बंगीय सांस्कृतिक सम्मिलनी ने स्टॉप ब्रूटलिटी अगेंस्ट ह्यूमैनिटी- एनफ़ इज़ एनफ़ अभियान चलाया
अभियान में रक्षा, पुलिस, चिकित्सा, न्यायपालिका और मीडिया के प्रतिष्ठित और गणमान्य लोग शामिल हुए
कोलकाता के अस्पताल जैसी घटनाओं कि रोकथाम के लिए अभिभावकों, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यस्थलों और शासन-प्रशासन को समग्र प्रयास की जरूरत है : विपिन पब्बी
डॉ. अमित भट्टाचार्जी ने युवा पीढ़ी के मनोवैज्ञानिक और मानसिक फिटनेस महत्व पर प्रकाश डाला
चण्डीगढ़ : बंगीय सांस्कृतिक सम्मिलनी (बीएसएस ), सेक्टर 35- सी ने अपने अभियान स्टॉप ब्रूटलिटी अगेंस्ट ह्यूमैनिटी- एनफ़ इज़ एनफ़ में विशेष रूप से महिलाओं और मानवता पर अत्याचारों के खिलाफ समर्थन और एकजुटता व्यक्त की व सभी सदस्यों ने काले वस्त्र धारण किए। बीएसएस के अध्यक्ष डॉ. अमित भट्टाचार्य के नेतृत्व में लेडीज़ विंग, बीएसएस प्रबंधन समिति सहित वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन अभियान चलाया गया।
इस कार्यक्रम में आज रक्षा, पुलिस, चिकित्सा, न्यायपालिका और मीडिया के प्रतिष्ठित और गणमान्य मे एंकर मॉडरेटर कर्नल दीपक डे, सेना मेडल रिटार्ड और प्रतिष्ठित पैनलिस्ट सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, आईपीएस, पूर्व डीजीपी पंजाब,
डॉ. (प्रो.) नंदिता भारद्वाज कक्कड़, पीजीआई, एचओडी, हिस्टोपैथोलॉजी, डॉ. अमित भट्टाचार्जी, मानसिक प्रशिक्षक, विपिन पब्बी, डीन, शूलिनी विश्वविद्यालय (पूर्व संपादक, इंडियन एक्सप्रेस), कैप्टन एससी कटोच, पूर्व भारतीय नौसेना/पूर्व समुद्री कमांडो आदि शख्सियतें शामिल हुईं।
इस अवसर पर पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैंसर का इलाज हो सकता है लेकिन समाज में व्याप्त लालच, भ्रष्टाचार का नहीं। यह एक महिला या महिला डॉक्टर का सवाल नहीं है, यह पूरी मानवता का सवाल है। विपिन पब्बी ने बताया की ऐसी जघन्य घटनाओं से समाज का पतन हो रहा है, इसलिए अभिभावकों, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यस्थलों और शासन-प्रशासन को समग्र प्रयास की जरूरत है। डॉ (प्रोफेसर) नंदिता कक्कड़ (एचओडी हिस्टोपैथोलॉजी – पीजीआई) ने बताया की जब सिस्टम विफल हो जाता है तो यह एक गंभीर मुद्दा है और महिलाओं के लिए भी, उन्हें आत्मरक्षा तंत्र से गुजरना होगा और हमेशा सतर्क रहना होगा। मरीन कमांडो सुरदीप कटोच ने बताया कि मानव जाति के खिलाफ क्रूरता से संयुक्त और ठोस तरीके से निपटना होगा। हिंसा के ऐसे कायरतापूर्ण कृत्यों के लिए सख्त और त्वरित कठोरतम सजा लागू की जानी चाहिए। डॉ. अमित भट्टाचार्जी ने युवा पीढ़ी के मनोवैज्ञानिक और मानसिक फिटनेस महत्व पर प्रकाश डाला ताकि वे दुनिया का सामना करते समय तनाव और चिंता का शिकार न हों। कर्नल दीपक डे ने आश्वासन दिया कि बीएसएस का यह अभियान अपने तार्किक अंत तक जारी रहेगा और इसे वहां ले जाएगा, जहां यह मायने रखता है!
जीवंत दर्शकों सहित सभी पैनलिस्टों ने एक स्वर से कोलकाता में महिला डॉक्टर की हिंसक और क्रूर हत्या की कड़ी निंदा की और अतिथि वक्ताओं ने विविध और बहुस्तरीय दृष्टिकोण सांझा किए जो एक खुशहाल और ज़िम्मेदार समाज के निर्माण की दिशा में मार्ग प्रशस्त करते हैं- जो कि ‘समय की मांग’ भी है और साथ ही कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के ब्रूटल मर्डर के चलते , डॉक्टरों विशेषतया महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर रोष प्रकट किया और ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से समाज और देश को एक खुशहाल और ज़िम्मेदार समाज बनाना है इस अवसर पर बंग भवन के प्रेजिडेंट डॉ. अमित भट्टाचार्जी,महासचिव कर्नल दीपक डे,सहित सभी सदस्य के साथ बांगिया सांस्कृतिक सम्मिलिनी के सदस्य उपस्थित रहे।