दिल्ली प्रदेश पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष श्री राजीव जौली खोसला ने पैंथर्स परिवार सदस्यों के साथ कोरोना के मद्देनजर अपने अपने घरों से शहीद खुदीराम बोस के शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि दी। पैंथर्स पार्टी का मकसद गरम दल क्रांतिकारी शहीदों के जन्मदिवस पर पुष्पांजलि और शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि देकर उनकी याद को ताजा रखना है। हर भारतीय का यह कर्तव्य होना चाहिए, जिनके माध्यम से हमें आजादी मिली, उन्हें उनके नक्शे कदम पर चलना चाहिए। 1905 में चल रहे बंगाल विभाजन के भेद और विरोध में आंदोलन महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 28 फरवरी, 1906 गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वह भाग बाहर निकले। लगभग 2 महीने के बाद फिर पकड़े गए और उन्हें रिहा कर दिया गया। 6 दिसंबर 1960 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, परंतु गवर्नर बच गए। खुदीराम बोस 5 दिन अंग्रेजी अप्सरान पर हमला करते रहते हो मुजफ्फरपुर के सेशन जज उनसे बेहद खफा थे, जिसके एवज में कई देशभक्तों को कड़ी सजा दे दी गई। इन्होंने अपने साथी प्रफुल्ल चंद चाकी के साथ मिलकर जज को ठिकाने लगाने की ठानी और 30 अप्रैल 1960 को जज की गाड़ी पर बम फेंका इस समय जज तो बच गए, परंतु दो यूरोपियन महिलाएं मर गई थी, जिसका इन दोनों को काफी अफसोस हुआ। अंग्रेज पुलिस इनके पीछे लग गई थी और बेनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया गया। प्रफुल्ल चंद चाकी ने खुद को गोली से उड़ा लिया, जबकि खुदीराम बोस पकड़े गए। मुजफ्फरपुर जेल में 11 अगस्त, 1960 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।
उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 19 साल की थी। देश के लिए शहादत देने वाले देने के बाद खुदीराम बोस इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे जिन के किनारे पर खुदीराम बोस का नाम छपा होता था। बंगाल के राष्ट्र भक्तों के लिए वह भी सही और अनुकरणीय हो गया, विद्यार्थियों तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया कई दिन तक स्कूल बंद रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे जिसकी किनारी पर खुदीराम बोस लिखा होता था। आज बंगाल में क्या हो रहा है। इस पर हम सबको चिंतन बैठक करने की आवश्यकता है
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020