चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी द्वारा आयोजित लिटराटी-2020 को अंतिम चरण में ं विभिन्न विषयों पर आधारित सेशन हुआ। आखिरी दिन 25 लेखकों और विभिन्न बुद्धीजीवियों ने इसमें हिस्सा लिया। जहां फेस्टिवल की शुरुआत ब्रिटिश मूल के लेखक ऑलिवर क्रास्के और स्वाती भदौरिया के बीच रही। सेशन में ऑलिवर द्वारा लिखी पुस्तक द इंडियन सन पर बात हुई। जिसमें स्वर्गीय पंडित रवि शंकर के संगीत और जीवन से जुड़े किस्सों को लिखा गया। ऑलिवर ने कहा कि पंडित रवि शंकर से मिलकर मैंने संगीत को जाना। पहली बार उनसे 1994 में मिलना हुआ। जिसके बाद उनके जीवन पर आधारित किताब राम माला को लिखा। मगर हाल ही में उनके गुजर जाने पर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपनी इस किताब में प्रकाशित किया। पहली बार जब उनसे वर्ष 1994 में मिला, तो उनकी कलेक्शन में काफी फिल्में देखी। मुझे याद है कि उनके पास जिम कैरी जैसे अभिनेताओं की फिल्में भी थी। इसके अलावा उन्हें खाने का शौक था। सुबह के म्युजिक सेशन के बाद हम उनकी पत्नी सुकन्या के हाथों बना खाना खाते थे।फेस्टिवल का दूसरा सेशन लेखिका नंदिता पुरी और सुदीती जिंदल के बीच रहा। जिसमें नंदिता ने अपनी हालिया लिखी किताब जैनिफर पर बात की। जैनिफर किताब एक सच्ची कहानी है। जैनिफर के साथ बैठकर, उसकी कहानी सुनने के बाद इसे लिखा। जैनिफर हैंस, अंबरनाथ,महाराष्ट्र में हुआ। गरीब परिवार में जन्मी जैनिफर को आठ वर्ष की उम्र में अमेरिका के दो आदमियों ने अडॉप्ट किया। जहां उसके साथ शोषण होता रहा। दो वर्ष बाद उसे फोस्टर केयर होम में भेजा गया। जहां उसके साथ ज्यादा अच्छा व्यव्हार नहीं हुआ। 18 वर्ष की उम्र तक जैनिफर ने 50 होम बदले। जहां से उसे नशे की लत लगी। ड्रग्स के चंगुल में फंस गई। उसकी दोस्ती एक ड्रग स्प्लायर से हुई। शादी के चार-पांच साल बाद, दोनों को ही जेल हो गई। दोनों अलग अलग जेलों में शिफ्ट हुए। 28 वर्ष की होने पर, जैनिफर को 20 वर्ष अमेरिका में हो चुके थे। हालांकि उसके पास कोई सबूत नहीं था कि वह अमेरिका की वासी है। ऐसे में उसे भारत भेज दिया गया। जहां कोई काम न होने की वजह से वह दोबारा नशे में फंस गई। यहां रहते हुए उसे अमेरिका में अपनी पति, यहां रहते हुए उसे अमेरिका में अपनी पति और बच्चों की याद आती है। इस दुखद यात्रा ने मुझे किताब लिखने की प्रेरणा दी। नंदिता ने इसके बाद अडॉप्शन के कानून सख्त बनाए जाने और विभिन्न देशों में कानून क्या हैं, इस पर भी बात की। उन्होंने इसका स्क्रीनप्ले भी तैयार किया है। फेस्टिवल का तीसरा सेशन लेखिका अनुजा चौहान और मंदीप कौर के बीच रहा। अनुजा ने अपनी लेखनी पर कहा कि जीवन में मुझे बैलेंस पसंद है। ऐसे में मेरी लिखावट भी ऐसी है।
रोमांस -अब बात करने का तरीका और कम्यूनिकेशन के माध्यम बदल गए हैं। पहले लडक़ी का सरनेम जानने में 20 दिन लगते थे, आजकल तो सीधा नंबर ही मिल जाता है। युवाओं के मुद्दे भी बदल गए हैं। अब युवाओं में रिलेशनशिप में कमिटमेंट फोबिया, करियर, फ्रेंड्स और पैशन को लेकर मुद्दे हैं। अब रिश्तों में बोझ कुछ कम हुआ है। चौथा सेशन लेखक डॉ राधाकृष्णन पिल्लई, डॉ जानकी संतोके और कर्नल डीएस चीमा के बीच रहा। जहां वेदांता और मॉर्डन चाणक्य के अनुसार कामयाबी को परिभाषित किया गया। डॉ राधाकृष्णन पिल्लई ने कहा कि, कामयाबी के लिए हमें पता होना चाहिए कि हमें करना क्या है, और हम किसमें अच्छे हैं। कई वजहें होती हैं कि हम कई बार वो नहीं करते, जो हमें करना चाहिए। वक्त के अनुसार चीजें बदली हैं। मगर आज भी हम अपने भूतकाल से बहुत कुछ सीख सकते हैं। मेरे अनुसार चाणक्य से बेहतर कोई भी आपको प्रैक्टली जीवन जीना नहीं सिखा सकता। ऐसे में मैं चाणक्य को अपनी किताब में लेकर आया। अब तो हम मैनेजमेंट में इसे पढ़ा भी रहे हैं। जिस अनुसार बेहतर करने की मानसिकता लीडर्स में होनी चाहिए, तभी वह नीचे तक जा सकेगी। डॉ जानकी ने कहा कि हर इंसान दो तरह से सोचता है। एक अपनी बुद्दी से और दूसरा मन से। इन दिनों हम अपने भविष्य को लेकर अपना वर्तमान खराब कर रहे हैं। हम कुछ लुभावनी चीजों के कारण जीवन को समझ नहीं पाते हैं। आज भी हम अर्जुन वाली स्थिती में हैं, जहां हमें गीत ज्ञान होना जरूरी है। हमें रिश्ते निभाने आने चाहिए।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020