श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने आज अपने प्रमुख रॉकेट प्रक्षेपण यान पीएसएलवी से कार्टोसैट-2 श्रृंखला के एक उपग्रह और 30 नैनो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है। कार्टोसैट-2 श्रृंखला के इस उपग्रह से रक्षा निरीक्षण को मजबूती मिलेगी। अपनी 40वीं उड़ान में पीएसएलवी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह नौ बजकर 29 मिनट पर उड़ा और इसके 27 मिनट बाद इसने उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया। 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी38 अपने साथ पृथ्वी के पर्यवेक्षेण वाले उपग्रह यानी कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह को प्राथमिक पेलोड के तौर पर साथ लेकर गया है। इसके अलावा वह अपने साथ 30 अन्य उपग्रहों को ले गया है। इन उपग्रहों का कुल वजन 955 किलो है।
कार्टोसैट-2 श्रृंखला के तीसरे उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही अंतरिक्ष में भारत की नजर और अधिक पैनी एवं व्यापक होनी तय है। इसरो के सूत्रों ने कहा कि इस श्रृंखला के पिछले उपग्रह की विभेदनक्षमता 0.8 मीटर की थी और इससे ली गई तस्वीरों ने पिछले साल नियंत्रण रेखा के पार सात आतंकी ठिकानों पर सजर्किल हमले करने में भारत की मदद की थी। हालिया रिमोट सेंसिंग उपग्रह की विभेदन क्षमता 0.6 मीटर की है। इसका अर्थ यह है कि यह पहले से भी छोटी चीजों की तस्वीरें ले सकता है। इसरो के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह किसी चीज को 0.6 मीटर की लंबाई और 0.6 मीटर की चौड़ाई वाले वर्ग के बीच मौजूद चीजों को चिन्हित कर सकता है।’ अधिकारी ने कहा, ‘रक्षा निरीक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इसका इस्तेमाल आतंकी शिविरों और बंकरों आदि की पहचान के लिए किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि उपग्रह के सक्रिय हो जाने पर इसे रक्षा बलों को सौंप दिया जाएगा। रक्षा बलों का अपना पूरा तंत्र है, जिसमें डेटा तक पहुंच बना सकने वाले जमीनी स्टेशन और प्रशिक्षित कर्मी शामिल हैं।
पीएसएलवी-एक्सएल स्वरूप में यह पीएसएलवी की 17वीं उड़ान है। इस स्वरूप में ‘सॉलिड स्ट्रैप-ऑन’ मोटरों का इस्तेमाल किया जाता है। पीएसएलवी के साथ गए उपग्रहों में एक नैनो उपग्रह तमिलनाडु स्थित कन्याकुमारी जिले की नूरउल इस्लाम यूनिवर्सिटी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। यह एनआईयूसैट फसलों के निरीक्षण और आपदा प्रबंधन के सहयोगी अनुप्रयोगों के लिए तस्वीरें उपलब्ध करवाएगा। दो भारतीय उपग्रहों के अलावा पीएसएलवी के साथ गए 29 नैनो उपग्रह 14 देशों के हैं। ये देश हैं- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक रिपब्लिक, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका।
जैसे ही उपग्रहों को कक्षा में एक-एक करके प्रवेश कराया गया, मिशन कंट्रोल सेंटर के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने कहा कि यह अभियान सफल रहा। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी टीम, खासतौर पर कार्टोसैट टीम को उनकी मेहनत के लिए बधाई देता हूं। यह अभियान विशेष सफल रहा है। इसने सभी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया है।’ कार्टोसैट-2 रिमोट सेंसिंग उपग्रह है। इसरो ने पांच जून को अपने सबसे शक्तिशाली और भारी भूस्थैतिक रॉकेट का प्रक्षेपण किया था। वह रॉकेट अपने साथ आधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-19 को लेकर गया था। स्वदेशी क्रायोजेनिक ईंजन वाले तीन चरणीय जीएसएलवी एमके 3 ने अच्छा प्रदर्शन किया था। कुमार ने कहा कि जीसैट-19 अपने निर्धारित स्थान पर पहुंच गया है और सभी पेलोडों को सक्रिय कर दिया गया है तथा उसने संचालन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि 28 जून को एक संचार उपग्रह प्रक्षेपित किया जाएगा, जो हमारी क्षमता में ट्रांसपोंडरों की संख्या में एक अहम वृद्धि करेगा। उन्होंने कहा, ‘पृथ्वी पर्यवेक्षण, दिशा संसूचन और संचार उपग्रहों की संख्या बढ़ाने के हमारे प्रयास जारी रहेंगे और आगामी दिनों में हम कईऔर कार्यो को अंजाम दे सकते हैं।’
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि विदेशी ग्राहकों के 29 नैनो उपग्रहों को इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच के समझौतों के आधार पर प्रक्षेपित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएसएलवी के माध्यम से 31 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की सराहना करते हुए कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने देश का गौरव बढ़ाया है। मोदी ने ट्वीट किया, ‘पोलर सेटेलाइट लॉच के 40वें सफल प्रक्षेपण के जरिये 15 देशों के 31 उपग्रहों के ले जाने के लिये इसरो को बधाई। आपने हमें गौरवान्वित किया।’ इसरो का प्रमुख रॉकेट पीएसएलवी-38 आज अपने साथ कार्टोसैट-2 श्रृंखला का एक उपग्रह और 30 अन्य उपग्रह लेकर रवाना हो गया है। कार्टोसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह रक्षा बलों के लिए समपर्ति है। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पर ले जाए गए इन उपग्रहों का कुल वजन लगभग 955 किलोग्राम है।