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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

बड़े राज्यों में NUJ की अपनी इकाइयां गठित हो चुकी हैं।

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राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर ऊना में आयोजित कार्यक्रम में नेशनल यूनियन ऑफ जर्निलस्ट्स इंडिया की राष्ट्रीय सचिव सीमा मोहन ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी और उनकी टीम के नेतृत्व में करीब सभी बड़े राज्यों में NUJ की अपनी इकाइयां गठित हो चुकी हैं।
NUJI देश का एकमात्र ऐसा संगठन है जो पत्रकार और पत्रकारिता दोनों को बचाने के लिए लगातार हरसम्भव प्रयास कर रहा है। अन्यथा आज के इस दौर में ऐसा लगता है कि पत्रकारिता पूरी तरह से खतरे में पड़ गई है। न पत्रकार बचे है न पत्रकारिता। इसके स्थान में आ गई है तो सिर्फ वो है चाटुकारिता।
उन्होंने कहा कि कतई ये कहने से गुरेज नहीं है कि 21वीं सदी के इस दौर में आज हमें पत्रकारिता को बचाने की सख्त आवश्यकता है। और आवश्यकता है दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश इस भारत के लोकतंत्र को बचाने की भी। यदि पत्रकार और पत्रकारिता नहीं बची तो फिर आप समझ सकते हैं कि ये लोकतंत्र कैसे बचेगा।

मीडिया जगत…. की बात करें तो आज यही पता नहीं कि आखिर पत्रकार है कौन?? पत्रकार के नाम पर फौज खड़ी हो चुकी है। कई फर्जी लोग खड़े हो गए है जो अपने निजी स्वार्थ और अपने आकाओं को खुश करने के लिए पत्रकारिता नहीं चाटुकारिता में लगे हैं।

दुख तो तब होता है जब लोग खुले आम कहते हैं कि ये तो भाजपा का पत्रकार है… ये कांग्रेसी पत्रकार है या ये फलां पार्टी का पत्रकार है।
उन्होंने कहा कि संकोच नहीं ये कहने में कि ऐसे कई तथाकथित पत्रकार हैं जो केवल और केवल एक पार्टी या व्यक्ति विशेष के गुणगान में जुटे हैं इससे हमारी तमाम पत्रकार बिरादरी बदनाम हो रही है। जो बेहद शर्मनाक और खेद जनक है।

इसलिए क्राइटेरिया फिक्स हो कि आखिर पत्रकार है कौन।
और ये सरकार ही कर सकती है कि जिस तरह मेडिकल काउंसिल डॉक्टर को, चार्टर्ड कौंसिल CA, नर्सिंग काउंसिल नर्सों और बार काउंसिल वकीलों को अपने नोबल प्रोफेशन में कार्य करने की मान्यता देती है उसी तर्ज पर सशक्त प्रेस काउंसिल से मान्यता के बाद ही किसी व्यक्ति को पत्रकारिता की इजाजत मिले। इसके लिए सरकारों को ही पहल करनी होगी।

लेकिन हिमाचल की बात करें तो
अब तक सरकार और प्रशासन पत्रकार के हित के किसी भी मुद्दे पर ना तो कोई सकारात्मक निर्णय ले पाया और ना ही इस दिशा में कोई प्रयास किया। प्रदेश सरकार के नकारात्मक रवैये के चलते समूचे प्रदेश के पत्रकार जगत में रोष व्याप्त है नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट की शिमला और प्रदेश इकाई ने हर स्तर पर पत्रकारों के मुद्दों को रखकर उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास किए लेकिन हर प्रयास पर सरकार ने पानी फेर दिया।

लगातार मांग करने के बाद भी आज तक राज्य सरकार नए युग की पत्रकारिता वेब मीडिया के लिए वेब मीडिया पालिसी नहीं बना पा रही है।

संगठन की मांग है कि वेब मीडिया पॉलिसी बनाने के साथ ही नेशनल रजिस्टर फ़ॉर जर्नलिस्ट लगाया जाए ताकि पत्रकारिता के इस नोबल प्रोफेशन को बचाया जा सके।
प्रेस दिवस …लोक तंत्र के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता को समर्पित ये दिवस है। मगर मीडिया की आज़ादी ही आज खतरे में है, देश के कई हिस्सों में पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं। जो कि चिंता जनक है। हमें आज पत्रकारिता को बचाने की आवश्यकता है।