अनिश्चितताओं के समय में निवेश के अवसरों का लाभ उठायें निवेशक – दीपक जसानी
चंडीगढ़ 7 जुलाई
बुधवार को चंडीगढ़ से निवेशकों के वर्चुअल वार्षिक कोलोक्विम में दीपक जसानी, हेड, रिटेल रिसर्च,एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने जानकारी दी की नोवेल कोरोनावायरस के कारण अर्थव्यवस्थाएं ठप्प हो गई हैं, समुदाय तबाह हो गए हैं और अरबों लोग अपने घरों तक सीमित हो गए हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, इस वायरस ने दुनिया को आने वाली पीढ़ी के लिए बदल दिया है।
आर्थिक ह्रास की आकस्मिकता और गति, बाजार की अस्थिरता में तेज वृद्धि, और महामारी के प्रभाव पर अनिश्चितता ने दुनिया भर के केंद्रीय बैंकर्स को उस लिक्विडिटी को मुक्त करने के लिए प्रेरित किया जो आकार, गति और दायरे के मामले में अभूतपूर्व थीं।
अमेरिकी अधिकारियों ने 8.8 ट्रिलियन डॉलर के स्टिमुलस पैकेज प्रदान करके अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा दिया, वहीं भारत सरकार ने भी 34 लाख करोड़ रुपये से अधिक की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई उपायों की घोषणा की।
इन सभी सरप्लस लिक्विडिटीज़ ने कॉरपोरेट्स के लिए ब्याज दरों को कम करने में मदद की और संपत्तियों की कीमतों को बढ़ावा दिया। उधार लेने की कम लागत और फ़्री फ़्लोइंग विदेशी फंड का लाभ उठाते हुए, भारतीय कॉरपोरेट्स ने अपने कर्ज को कम और बैलेंस शीट को मजबूत बनाया।
जैसे-जैसे संक्रमण दर और कोविड 19 के मामलों की संख्या कम हो रही है, भारत और दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। एक्ज़िम ट्रेड, जीएसटी कलेक्शन, आईआईपी संख्या जैसे आर्थिक मानदंड सकारात्मक प्रवृत्ति प्रदर्शित कर रहे हैं। सामान्य मॉनसून आने की भविष्यवाणी से भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की संभावना भी बढ़ गई है। डिलीवरेजिंग एक्सरसाइज के बाद कॉरपोरेट कर्ज का घटा हुए स्तर मुनाफे को बढ़ावा दे सकता है और भविष्य में पूंजीगत खर्च के लिए काफी आशाएं ला सकता है, बताया दीपक जसानी, हेड, रिटेल रिसर्च,एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने
मार्च 2020 में संकट के तुरंत बाद बेहतर आर्थिक संभावनाओं और पर्याप्त लिक्विडिटी ने विश्व के शेयर बाजारों में बड़े पैमाने पर तेजी से शुरुआत की। भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स अपने निचले स्तर से दोगुना हो गए हैं। निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप इंडाइसेस ने बड़े प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन किया है। निफ्टी स्मॉल कैप इंडेक्स अपने मार्च 2020 के निचले स्तर से तीन गुना हो गया है।
खुदरा निवेशक बाजार में उत्साहपूर्वक योगदान दे रहे हैं और लाखों नए निवेशकों ने सीधे भारतीय इक्विटी बाजारों में निवेश करना शुरू कर दिया है। पिछले दो वर्षों में डीमैट खातों की संख्या 4 करोड़ से 50% बढ़कर 6 करोड़ हो गई है। खुदरा निवेशक एनएसई के दैनिक कारोबार में लगभग 43% का योगदान दे रहे हैं जोकि वित्तीय वर्ष 2016 में सिर्फ 33% था। प्राइमरी मार्केट में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। वित्तीय वर्ष 20-21 में 69 कंपनियों ने बाजारों से 74707 करोड़ जुटाए जोकि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है और इन आईपीओ में निवेशकों ने बहुत पैसा कमाया।
दुनिया भर में नीतिनिर्माताओं की एक बड़ी चिंता संपत्ति की कीमतों में वृद्धि है, विशेष रूप से कमोडिटी की कीमतों में। कई लोगों को डर है कि इससे महंगाई अपना सिर उठा सकती है। नीतिनिर्माताओं को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कभी न कभी ब्याज दरें बढ़ानी होंगी जिससे परिसंपत्ति की कीमतें कम हो सकती हैं।