जालंधर : बिजली एवं सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह के बेटे राणा इंद्र प्रताप सिंह से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के अधिकारियों ने फेमा के उल्लंघन के मामले में लगभग छह घंटे तक लंबी पूछताछ की। राणा इंद्र प्रताप सिंह विदेश से जुटाई 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का पूरा रिकार्ड लेकर ईडी ऑफिस पहुंचे थे। पहले खनन नीलामी मामले और बाद में ईडी का सम्मन मिलने के बाद विवादों के घेरे में आए बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने मंत्री पद के साथ ही पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
क्या है मामला
क्या है मामला
राणा इंद्र प्रताप सिंह पर आरोप है कि उन्होंने विदेश से 100 करोड़ रुपये का निवेश एकत्र कर राणा शुगर मिल में लगाया था, इसकी सूचना न रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को दी गई थी, न ही सेबी को। यह राशि विदेशों से जुटाने के बाद पहले पुर्तगाल की एक बैंक में जमा कराया गया, बाद में उसे भारत लाया गया।
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सेबी ने यह मामला पकड़ा था, उसके बाद ईडी ने इस मामले में जांच शुरू की थी। पहले इस संबंध में बिजली मंत्री से इस निवेश के बारे में पूछा गया था, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि पूरा कामकाज उनका बेटा इन्द्र प्रताप ङ्क्षसह देख रहा सके। इसके बाद इन्द्रप्रताप ङ्क्षसह को ईडी ने सम्मन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था। इंद्रप्रताप बुधवार दोपहर लगभग 1 बजे अकेले ही शुगर मिल के दस्तावेजों के साथ ही रेडियो स्टेशन के निकट स्थित ईडी के ऑफिस पहुंचे थे। वह शाम को 7 बजकर 10 मिनट पर ईडी ऑफिस से बाहर निकले।
ईडी अफसरों के अनुसार, राणा शुगर्स की ओर से विदेश से फंड लेने के मामले में कोई जानकारी नहीं दी गई है। कंपनी जो पैसा विदेश से जमा किया, उसे थोड़े समय के लिए पुर्तगाल के एक बैंक में जमा कराया और बाद में वहां से भारत लाया गया। ईडी के सम्मन के बाद राणा शुगर मिल्स ने ईडी को 2005-06 से लेकर 2007-08 तक की बैलेंस शीट, जीडीआर की डिटेल उपलब्ध कराई गई।
पूर्व में ईडी के नोटिस के जबाव में राणा इंद्रप्रताप ने ईडी को लिखे जवाब में कहा था कि उन्हें निवेश के लिए किसी से भी मंजूरी लेने की जरूरत नहीं थी। जीडीआर ऑटोमेटिक रूट से जारी की गई थी। ऐसा आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से 19 जनवरी 2000 को जारी निर्देशों के तहत ही किया गया था।