चंडीगढ़ कांग्रेस ने आज यहाँ चंडीगढ़ मेयर के चुनावों में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा मनमाने और गैरकानूनी ढंग से आठ वोटों को अमान्य करार दिए जाने की निंदा की और इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया।
चंडीगढ़ कांग्रेस की ओर से जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में पार्टी प्रवक्ता राजीव शर्मा ने कहा कि ऐसा शायद लोकतन्त्र के इतिहास में पहली बार हुआ है कि पीठासीन अधिकारी, जो भाजपा के पदाधिकारी रहे हैं, द्वारा तानाशाही तरीके से कुल वोटों के 22% को ही अवैध घोषित कर दिया गया है। वहाँ मौजूद पार्षदों ने बताया कि ग़लत ढंग से अवैध घोषित किए बैलेट पेपरों को बीजेपी पार्षदों ने एक षडयन्त्र के तहत फा़ड़ दिया, ताकि बीजेपी की साजिश के सुबूत नष्ट हो जाएं।
चंडीगढ़ प्रशासन ने मीडिया को इस साल पहली बार मतदान प्रक्रिया देखने की अनुमति नहीं दी, जो निंदनीय है। पीठासीन अधिकारी ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एजेंटों को मतगणना प्रक्रिया देखने की अनुमति भी नहीं दी, जो कि भाजपा की षडयन्त्रकारी सोच को दर्शाता है। इससे काफ़ी हद तक स्पष्ट होता है कि भाजपा के इशारे पर चंडीगढ़ में मेयर चुनाव को हाईजैक करने और पटरी से उतारने की साजिश रची गई। चण्डीगढ़ कांग्रेस ने मांग की है पीठासीन अधिकारी पर उनके भाजपा को अवांछनीय राजनीतिक लाभ देने के लिए साजिश रचने के आरोपों के चलते आपराधिक मुकद्दमा दर्ज होना चाहिए और मेयर के आज के चुनावों को रद्द कर जल्दी ही नए चुनाव होने चाहिए।
चंडीगढ़ कांग्रेस ने भाजपा की तानाशाही और अलोकतांत्रिक नीतियों से कानूनी एवं राजनीतिक रूप से लड़ने का ऐलान किया है और चंडीगढ़ के नागरिकों से अपील की है कि वे देश में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए भाजपा द्वारा उत्पन्न गंभीर खतरे को समझें और देश को बचाने के लिए पहले उपलब्ध अवसर पर वोट के ज़रिए भाजपा को उखाड़ फैंकें।