Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

पुलिस भर्ती घोटाला: अब पीपीएस अफसर घेरे में, 26 लाख रुपये मं सौदेबाजी का आरोप

0
174

चंडीगढ़। पंजाब पुलिस के आइटीएंडटी सेल के वायरलेस विंग में छह ऑपरेटरों की फर्जी भर्ती के मामले में अब एक पीपीएस अधिकारी पर शिकंजा कस गया है। इस अधिकारी पर मुख्य आरोपी को 26 लाख रुपये लेकर फरार करवाने आ आरोप लगा है। मामले की शिकायत डीजीपी सुरेश अरोड़ा से की गई है। उन्होंने मामले की जांच शुरू करवा दी है। 
मुख्‍य आरोपी को 26 लाख रुपये लेकर भगाने का आरोप, जांच शुरू
बताया जाता है कि डीजीपी ने मामले की पड़ताल में जुटी विजिलेंस की टीम को फटकार लगाई है कि मुख्य आरोपी को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। बीते साल पंजाब पुलिस में बड़े पैमाने पर भर्तियां की गई थीं। इसी बीच अफसरों की मिलीभगत से वायरलेस विंग में ऑपरेटरों की भर्ती को लेकर फर्जीवाड़े का खेल हुआ।
वायरलेस विंग का हेडक्वार्टर मोहाली में है।
मोहाली में ही संजीव कुमार नामक मुख्य आरोपी ने छह युवाओं से लाखों रुपये लेकर उनकी भर्ती वायरलेस विंग में करवा दी थी। मामले का खुलासा तब हुआ, जब भर्ती होने के बाद ड्यूटी करने वाले युवाओं सुरिंदर कुमार, आकाश चंद, गुरजंट सिंह, सुरिंदर, हरजीत शर्मा व अनमोल को पांच महीने काम करने के बाद भी वेतन नहीं मिला।
इसके बाद वेतन के लिए वे सभी पुलिस ह़ेडक्वार्टर पहुंचे, तो मामले का खुलासा हुआ कि उनका नाम तो मुलाजिमों की लिस्ट में है ही नहीं। आइटीएंट विंग की एक क्लर्क ने युवाओं की पड़ताल के बाद मामला बड़े अधिकारियों की संज्ञान में दिया। इसके बाद तत्कालीन एआइजी एमएस सिद्धू ने इस मामले में एफआइआर करवा दी।
फर्जी भर्ती घोटाले का खुलासा होने के बाद डीजीपी सक्रिय हुए और जांच तत्कालीन एडीजीपी वीके भांवरा को सौंपी गई। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच विजिलेंस से करवाने की अपील की और जांच विजिंलेंस को सौंप दी गई। इसी बीच मुख्य आरोपी संजीव मोहाली के मैक्स अस्पताल में गंभीर बीमारी के इलाज के लिए भर्ती हो गया।
कुछ दिनों तक मोहाली पुलिस संजीव की गिरफ्तारी को लेकर अस्पताल के बाद पहरे पर डली, लेकिन विजिलेंस को मामला सौंपे जाने के बाद मोहाली पुलिस भी ढीली पड़ गई। इसी बीच मुख्य आरोपी कब अस्पताल से फरार हो गया किसी को नहीं पता और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
बीते दिन भुक्तभोगियों ने मामले को लेकर डीजीपी से मुलाकात कर उन्हें शिकायत की  कि संजीव की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई और एक पीपीएस अफसर ने उसे 26 लाख लेकर फरार करवा दिया है। इसके बाद डीजीपी ने संजीव की गिरफ्तारी को लेकर मोहाली पुलिस को आदेश दिए। साथ ही विजिलेंस को फटकार लगाई है कि जब केस की पड़ताल चल रही है, तो आरोपी अस्पताल से डिसचार्ज होकर फरार कैसे हो गया।
उन्होंने कहा है कि इसकी पड़ताल करके जल्द से जल्द उन्हें रिपोर्ट सौंपी जाए। साथ ही विभागीय विजिलेंस से पीपीएस अफसर पर लगे आरोपों की जांच के आदेश भी डीजीपी ने दिए हैं। मामले को लेकर डीजीपी ने पुष्टि की है कि उनसे इस मामले की शिकायत की गई है और उन्होंने कारवाई के आदेश दिए हैं।

पांच महीनों तक वीवीआइपी मूवमेंट की सारी जानकारी लेते रहे थे फर्जी ऑपरेटर

वायलेस विंग में तैनात सभी छह फर्जी ऑपरेटर पांच महीनों तक वीवीआइपी व वीआइपी मूवमेंट की सारी जानकारी लेते रहे। सुरक्षा को लेकर संवेदनशील पंजाब के खिलाफ अगर किसी संगठन ने आतंकी संगठन फर्ती भर्ती का सहारा लिया होता, तो सूबे की सुरक्षा दांव पर लग जाती।
रोजाना लगती थी हाजिरी, फिर भी नहीं पता चला अफसरों को
फर्जी तौर पर भर्ती किए गए सभी छह युवाओं की रोजाना हाजिरी लगती थी और विभाग के डीएसपी स्तर के अधिकारी हाजिरी की पुष्टि करते थे और खुद फिजिकल वेरिफिकेशन करने के बाद हाजिरी को क्लीन चिट देते थे। सवालिया निशान तो इससे भी लगता है कि विभाग में पांच महीनों तक रेगुलर ड्यूटी कर रहे इन युवाओं के बारे में दौरे पर जाने वाले बड़े अधिकारियों को भी नहीं पता चला।