गुरुग्राम। राष्ट्र की एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल की विशेष भूमिका रही। उन्होंने देश को आजाद मिलने के बाद भारत देश को एकता के सूत्र में पिराने के प्रयास किए और सफलता पाई। उनके ही नाम से आज का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह बात उन्होंने शनिवार को लौहपुरुष सरदार सरदार वल्लभभाई पटेल की 145वीं जयंती के मौके पर कही।
नवीन गोयल ने बताया कि सरदार पटेल आजादी के बाद देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी थे। गुजरात के नडियाद में 31 अक्टूबर 1875 को जन्में सरदार पटेल ने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व भी किया। इतिहास में दर्ज स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण करके उन्होंने अखंड भारत के निर्माण में विशेष योगदान दिया, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर (597 फीट) ऊंची लौह प्रतिमा यानी स्टैचू ऑफ यूनिटी का निर्माण करके देश को समर्पित किया। आज वहां तक पहुंचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीप्लेन सेवा की शुरुआत करके उस स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए रास्ते खोले। इस तरह से देश को राजस्व मिलेगा।
नवीन गोयल के मुताबिक यह सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर कापी जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था। सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ था। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020