अमृतसर । ‘पीएम सर! गांव का पुल जर्जर अवस्था में है। 2016 में इस पुल से स्कूली बस ड्रेन में गिरी थी। सात बच्चों की मौत हुई और दर्जनों जख्मी हो गए थे। इस हादसे के बाद भी न तो पुल पर रेलिंग बनाई गई और न ही मरम्मत की गई। किसी भी वक्त फिर हादसा हो सकता है। आप इस पुल को बनवा दीजिए।’ यह अपील अमृतसर के जांबाज बेटे कर्णबीर सिंह ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की।
पुरस्कार लेने के बाद कर्णबीर ने प्रधानमंत्री से कहा, सर! मुझे आपसे बात करनी है। गांव महावा के पुल से प्रतिदिन स्कूली बसें गुजरती हैं। गांववासी सब्जियों से भरी ट्रॉलियां, रेहड़े लेकर जाते हैं। बिना रेङ्क्षलग का यह जर्जर पुल किसी भी समय धराशायी हो सकता है। 2016 में हादसे के बाद सरकार ने मृतक बच्चों के परिजनों को मुआवजा तो दिया, पर पुल को नजरअंदाज कर दिया।
कर्णबीर की इस मांग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘बेटा तुमने बहुत ही साहसिक कार्य किया है, चिंता मत करो’। मोदी ने कार्यक्रम स्थल पर बैठी इंडियन कौंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर की प्रेसीडेंट गीता सिद्धार्थ की ओर इशारा करते हुए कर्णबीर को उनसे मिलने को कहा। कर्णबीर ने गीता के समक्ष भी अपनी मांग दोहरा दी।
बातचीत में कर्णबीर ने कहा कि उसे आश्वासन मिला है कि यह पुल बना दिया जाएगा। जिस दिन यह पुल बनेगा उस दिन पूरा गांव खुशी से सराबोर होगा, क्योंकि यह पुल हमारे गांव को शहर से जोड़ता है। पुल के नीचे ड्रेन है, जिसमें पानी हमेशा बहता है। रात का अंधेरा और घनी धुंध में वाहन चालकों को पुल दिखाई नहीं देता, इसलिए हादसे होते हैं। 2016 में हुए दर्दनाक हादसे में अपने बच्चों की मौत का गम आज भी परिजन अपने सीने में दबाए हुए हैं। कर्णबीर की दादी प्रकाश कौर ने कहा कि हादसे के बाद पोते ने बहादुरी की मिसाल पेश की थी। उसने पुल बनवाने के लिए पीएम तक बात भी पहुंचा दी। पूरा गांव कर्णबीर की इस मांग से खुश है।