लद्दाख.चीन ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन किया। सूत्रों के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दो हेलिकॉप्टर 27 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में चीन से लगे लद्दाख के ट्रिग हाइटइलाके में घुस आए। करीब 10 मिनट तक भारतीय हवाई क्षेत्र में रहने के बाद वापस लौट गए। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (अाईटीबीपी) ने इसकी रिपोर्ट तैयार की है। ट्रिग हाइट भारत के लिए रणनीतिक तौर पर अहम है। इसी इलाके में दौलत बेग ओल्डी एयरफील्ड भी है। चीन यहां घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।
चीनी सैनिकों ने करीब 20 दिन पहले भी अरुणाचल की दिवांग घाटी में पहुंचकर टेंट लगा दिए थे। ग्रामीणों ने यह खबर भारतीय सैनिकों को दी थी। आपत्ति के बाद चीनी सैनिक लौट गए थे। हालांकि, चीन ने घुसपैठ से इनकार करते हुए कहा था कि हमारे सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर नियमित पेट्रोलिंग करते हैं।
बाराहोती में चार किमी अंदर घुस आए थे चीनी सैनिक
चीन ने 6, 14 और 15 अगस्त को उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोती में घुसपैठ की थी। उसके सैनिक भारतीय सीमा में चार किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे। बाराहोती भारत-चीन सीमा की उन तीन चौकियों में से एक है, जहां आईटीबीपी के जवान बिना हथियार के पैट्रोलिंग करते हैं।
दरअसल, 1958 में भारत और चीन ने बाराहोती के 80 वर्ग किलोमीटर के इलाके को विवादित क्षेत्र घोषित करते हुए यह निर्णय लिया था कि यहां कोई भी अपने जवान नहीं भेजेगा। 2000 में यह फैसला लिया गया कि तीन पोस्टों पर आईटीपीबी हथियारों के बिना रहेगी। उसके जवान भी वर्दी की बजाय सिविलियन कपड़ों में रहेंगे। उत्तराखंड में बाराहोती के अलावा ऐसी दो और पोस्ट हिमाचल प्रदेश के शिपकी और उत्तर प्रदेश के कौरिल में है।
डोकलाम में 73 दिन आमने-सामने रही थीं दोनों देशों की सेना
जून 2016 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम में तब तनाव बढ़ गया था, जब भारत ने चीनी सैनिकों को वहां सड़क बनाने से रोक दिया था। यहां 73 दिन तक भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने रहे थे। हालांकि, बाद में कूटनीतिक रास्ते से यह विवाद सुलझा लिया गया था।
भारत की नजर में एलएसी ही आधिकारिक सीमा
भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) 4 हजार किमी लंबी है। भारत इसी को दोनों देशों के बीच आधिकारिक सीमा मानता है, लेकिन चीन इससे इनकार करता है। एलएसी पार करने के मुद्दे पर इस साल की शुरुआत में उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा था कि दोनों देश सीमा को अलग-अलग मानते हैं। लेकिन भारत और चीन के पास ऐसे विवादों का निपटारा करने के लिए तंत्र मौजूद है।
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