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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

टीबीआरएल रामगढ़ के चारो ओर 1 किमी में निर्माण कार्यों पर लगी रोक हटाई जाए : चंद्रमोहन

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टीबीआरएल रामगढ़ के चारो ओर 1 किमी में निर्माण कार्यों पर लगी रोक हटाई जाए : चंद्रमोहन
— पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजा पत्र,कहा आजादी के 75 साल भी लोगो को अपनी जमीन पर निर्माण का अधिकार नहीं
— अंग्रेजो के समय बने काले कानूनों को बदलने की जरूरत,आम लोगो को लूटने का साधन बन गए कानून को हटाना जरूरी

(पंचकूला न्यूज 28 जनवरी 2022)आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी रामगढ़ पंचकूला में स्थित चरम प्राक्षेपिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (टीबीआरएल) के होने से बाउंड्री के चारो ओर लगभग एक किमी तक निर्माण कार्यों पर रक्षा संकर्म अधिनियम 1903 की धारा 7 की वजह से लगी रोक को हटाने के लिए लगातार चार बार विधायक व हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रह चुके श्री चंद्रमोहन ने केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह को एक पत्र भेजा है।चंद्रमोहन का कहना है कि यह रोक सिर्फ आमजन व गरीब किसान को ही अपना आइशियाना बनाने पर लगती है।इस प्रतिबंधित क्षेत्र में पहले से ही दर्जनों गांव बसे हुए है,जबकि अब आबादी बढ़ती जा रही है तथा लोगो को अपनी जमीन में मकान बनाने होते है हालांकि इसी प्रतिबंधित क्षेत्र में अब हरियाणा पुलिस लाइन मुख्यालय जिसमे स्कूल,कार्यालय,हाउसिंग सोसायटी आदि, ट्रिब्यून मित्र विहार हाउसिंग कांप्लेक्स,हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के रेसिडेंशियल सेक्टर 25,26,27,28 व अमेजन भूमि ग्रीन हाउसिंग प्रोजेक्ट निर्मित है जोकि आबादी के बाद निर्मित हुई है। ऐसे में प्राइवेट बिल्डर्स व सरकारी इमारतों पर तो इस रक्षा संकर्म अधिनियम 1903 की धारा 7 लागू नही होती परंतु आमजन को टीबीआरएल रामगढ़ द्वारा नोटिस थमा कर निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी जाती है।

— अफसरों के लिए लोगो को लूटने का साधन बन गया है यह एक्ट,जल्द हटना जरूरी…

पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन का कहना है कि आजादी से पहले के यह कानून ब्रिटिश शासन द्वारा लोगो को प्रताड़ित करने के लिए लगाए जाते थे।पंचकूला का यह इलाका उतर भारत के दिल चंडीगढ़ से सटा हुआ है और यहां निर्माण कार्यों के होने से विकास को गति मिलने की संभावना है जोकि इस एक्ट के कारण बाधा बनी हुई है।आलम यह है कि लोगो को अपनी जमीन पर मकान बनाने की आजादी के बजाए प्राइवेट बिल्डर्स से फ्लैट खरीदने पढ़ रहे है जोकि आजादी के 75 साल भी किसी प्रताड़ना से कम नहीं है।टीबीआरएल चंडीगढ़ में स्थित यह महत्वपूर्ण डीआरडीओ लैब पहले ही 5000 एकड़ जमीन में निर्मित है जिसके लिए अब लोगो के निर्माण कार्यों से इस लैब की रक्षा पर कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि पहले ही इस एक्ट के प्रतिबंधित एरिया में अधिकतर एरिया पर निर्माण कार्य हो चुका है।इस एक्ट के लागू रहने से जहां भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है वही अवैध निर्माण भी पनप रहा है जिससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है तो वही यह प्रतिबंधित एरिया नगर निगम पंचकूला के अधीन है।

— 5 हजार एकड़ तथा 20 किमी एरिया में फैला हुआ है टीबीआरएल रामगढ़….

चंद्रमोहन ने बताया कि रामगढ़ में रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) की चरम प्राक्षेपिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (TBRL) को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व० जवाहर लाल नेहरू जी द्वारा वर्ष 1961 में परिकल्पित किया गया था जोकि 1967 में पूर्ण रूप से तैयार होकर कार्य करने लग गई थी, जिसका उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री भारत सरकार द्वारा जनवरी 1968 में किया गया था।यह लैब डीआरडीओ के टीबीआरएल की मुख्य लैब है जोकि लगभग 5000 एकड़ जमीन के साथ 20 किमी के एरिया में फैली हुई है।
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