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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. नरेश कुमार ने दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल को पत्र लिख उन्हें बताया कि दिल्ली सबआर्डिंनेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. नरेश कुमार ने दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल को पत्र लिख उन्हें बताया कि दिल्ली सबआर्डिंनेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है, ने पिछले एक साल से कोरोना की वजह से (मार्च 2020 से मई 2021) तक किसी भी सरकारी नौकरी का परीक्षा या इंटरव्यू नहीं कराई।और उन्होंने अब ये चयन प्रक्रिया शुरू की है जिसमें प्राइमरी टीचर, हाईसकुल टीचर एवं अन्य नौकरियों शामिल हैं। मैं आपका ध्यान इस बात की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ कि बहुत सारे लोगों की उम्र निकल गयी जिससे वे अब नौकरी हेतु अयोग्य हैं। अतः आपसे निवेदन है कि ऐसे अभ्यर्थियों को दो साल की छूट उम्र में दी जाए। ऐसा दूसरे राज्यों की सरकारों ने पूर्व में किया है, त्रिपुरा इसका उदाहरण है।

उन्होंने इस मौक़े पर उपराज्यपाल से पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि दिल्ली के क़रीब एक लाख से ज़्यादा लोग इस महामारी में मरे हैं। उन्होंने इस मौक़े पर यह भी कहा कि भाजपा और और आम आदमी पार्टी मिले हुए हैं जो मौतों का आँकड़ा कम दिखा रहे हैं। यह विदित है कि कल भाजपा ने दिल्ली में होने वाली मौतों की संख्या तीस हजार बताई है जबकि सच्चाई यह है कि यहाँ लाखों की में लोग मरे हैं। आप चाहे तो इसका सर्वे दिल्ली के शमशान घाटों और MCD के मृत्यु प्रमाण केंद्रों से करवा सकते हैं क्योंकि यह विदित है कि बहुत सारे लोगों कोरोनों से युद्ध अपने घर में ही रहकर लड़ा। अस्पतालों में उन्हें बेड, ऑक्सिजन और दवाईयां नहीं मिला। इस जंग में बहुत लोग हार गए। परंतु उनके परिजनों ने इस बात को समाज व सरकार के डर से कोरोना से हुई मौत को छिपाने का काम किया। वहीं दूसरी तरफ़ अस्पतालों में बहुत सारे लोगों की मौत हुई तो कोरोना से है लेकिन सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए इसे अन्य रोगों का नाम दे दिया। प्रथम कारण कोई भी रहा हो लेकिन कोरोना से ही उनकी मौतें हुई हैं। इसलिए मैं आपसे माँग करता हूँ कि mcd के मृत्यु प्रणाम पत्र को ही आधार मानके सबको कोरोना द्वारा मौत माना जाए और सरकार द्वारा ऐसे परिवारों को आर्थिक मदद के रूप में एक करोड़ रुपए दिए जाए क्योंकि लोगों के मौत की ज़िम्मेदारी सरकार की बनती है।