चंडीगढ़, 28 दिसंबर, राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि धार्मिक, नैतिक, बहादुर, देशभक्त और जाति और धर्म से परे सभी के प्रति सम्मान दिखाना ही श्री गुरु गोविंद सिंह जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्री गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती की पूर्व संध्या पर राज्य के लोगों के नाम अपने संदेश में श्री दत्तात्रेय ने कहा, “श्री गुरु गोविन्द सिंह जी को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में, प्रत्येक नागरिक को सदाचार, नैतिक मूल्यों, वीरता के गुणों का विकास करना चाहिए। लोगों को समाज के प्रति जिम्मेदार और कर्तव्यपरायण होना चाहिए; उन्हें सभी का सम्मान करना चाहिए। हमें उच्च या निम्न जाति की भावना नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम श्री गुरु गोविंद सिंह जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह सिखों के 10वें गुरु थे। वे एक महान दार्शनिक, प्रख्यात कवि, निडर योद्धा, कुशल सेनापति, महान लेखक और संगीत के पारखी भी थे।
1699 में बैसाखी के दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की और पांच व्यक्तियों को अमृत चखकर ‘पंज प्यारे’ बनाया। पंज प्यारे या पांच प्यारे लोगों के पीछे उनकी दृष्टि उन लोगों के वर्चस्व को स्थापित करने की थी जो खालसा की भावना के साथ शुद्ध थी।श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने हमें सिखाया कि अच्छे कर्मों से विचलित न हों, चाहे परिणाम कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि उनके विचारों और भाषणों से पता चलता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने कर्म, समानता, निर्भयता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व का संदेश देकर समाज को एक करने का काम किया।
उन्होंने मानवीय और नैतिक मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। जैसा कि हम अब अमृत काल में हैं, हमें श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने और एक नए भारत के निर्माण के लिए भाईचारे, सह-अस्तित्व और एकजुटता के मूल्यों को मजबूत करने की आवश्यकता है, जो कि अधिक मजबूत और समावेशी है।