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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

टैगोर थिएटर में सुरीला सफर: ये जिंदगी उसी की है …का आयोजन, स्वर कोकिला लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि

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आसमां के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहां बसा के चले…
 
टैगोर थिएटर में सुरीला सफर: ये जिंदगी उसी की है …का आयोजन, स्वर कोकिला लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि
चण्डीगढ़ : ‘आसमां के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहां बसा के चले…’ राजल टोक और पूनम डोगरा के इस गीत पर तालियों की गड़गड़ाहट ने तो कमाल किया ही, साथ ही दर्शकों ने भी साथ-साथ गुनगुनाकर माहौल को एक अलग ही संगीतमय सुरमई शाम का रंग दे डाला। मौका था टैगोर थिएटर में मंगलवार को बसंत गिरिजा श्री सोसायटी की ओर से आयोजित ‘सुरीला सफर: ये जिंदगी उसी की है…’ कार्यक्रम का। इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चन्द गुप्ता मुख्य अतिथि और हरियाणा पुलिस आवास निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. आर.सी. मिश्रा (भा.पु.से.) विशिष्ट अतिथि थे। यह संस्था ट्राई सिटी के लगभग 50 गैर पेशेवर गायकों को मंच उपलब्ध करवा रही है।
इस कार्यक्रम में 30 से भी अधिक गायकों ने अपनी सुरीली आवाज में गीत पेश किए। कार्यक्रम के माध्यम से स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अपिर्त की गई। सोसायटी की अध्यक्ष रंजू प्रसाद ने बताया कि संगीत से उनका जुनून की हद तक लगाव है और इसी नाते इस सोसायटी ने जन्म लिया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई कई दिन की रिहर्सल की गई ताकि दर्शकों को मनोरंजन के साथ संगीत की पहचान भी करवा सकें। दर्शकों का रिएक्शन और तालियों की गूंज ने हमें यह उम्मीद दी है कि हम अपनी कोशिश में सफल रहे हैं। हर कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए हम इसी तरह की प्रसव पीड़ा से गुजरते हैं और फिर संगीत के माध्यम से दर्शकों के खिले चेहरे देख सृजन का अहसास होता है तो मन आत्मा तृप्त हो जाते है।
कार्यक्रम मे बॉलीवुड के गीतों को कलाकारों ने प्रस्तुत कर समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत रंजू प्रसाद और एसएस प्रसाद ने ए मालिक तेरे बंदे हम…गीत से की। इस के बाद उन्होंने ‘ये जिंदगी उसी की है…’ गा कर ऐसा समां बांधा कि गीत खत्म होने के बाद भी काफी समय तक हाल में तालियां बजने का सिलसिला जारी रहा। ‘दिल की गिरह खोल दो…’ गीत की प्रस्तुति के दौरान तो दर्शक पूरी तरह संगीत के साथ आत्मसात हो चुके थे।
अभिजीत और वाणी ने ‘देखो मैनें देखा है यह एक सपना, फूलों के शहर में हो घर अपना..’ गाया, तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। छोटी सी उमर में है…’गीत गाकर आरिशा और अनन्या ने खूब वाहवाही लूटी। जसप्रीत और कैलाश अटवाल ने ‘रंग रंग के फूल खिले हैं…’ गाकर सबका मन मोह लिया। बीडी शर्मा और पुष्पा सक्सेना ने ‘शब्बा खैर…’ गीत पेश कर दर्शकों को खूब आनंदित किया। डा अनेजा और डा रजी अनेजा ने ‘ये कहां आ गए हम…’ गीत पेश कर खूब तालियां बटोरीं। रौशन लाल के गाए गीत ‘तेरी आंखों के सिवा…’ ने भी दर्शकों को उठकर तालियां बजाने को मजबूर कर दिया। सागर सोनी और काव्या ने ‘अरे रे अरे यह क्या हुआ…’ गीत से पूरे माहौल को संगीत से सराबोर कर दिया। तरसेम राज सुचेता ने ‘दीवाने हैं दीवानों को ” और विरची कौशिक व श्री दीपा ने ‘आजा शाम होने आई…’ गाकर दर्शकों को उस समय का रोमांच और रोमांस की अनुभूति करवा दी।
आइएएस पति-पत्नी का कलात्मक उपक्रम है यह संस्था
बसंत गिरिजा श्री सोसायटी (पंजीकृत) की स्थापना वर्ष 2007 में भारतीय डाक सेवा अधिकारी (1988 बैच) रंजू प्रसाद और उनके आईएएस (सेवा निवृत्त), पूर्व-अपर मुख्य सचिव (गृह) पति एसएस प्रसाद , द्वारा वर्ष 2007 में की गई थी। बुजुर्गों और समाज की सेवा के लिए एक छोटे से प्रयास के रूप में बनाई गई यह सोसाइटी स्वास्थ्य, शैक्षिक और संगीत कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो विशेष रूप से बेटियों और महिलाओं के कल्याण के प्रति समर्पित है।
हर साल इस सोसाइटी द्वारा विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित करवाई जाती हैं। सोसाइटी की अध्यक्ष रंजू प्रसाद एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व रखती है।  इन्होंने लोकप्रिय भोजपुरी और हिंदी गायकों के बीच एक उपयुक्त स्थान बनाया है। इन्होंने अनेक म्यूजिक एलबम जारी किए है जोकि बांसुरी श्याम की छठी माई के छठवा और पहली नजर में प्यार हो गईल, भोजपुरी में माता के भजन, छठी माई के भजन और ‘शिव भजन, सोहर, बधाई, खिलौना आदि लोक गीत जोकि यूट्यूब पर उपलब्ध है। 2020 में उन्हें महनार महोत्सव, जिला वैशाली (बिहार) में प्रदर्शन करने का सौभाग्य मिला। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में भजन संध्या का मंचन, मनसा देवी, पंचकूला में नवरात्रों के दौरान कई बार और फरीदाबाद में अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेला में प्रदर्शन किया।