90% एप आपके निजी डेटा में ताक-झांक कर रहे हैं। अलग-अलग एप्स यूजर डेटा चुराकर इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ शेयर कर रहे हैं। ये नतीजा इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक हालिया रिसर्च से निकला है।
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ऑक्सफोर्ड ने मोबाइल ऐप्स और यूजर सिक्योरिटी में उनके दखल का पता लगाने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद 9.59 लाख एंड्रॉयड ऐप्स पर रिसर्च किया। नतीजा निकला कि एंड्रॉयड के 90% ऐप्स यूजर के निजी डेटा में सेंध लगाते हैं।
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ये डेटा अपने सर्वर पर स्टोर करते हैं। ये ऐप्स न सिर्फ यूजर डेटा चोरी करते हैं, बल्कि उसे थर्ड पार्टी के साथ शेयर भी करते हैं। चोरी होने वाले डेटा का 50% से ज्यादा हिस्सा फेसबुक, ट्विटर और गूगल के साथ शेयर किया जाता है।
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इतने बड़े स्तर पर डेटा में सेंध लगाने का कारण है ऐप्स की कमाई का डेटा शेयरिंग और एड रेवेन्यू पर केंद्रित होना। ऐप कंपनियां मुख्य तौर पर यूजर की उम्र, जेंडर, लोकेशन और कभी-कभी उसकी फाइनेंशियल डिटेल्स तक स्टोर और शेयर करती हैं।
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कई ऐप्स तो ऐसे हैं, जो मल्टीपल कंपनियों से यूजर डेटा शेयर करती हैं। रिसर्च से पता चला कि 10% ऐप्स ऐसे हैं, जो एक बार में 20-20 कंपनियों से यूजर डेटा शेयर कर रही हैं।
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गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट की सबसे ज्यादा 88% ऐप्स तक पहुंच है। यानी 88% ऐप्स ऐसे हैं, जिनका स्टोर किया हुआ यूजर डेटा एल्फाबेट को आसानी से उपलब्ध हो रहा है।
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इसी तरह दूसरे नंबर पर फेसबुक (43%) और तीसरे पर ट्विटर (34%) है। माइक्रोसॉफ्ट को 23% ऐप्स का स्टोर किया डेटा मिल जाता है, वहीं अमेजन को भी 18% ऐप्स के डेटा तक एक्सेस मिल जाता है।
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अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को यूजर डेटा की मदद से यूजर तक जरूरी विज्ञापन पहुंचाने में मदद मिलती है।
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रिसर्च सामने आते ही गूगल बैकफुट पर आ गया। कहा- “ये तो हमारे कुछ सामान्य फंक्शन हैं। जरूर रिसर्च करने वालों को कुछ गफलत हुई है। हमारी तो डेटा सिक्योरिटी को लेकर बेहद स्पष्ट पॉलिसी है। उसका उल्लंघन हुआ तो सख्त कार्रवाई होगी।
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वहीं लीड रिसर्चर रुबेन बिन्स ने कहा कि- “हम ये नहीं कह रहे कि यूजर डेटा का इस्तेमाल करने वाले हर ऐप इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन यूजर डेटा स्टोर किया जा रहा है और इसे थर्ड पार्टी के साथ शेयर भी किया जा रहा है। इसे नहीं नकारा जा सकता।
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दरअसल सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ई-कॉमर्स साइट्स को यूजर से जुड़ी जानकारी मिल जाए तो उन्हें इससे खासा फायदा होता है। इसी जानकारी के हिसाब से वो यूजर को कोई खास विज्ञापन या कंटेंट दिखाते हैं। ऑनलाइन एडवरटाइजिंग का बिजनेस करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए तक का हो चुका है।