एआईसीटीई के वाइस चेयरमैन डॉ एमपी पूनिया और सदस्य सचिव प्रो राजिव कुमार ने ऑल इंडिया कॉलेजों और पुका के वेबिनार में इसकी घोषणा
चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। मोहाली एआईसीटीई ने पंजाब के सभी इंजीनियरिंग, डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले की कटऑफ तिथि 31 दिसंबर तक बढ़ाने की घोषणा की है। फेडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसिंग टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस (एफएसएफटीआई) और पंजाब अनएडेड कॉलेजेज एसोसिएशन (पुका) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित शिक्षा उत्थान सवाद में देश भर के सभी कॉलेजों को संबोधित करते हुए यह घोषणा एआईसीटीई के वाइस चेयरमैन डॉ एमपी पूनिया और सदस्य सचिव, प्रोफेसर राजीव कुमार ने की, डॉ अंशु कटारिया, अध्यक्ष, एफएसएफटीआई, पुका और चेयरमैन, र्आन्स ग्रुप आफ कालेजिज इस सत्र के मध्यस्थ थे।यह भी उल्लेखनीय है कि इस निर्णय के कारण, लगभग 400 तकनीकी कॉलेज और हजारों छात्र लाभान्वित होंगे, जो प्रवेश की मांग कर रहे थे, लेकिन किसान प्रोटेस्ट एंड रेल रोको आन्दोलन के कारण पंजाब के विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए असहाय थे।यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में पुका का एक प्रतिनिधिमंडल एआईसीटीई के अधिकारियों के साथ नई दिल्ली में डॉ अंशु कटारिया, अध्यक्ष, पुका, एफएसएफटीआई और चेयरमैन, र्आन्स ग्रुप आफ कालेजिज के नेतृत्व में मिला था, जिन्होंने एआईसीटीई से आग्रह किया था कि रेल रोको-आन्दोलन और किसानों को देखते हुए प्रवेश की अंतिम तिथि पंजाब में बढ़ाई जानी चाहिए।
डॉ एमपी पूनिया ने सभी राज्य प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हर साल लगभग 37 लाख तकनीकी छात्रों का मंथन करता है और महत्वपूर्ण मुद्दा विभिन्न संस्थानों से स्नातक की योग्यता का है। सबसे बड़ी चुनौती बुनियादी ढांचा है। देश में लगभग 50 प्रतिशत हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग नहीं किया जाता है। भारत में तकनीकी संस्थानों में 37 लाख छात्रों की क्षमता है और केवल 20 लाख छात्रों को प्रवेश मिलता है। उन्होंने कहा कि 13 लाख स्नातक और केवल 7 लाख छात्रों को नौकरी मिली है।प्रो राजिव कुमार ने कहा कि देश उच्च तकनीकी शिक्षा का विकल्प चुनने वाले छात्रों के मामले में अन्य विकसित राष्ट्रों से बहुत पीछे है। देश में तकनीकी संस्थानों में छात्रों का सकल नामांकन अनुपात 26′ है और 2035 तक एआईसीटीई का लक्ष्य इस को बढ़ाकर 50′ करने का है। हमें उन मजबूत सीमाओं को नीचे लाने की जरूरत है जो हमारे छात्रों को उनके वांछित विकास में मदद करने के लिए रखी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए एआईसीटीइ बदल रहा है, इसलिए देश बदल रहा है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के महत्व पर भी चर्चा की जो लाइट लेकिन टाइट कॉन्सेप्ट के साथ एक समाधान हो सकता है।श्री आरएस मुनिरथिनम (तमिलनाडु); श्री केवीके राव (आंध्र / तेलंगाना); प्रोफेसर रामदास (महाराष्ट्र); डॉ अरविंद अग्रवाल (राजस्थान); श्री केसी जैन (मध्य प्रदेश); श्री जनक खंडेलवाल (गुजरात) और श्री बिजोयानंद चौधरी (पूर्वोत्तर) ने इस आयोजन में तकनीकी कॉलेजों के विभिन्न मुद्दों को एआईसीटीइ के समक्ष उठाया। श्री रशपाल सिहं धालीवाल, सीजीसी लान्डरा, झंझेरी सहित पंजाब के विभिन्न प्रमुख शिक्षाविद; एस दविंदर सिंह रिपी, देश भगत, मोगा; डॉ मोहित महाजन, गोल्डन ग्रुप, गुरदासपुर, श्री अश्वनी गर्ग, एसवीआईईटी, बनूर और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्व आदि राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020