पाटीदार समाज की 10 बड़ी धार्मिक संस्थाओं के नेता मंगलवार को एक बार फिर एक मंच पर इकट्ठा हुए. कांग्रेस द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में पाटीदारों को आरक्षण देने के वादे को धोखा बताते हुए नेताओं ने कहा कि जो बात मुमकिन ही नहीं उसे वादे के तौर पर क्यों दिया जा रहा है.
विश्व उमिया संस्थान के संयोजक आरपी पटेल ने कहा कि जो मसौदा हार्दिक ने कांग्रेस की ओर से दिया गया था, इस कानूनी राय ली गई है. हरीश साल्वे ने साफ कर दिया कि संवैधानिक तौर पर यह आरक्षण मुमकिन ही नहीं तो फिर क्यों हार्दिक कांग्रेस का राजनीतिक हथियार बन रहा है.
आरपी पटेल ने यह भी कहा कि जो युवा वर्ग हार्दिक की बातों में आकर भटका हुआ है उसे वापस समाज की सोच की ओर लाने के प्रयास जारी हैं.
हार्दिक का आंदोलन सामाजिक नहीं निजी बन गया है
इन संस्थाओं ने हार्दिक से यह कहकर किनारा कर लिया था कि हार्दिक का आंदोलन अब सामाजिक न रहते हुए राजनीतिक और निजी बन गया है. यहां तक कि इशारों ही इशारों में उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि कुछ समय के लिए बीजेपी से नाराजगी जरूर थी लेकिन अब सब ठीक है. अब यह साफ है कि समाज का एक तबका बीजेपी के साथ खड़ा दिख रहा है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं स्थितियां बदल रही हैं.
पाटीदार पेटलों में दो कम्युनिटी हैं
पाटीदार पटेलों में दो प्रमुख कम्युनिटी हैं लेउवा और कडवा पटेल. इसके आलावा कच्छी पटेल, काछिया पटेल, कोली पटेल भी हैं. कडवा और लेउवा आपस में वैवाहिक संबंध नहीं रखते और इनकी लोकल लीडरशिप भी अलग होती है.
कडवा पटेल बहुल इलाके- राजकोट, जूनागढ़, जामनगर, भावनगर, कच्छ, मेहसाणा, पाटन, पालनपुर,
लेउवा पटेल बहुल इलाके- सूरत,आणंद, खेड़ा, गोंडल (राजकोट), जेतपुर, जामनगर, मोरबी, सुरेंद्रनगर के कुछ इलाके