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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने बढ़ाई जागरूकता

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अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने बढ़ाई जागरूकता

– मिर्गी की समस्या के साथ जी रहे लोगों को लेकर जागरूकता बढ़ाना समय की जरूरत

गुरुग्राम, 12 फरवरी, 2024: मिर्गी को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस के मौके पर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित हैं। इसमें दिमाग की गतिविधि प्रभावित होती है और व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ते हैं। ये दौरे थोड़े-थोड़े समय के लिए या गंभीर और ज्यादा देर तक भी पड़ सकते हैं। बड़ी संख्या में मिर्गी के मामले होने के बावजूद इसे लेकर कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं। इसके प्रति छुआछूत की भावना भी लोगों के मन में है, जिस कारण से इससे पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव भी किया जाता है। ऐसे लोगों को पर्याप्त देखभाल नहीं मिल पाती है और न ही उन्हें इस समस्या के साथ जीने के लिए जरूरी मदद ही मिलती है।

अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस के मौके पर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने इस बीमारी के बारे में जागरूकता एवं समझ बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। शैक्षणिक पहल, आउटरीच प्रोग्राम और एक्सपर्ट कंसल्टेशन के माध्यम से हम भ्रम दूर करने, छुआछूत की भावना कम करने और इस समस्या से जूझ रहे लोगों को आसानी से जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए प्रयास करेंगे। कार्यक्रम के दौरान चीफ – न्यूरोलॉजी डॉ. सुमित सिंह, सीनियर कंसल्टेंट – न्यूरोलॉजी एवं हेड – न्यूरोइम्यूनोलॉजी डॉ. मनीष महाजन, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी एंड एपिलेप्सी डॉ. विवेक बरुण, एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी डॉ. मोहित आनंद और एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी डॉ. अर्चना शर्मा ने इस जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के चीफ – न्यूरोलॉजी डॉ. सुमित सिंह ने कहा, ‘एपिलेस्पी यानी मिर्गी ऐसी समस्या है, जिसे सही मेडिकल केयर एवं सपोर्ट के माध्यम से मैनेज किया जा सकता है। सही समय पर जांच, उचित इलाज और सहयोगी माहौल से ऐसे लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है। दवा, जीवनशैली में बदलाव और कुछ मामलों में सर्जरी से दौरों को नियंत्रित करने और उनकी गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है।’

इसके अलावा, मिर्गी के साथ जी रहे लोगों को आगे बढ़ने में सहयोगी माहौल की भी अहम भूमिका रहती है। इसमें परिवार के सदस्यों, दोस्तों, शिक्षकों, नियोक्ताओं और व्यापक समाज के बीच जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी को लेकर समझ विकसित करने जैसे कदम शामिल हैं। ऐसे लोगों के प्रति स्वीकार्यता बढ़ाने से मिर्गी से पीड़ित लोग सशक्त अनुभव करेंगे और उनका जीवन सुगम होगा।

न्यूरोलॉजी एंड एपिलेस्पी कंसल्टेंट डॉ. विवेक बरुण ने कहा, ‘मिर्गी के साथ जी रहे हर व्यक्ति को अच्छी देखभाल, सहयोग और अत्याधुनिक इलाज के विकल्पों तक पहुंच मिलनी चाहिए। आइए साथ मिलकर बाधाओं को तोड़ें और यह सुनिश्चित करें कि मिर्गी का कोई मरीज अकेला न अनुभव करे।’

मिर्गी को लेकर जागरूकता की अपनी प्रतिबद्धता के तहत आर्टेमिस हॉस्पिटल्स सभी लोगों को मिर्गी के बारे में स्वयं को शिक्षित करने और इससे पीड़ित लोगों का सहयोग करने के लिए प्रेरित करेगा। साथ ही ऐसी समावेशी नीतियों को बनाने की वकालत भी की जाएगी, जिनसे मिर्गी से पीड़ित लोगों को समान अवसर मिल सकें।

इस अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर जागरूकता बढ़ाने एवं मिर्गी को लेकर चुप्पी तोड़ने के लिए आइए साथ मिलकर प्रयास करें।