डिजिटल परिवर्तन के शिखर पर भारत
स्मार्ट मानक उद्योग रीतियों में क्रांति लाने में बड़ा योगदान देंगे
भारतीय मानक ब्यूरो ने अंतर्राष्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग (आईईसी) और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) के सहयोग से दिनांक 22 और 23 जनवरी 2024 को नई दिल्ली के यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर, द्वारका में डिजिटल परिवर्तन पर आईईसी/आईएसओ कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
श्री चंदन बहल, उप महानिदेशक (आईआर और टीआईएस, एमएससी और एससीएम) ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि डिजिटल परिवर्तन पूरी दुनिया में सभी गतिविधियों को काफी हद तक नया रूप दे रहा है फिर चाहे वह वित्त, वाणिज्य, शिक्षा हो या सेवाएं हों। यह कार्यशाला एक डिजिटल परिदृश्य तैयार करेगी जहां मनुष्य और मशीन दोनों सहजता से मानकों के साथ जुड़ते हैं और इसमें शामिल सभी लोगों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं चाहे वह उद्योग के अग्रेता हों, विनियामक हों, अंतिम उपयोगकर्ता हों या फिर व्यापक समाज हो।
श्री राजीव शर्मा, डीडीजी (मानकीकरण – II) ने इस 2 दिवसीय कार्यक्रम के उद्देश्य रखे और उद्योग 4.0 को आगे बढ़ाने, बिजली, बुनियादी ढांचे, परिवहन जैसे क्षेत्रों में बदलाव में डिजिटल परिवर्तन के प्रभाव पर बल दिया।
अपना उद्घाटन भाषण देते हुए बीआईएस के महानिदेशक, श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि बीआईएस 1947 में अपनी स्थापना के बाद से आईएसओ और आईईसी दोनों के साथ सक्रिय रूप से शामिल रहा है। महानिदेशक बीआईएस ने यह भी उल्लेख किया कि सबसे बड़े मानक निकायों में से एक होने के नाते बीआईएस के मानक पोर्टफोलियो में वर्तमान में 22000 से अधिक मानक शामिल हैं; हमने आज तक 16 विभागीय समितियों के अंतर्गत 387 विषय समितियों की स्थापना की है जिसमें उद्योग, उद्योग संघों, शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान और विकास संगठनों, केंद्र और राज्य सरकार निकायों तथा नागरिक समाज समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 19,000 कार्यक्षेत्र विशेषज्ञ सदस्य हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि ‘मानकों में डिजिटल परिवर्तन से छोटे उद्योगों और एमएसएमई को सबसे अधिक लाभ होगा।
आईईसी के उप महासचिव श्री गाइल्स थोनेट और पीएमओ, आईएसओ की प्रमुख सुश्री मारा रोलैंडो ने अपने संबोधन में आईईसी और आईएसओ कार्यनीतियों और डिजिटल परिवर्तन के बारे में बात की और कहा कि भारत की डिजिटल परिवर्तन यात्रा से बहुत कुछ सीखा जा सकता है ।
आईईसी के उपाध्यक्ष और एसएमबी अध्यक्ष, श्री विमल महेंद्रू ने डिजिटल मानक और अनुरूपता मूल्यांकन 2030 एवं उसके बाद पर अपना मुख्य भाषण देते हुए विस्तार से बताया कि एक उपाय के रूप में प्रौद्योगिकी का उपयोग, कार्यनीति में प्रोद्योगिकी का उपयोग करने की सकारात्मक मानसिकता और आपसी सहयोग की संस्कृति जैसे समग्र उपायों से उभरते समाजों में डिजिटल परिवर्तन लाने में काफी मदद मिल सकती है।
कार्यशाला में आईएसओ केंद्रीय सचिवालय, आईईसी सचिवालय और जापान, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, ब्रिटेन (यूके) आदि सहित कई आईएसओ सदस्य देशों की सक्रिय भागीदारी रही। विचार-विमर्श में आंकडा प्रबंधन, लक्ष्य (एंड) उपयोक्ता मूल्य, स्मार्ट पायलट जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया और कार्यशाला ने डिजिटल रूपांतरण में विचार-विमर्श के अनुभवों के लिए मंच दिया। प्रतिनिधियों के विविध समूह में राष्ट्रीय मानक निकाय, उद्योग, शिक्षा, सरकारी संगठन, नियामक, भारतीय आईटी/टेक स्टार्ट-अप आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।
स्टैंडर्ड मशीन एप्लिकेबल रीडेबल एंड ट्रांसफरेबल (स्मार्ट) अंतर्राष्ट्रीय मानकों के डिजिटल विकास को आगे बढ़ाने के लिए आईएसओ और आईईसी का संयुक्त कार्यक्रम है। कार्यशाला को तकनीकी सत्रों के रूप में तैयार किया गया था और इस कार्यशाला में स्मार्ट मानकों को स्पष्ट करने तथा मानकीकरण प्रक्रिया में डिजिटल रूपांतरण की अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु विभिन्न विषयों को शामिल किया गया।
इस कार्यक्रम ने स्मार्ट मानकों की वर्तमान स्थिति में लाभकारी अंतर्दृष्टि प्रदान की जिससे इस क्षेत्र में प्रगति और चुनौतियों की गहरी समझ को बढ़ावा मिला।
डिजिटल परिवर्तन पर कार्यशाला के मुख्य बिंदु इस प्रकार थे:-
- सूचना प्रसार और जागरूकता फैलाना: कार्यशाला ने राष्ट्रीय मानक निकाय (एनएसबी), उद्योग/उद्योग निकाय, निर्माता, सेवा प्रदाता और विभिन्न हितधारकों सहित विविध दर्शकों की जरूरतों को पूरा करते हुए स्मार्ट मानकों की जटिल अवधारणा को उजागर करने में मदद की।
- स्मार्ट मानकों में प्रगति पर नजर रखना: प्रतिभागियों ने स्मार्ट मानकों की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिससे इस क्षेत्र में प्रगति और चुनौतियों की गहरी समझ विकसित हुई। कार्यशाला ने उन तकनीकी बाधाओं पर चर्चा करने के लिए मंच प्रदान किया जो स्मार्ट मानकों के विकास को प्रभावित कर सकती हैं और परिदृश्य का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है।