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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी ने पूर्व पेक छात्रा को दिया आउटस्टेंडिंग रिसर्च असिस्टेंट अवार्ड

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) चंडीगढ़ की एक पूर्व छात्रा, शिखा चौधरी रढाल को अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी ने आउटस्टेंडिंग रिसर्च असिस्टेंट अवार्ड से सम्मानित किया है। वह यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, कॉलेज पार्क (यूएमडी) में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रही हैं। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी की ओर से हर साल यूएमडी के 4000 से अधिक ग्रेजुएट छात्रों में से टॉप 2 प्रतिशत को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।शिखा को डेटोनेशन प्रसार पर इंजेक्टर गतिकी के प्रभाव को समझने के लिए घूर्णन डेटोनेशन इंजन प्रोपल्शन की कांसेप्ट से संबंधित अध्ययन के लिए यह पुरस्कार मिला है। उन्हें मई 2021 में वार्षिक ग्रेजुएट स्कूल फैलोशिप पुरस्कार समारोह में यह प्रदान किया जायेगा। शिखा ने कहा, ‘मैं बहुत भाग्यशाली हूं और उत्कृष्ट अनुसंधान सहायक पुरस्कार प्राप्त करके खुद को सम्मानित महसूस कर रही हूं। मुझे हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रही है। इसी की खातिर मैं अपनी पीएचडी करने के लिए अमेरिका जाने के लिए प्रेरित हुई। मैं अपने सलाहकार डॉ. केनेथ यू और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग की शुक्रगुजार हूं और मैं अपने माता-पिता की भी आभारी हूं, जिनके निरंतर प्यार और समर्थन ने मुझे यह उपलब्धि हासिल करने में मदद की। यह पहली बार नहीं है जब इस ट्राइसिटी गर्ल ने ऐसी उपलब्धि हासिल करके देश को गौरवान्वित किया है। वर्ष 2019 में, शिखा ने एयरोस्पेस साइंस एवं इंजीनियरिंग में सबसे प्रतिष्ठित ‘ज़ोंटा इंटरनेशनल अमेलिया ईयरहाट ‘ फैलोशिप के लिए दुनिया भर में 30 महिलाओं की शीर्ष सूची में अपनी जगह बनाई।उन्होंने 2019-20 में रोटेटिंग डेटोनेशन इंजिन (आरडीई) प्रोपल्शन कांसेप्ट और इंजेक्शन के बीच गतिशील अंत:क्रियाओं के प्रभाव के लिए गुस्ताव जे होकेंसन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग फैलोशिप प्राप्त की थी। सितारों की दुनिया में खोये रहने से लेकर अपने शोध तक पहुंचने वाली शिखा को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दिलचस्पी तब पैदा हो गयी थी, जब उनके पिता ने उन्हें कल्पना चावला की एक प्रेरणादायक कहानी सुनायी थी। वही कल्पना जो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं। शिखा के पिता, चौधरी रढाल, भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) रह चुके हैं। उन्होंने कहा, हम शिखा की उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। यह उसका धैर्य और दृढ़ संकल्प ही है, जिसके चलते उसे यह पुरस्कार मिला है। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने का उनका जज्बा उन्हें मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि उसकी यात्रा अभी शुरू हुई है। उसे अपने जीवन में कई मुकाम हासिल करने हैं।शिखा यूएमडी में एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स चैप्टर में महिला विंग की उपाध्यक्ष हैं। वह कई युवा महिलाओं को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग को एक पेशे की तरह अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरा उद्देश्य पीएचडी के बाद अंतरिक्ष के क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान करना है। मैं एयरोस्पेस उद्योग के लिए अगली पीढ़ी के इंजनों के विकास में योगदान करना चाहती हूं। मैं युवतियों को स्टैम फील्ड में कैरियर बनाने के लिए शिक्षित और प्रोत्साहित करना जारी रखूंगी।