राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया एनडीआरआई का दौरा, बोले- जमीन तक पहुंचे लैब में हो रही रिसर्च
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने एनडीआरआई में चल रही शोध गतिविधियों का किया अवलोकन
चण्डीगढ़, 9 अगस्त – हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने बुधवार को करनाल में स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) का दौरा किया। उन्होंने एनडीआरआई में अलग-अलग जगह चल रहे शोध कार्यों का अवलोकन किया। इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि एनडीआरआई में बहुत से शोध कार्य हो रहे हैं लेकिन यह कार्य लैब से लैंड तक पहुंचने चाहिए। उन्होंने कहा कि लैब में जितने शोध हो रहे हैं, वो जमीन तक पहुंचने चाहिए ताकि भारत के किसान और पशुपालक को इसका फायदा हो सके।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि एनडीआरआई में ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा कार्य हो रहा है। भारत की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में रहता है, जो पशुपालक भी हैं। भारत विश्वभर में दुग्ध उत्पादन में पहले स्थान पर है। यह हर्ष की बात है कि एनडीआरआई में बेहतर रिसर्च हो रही है। नई-नई तकनीक पर कार्य किया जा रहा है, जिससे आम लोगों को लाभ पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि हमें ओर ज्यादा रिसर्च को बढ़ावा देना चाहिए, इससे आम जन का ओर भला होगा। भारत के लोगों को ऐसे शोध संस्थानों से बहुत अपेक्षाएं हैं।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने पशुधन अनुसंधान केंद्र का दौरा किया और गिर और साहीवाल गायों के स्वदेशी गाय झुंड को देखा और संस्थान द्वारा उत्पादित भैंस और गिर क्लोन को भी देखा। उन्होंने पशु प्रजनन अनुसंधान परिसर में रखे गए एनडीआरआई के प्रजनन सांडों को भी देखा और वीर्य प्रयोगशाला का भी दौरा किया। राज्यपाल ने मॉडल डेयरी प्लांट का भी दौरा किया और प्लांट में निर्मित विभिन्न गुणवत्ता वाले दूध उत्पादों को देखा। राज्यपाल को संस्थान द्वारा विकसित की जा रही उन्नत अनुसंधान सुविधाओं और दूध में मिलावट की जांच, भोजन की पैकेजिंग, गर्भावस्था निदान किट आदि जैसी तकनीकों से भी अवगत कराया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने राज्यपाल के समक्ष संस्थान में वर्षों से की जा रही शोध गतिविधियों का प्रस्तुतीकरण दिया। इस अवसर पर एडीसी डॉ. वैशाली शर्मा, एसपी शशांक कुमार सावन, एनडीआरआई के संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. ए.के. सिंह, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. राजन शर्मा, डॉ. अजय डांग व अन्य वैज्ञानिक मौजूद रहे।